‘‘दुष्प्रेरित’’ याचिका दाखिल करने वालों पर 20 लाख रु. का जुर्माना

SC slaps Rs 10 lakh each on two for filing "motivated" plea
[email protected] । Aug 24 2017 3:46PM

उच्चतम न्यायालय ने प्रधान न्यायाधीश द्वारा अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति की सिफारिश राष्ट्रपति से करने की परंपरा को चुनौती देने वाली ‘‘दुष्प्रेरित’’ याचिका दायर करने वाले दो लोगों पर 10-10 लाख का जुर्माना लगाया है।

उच्चतम न्यायालय ने भारत के निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश द्वारा अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति की सिफारिश राष्ट्रपति से करने की परंपरा को चुनौती देने वाली ‘‘दुष्प्रेरित’’ याचिका दायर करने वाले दो लोगों पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ वाली पीठ ने कहा कि स्वामी ओम और मुकेश जैन पर नजीर पेश करने वाला जुर्माना लगाना आवश्यक था ताकि उनके जैसे अन्य लोगों तक संदेश पहुंचे और वह ऐसी याचिकाएं दायर करने से बचें।

याचिका दायर करने वालों ने अपनी याचिका में प्रधान न्यायाधीश नियुक्त होने वाले व्यक्ति पर कोई आरोप नहीं लगाया था। उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर संवैधानिक व्यवस्था का हवाला दिया था और कहा था कि निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश द्वारा उत्तराधिकारी की नियुक्ति की सिफारिश करने की प्रक्रिया संविधान की भावनाओं के विरूद्ध है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अनुच्छेद 124ए को संविधान पीठ पहले ही दरकिनार कर चुकी है। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्तियां आयोग अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 124ए में पहले ही संशोधन किया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 124 में उच्चतम न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान है, जबकि अनुच्छेद 124ए में बताया गया है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्तियां आयोग में कौन-कौन शामिल होगा। न्यायालय ने याचिका दायर करने वालों से कहा कि वह आज से एक महीने के भीतर जुर्माने की राशि जमा करवाएं और यह धन प्रधानमंत्री राहत कोष में जाएगा। पीठ ने आदेश दिया कि यदि याचिका दायर करने वाले जुर्माना भरने में असफल रहते हैं तो, एक महीने बाद फिर से मामले की सुनवायी की तिथि तय की जाए।

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