PM मोदी ने विक्रम साराभाई को दी श्रद्धांजलि, बोले- भारत को बड़ी ताकत बनाने में मदद की
कार्यक्रम में चलाए गए वीडियो संदेश के जरिए मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह खास मौका है जब हम डॉ. साराभाई की जन्मशती मना रहे हैं।
अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के जनक विक्रम साराभाई को उनकी सौवीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनके दृष्टिकोण से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को दुनिया की बड़ी ताकत बनने में मदद मिली। मोदी ने एक वीडियो संदेश के जरिए साराभाई को श्रद्धांजलि दी। इस वीडियो को साराभाई की जयंती के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम में चलाया गया। उनकी जयंती के कुछ दिन पहले भारत ने चंद्रमा पर पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 को भेजा था। अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को जन्मे साराभाई के सम्मान में वर्ष भर चलने वाले शताब्दी समारोहों का शुभारंभ इस कार्यक्रम के जरिए किया गया।
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कार्यक्रम में चलाए गए वीडियो संदेश के जरिए मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह खास मौका है जब हम डॉ. साराभाई की जन्मशती मना रहे हैं। यह ऐसे वक्त हो रहा है जब भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब (चंद्रयान-2 का) विक्रम लैंडर अगले महीने चंद्रमा पर उतरेगा तो यह भारत के 130 करोड़ नागरिकों की ओर से डॉ. साराभाई को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसरो के अंतरिक्ष विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग ने संयुक्त तौर पर कार्यक्रम का आयोजन किया। मोदी ने कहा कि वह कहते थे कि समाज के सामने मौजूद समस्याओं का समाधान करने के लिए नयी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से भारत के लोगों को नहीं हिचकना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह डॉ. साराभाई का दृष्टिकोण था जिसकी वजह से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हम आम लोगों के फायदे के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और परमाणु तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि भारत के परमाणु कार्यक्रम की परिकल्पना करने वाले महान वैज्ञानिक होमी भाभा के निधन के बाद साराभाई ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। साराभाई के आरंभिक दिनों को याद करते हुए मोदी ने कहा कि 1960 के दशक में केरल के थुंबा से उन्होंने पहला रॉकेट प्रक्षेपित किया था। आज के समय में रॉकेट तकनीक के लिए यह बेस बन गया है जिसका इस्तेमाल भारत के चंद्रमा और मंगल मिशन के प्रक्षेपण के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डॉ. साराभाई ने हमारे अंतरिक्ष और परमाणु कार्यक्रमों को नयी दिशा दी । हम कह सकते हैं कि उनके द्वारा थुंबा से छोड़े गये रॉकेट ने चंद्रमा और मंगल तक पहुंचने में हमारी कई तरह से मदद की।
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वैज्ञानिक शख्सियत के अलावा साराभाई को बेहद नेक इंसान और गुणवान शिक्षक बताते हुए मोदी ने कहा कि अंतरिक्ष में हमारी उपलब्धि देखकर आज पूरी दुनिया अचंभित है और हमें सम्मान की नजरों से देखती है। प्रधानमंत्री ने युवा पीढी को साराभाई से प्रेरणा लेने और समाज के सामने मौजूद विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए नये अविष्कार करने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में इसरो अध्यक्ष के सिवन, उनके एक पूर्ववर्ती के कस्तुरीरंगन, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के पूर्व निदेशक प्रमोद काले और साराभाई के पुत्र कार्तिकेय साराभाई समेत अन्य विशिष्टगण मौजूद थे। इसरो की वेबसाइट के मुताबिक साराभाई ने जब 1947 में फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) की स्थापना की थी, उस समय वह मात्र 28 साल के थे। साराभाई का निधन 30 दिसंबर 1971 को हो गया।
Today, on his birth anniversary, we remember the exemplary Dr. Vikram Sarabhai. His contribution to Indian science and innovation is tremendous. His efforts ensured India made rapid strides in science and space. https://t.co/ZUFuo9Bl2L
— Narendra Modi (@narendramodi) August 12, 2019
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