Sanjay Singh को नहीं मिली राहत, कोर्ट ने 27 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा
दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली उत्पाद शुल्क घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित आरोपों को संबोधित करते हुए आप नेता संजय सिंह को 27 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में रखने का फैसला किया।
दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में आम आदमी पार्टी (आप) सांसद संजय सिंह की न्यायिक हिरासत 14 दिनों के लिए बढ़ा दी गई है। सिंह की गिरफ्तारी इस मामले से जुड़ी तीसरी हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी है, जिसमें AAP के संचार प्रभारी विजय नायर को पिछले सितंबर में गिरफ्तार किया गया था, और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को इस साल फरवरी में गिरफ्तार किया गया था, दोनों अभी भी कैद में हैं। दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली उत्पाद शुल्क घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित आरोपों को संबोधित करते हुए आप नेता संजय सिंह को 27 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में रखने का फैसला किया।
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ईडी की हिरासत की अवधि खत्म होने पर सिंह को विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। न्यायाधीश ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सिंह को अदालत के अंदर असंबद्ध मामलों पर बयान नहीं देने का भी निर्देश दिया। सिंह ने अदालत के समक्ष यह दावा किया कि ईडी ने “अडाणी के खिलाफ” उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की, जिसके बाद न्यायाधीश ने यह निर्देश जारी किया। सिंह उद्योगपति गौतम अडाणी का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें केंद्र सरकार का करीबी माना जाता है। अडाणी को लेकर सिंह की पार्टी केंद्र सरकार पर हमलावर रही है।
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न्यायाधीश ने कहा, “किसी असंबद्ध मामले पर बात न करें। यदि आप अडाणी और मोदी के बारे में भाषण देते हैं, तो मैं अब से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आपको पेश करने के लिए कहूंगा।” राज्यसभा सदस्य ने अदालत के समक्ष दावा किया कि ईडी ने हिरासत में पूछताछ के दौरान उनसे प्रासंगिक प्रश्न नहीं पूछे। सिंह ने न्यायाधीश से कहा, “उन्होंने बस इतना पूछा कि मैंने मां से पैसे क्यों लिए, मैंने अपनी पत्नी के खाते में 10,000 रुपये क्यों भेजे। ईडी मनोरंजन विभाग बन गया है, झूठ पर झूठ बोल रहा है। मैंने उन्हें अडाणी के खिलाफ शिकायत दी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।” जांच एजेंसी ने राज्यसभा सदस्य सिंह को चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। ईडी ने आरोप लगाया है कि सिंह ने अब वापस ली जा चुकी आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे कुछ शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को वित्तीय लाभ हुआ।
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