संघ ने मोदी सरकार को सराहा, तबलीगी जमात पर किया कटाक्ष
कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए देश के नेतृत्व द्वारा किए गए निर्णय की सराहना करते हुए वैद्य ने संवाददाताओं से कहा कि भारत ने कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए कई विकसित देशों की तुलना में बेहतर काम किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज के कार्यक्रम से जुड़े कोविड-19 के मामलों की संख्या का हवाला देते हुए सोमवार को कहा कि ‘‘आंकड़े सच बोलते हैं।’’ उन्होंने हालांकि कहा कि मुसलमान तबलीगी जमात के संपर्कों का पता लगाने में सरकार की मदद कर रहे हैं जिसकी सराहना की जानी चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को कहा था कि भारत में 4.1 दिन में कोरोना वायरस के मामलों की दुगुनी दर देखने को मिली, लेकिन यदि तबलीगी जमात का कार्यक्रम नहीं हुआ होता तो दुगुनी दर होने में 7.4 दिन लगते।
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कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए देश के नेतृत्व द्वारा किए गए निर्णय की सराहना करते हुए वैद्य ने संवाददाताओं से कहा कि भारत ने कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए कई विकसित देशों की तुलना में बेहतर काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए भारत के नेतृत्व ने कुछ निर्णायक कदम उठाए जिन्हें जनता का भी समर्थन मिला।’’ आरएसएस के नेता ने कहा कि उनके संगठन के कार्यकर्ताओं ने लॉकडाउन के दौरान गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराने और हेल्पलाइन जारी करने सहित 25.5 लाख लोगों की मदद की है। उन्होंने कहा कि तबलीगी जमात स्थिति से बेहतर ढंग से निपट सकती थी।
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वैद्य ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आंकड़े सच बोलते हैं...उनका (तबलीगी जमात) भंडाफोड़ हो गया है और मुस्लिम समुदाय में अनेक लोग उसका विरोध कर रहे हैं...और अनेक मुस्लिम उनके (तबीलीगी जमात) संपर्कों का पता लगाने में सरकार की मदद भी कर रहे हैं जिसकी सराहना की जानी चाहिए।’’ कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर आरएसएस की सर्वोच्च निर्णय इकाई की वार्षिक बैठक ‘प्रतिनिधि सभा’ को रद्द करने के संगठन के फैसले का संदर्भ देते हुए वैद्य ने कहा कि तबलीगी जमात भी अपने आयोजन को रद्द कर सकती थी। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस ने बेंगलुरु में होने वाली प्रतिनिधि सभा रद्द कर दी जो 15 मार्च से होने वाली थी। संघ के लगभग 1,500 सदस्यों को ट्रेनों से उतरने या विमान के टिकट रद्द करने के लिये कहा गया। जो लोग आयोजन स्थल पर पहुंचे चुके थे, उन्हें तत्काल वापस भेज दिया गया।’’
वैद्य ने यह घोषणा भी की कि संघ शिक्षा वर्ग (कार्यकर्ताओं का वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम) सहित आरएसएस के जून तक निर्धारित सभी कार्यक्रम महामारी के चलते रद्द कर दिए गए हैं। देश में 21 दिन के लॉकडाउन के आर्थिक प्रभाव पर वैद्य ने कहा कि पहली प्राथमिकता बीमारी से निपटने तथा लोगों का जीवन बचाने की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन के असर को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
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