RSS का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, वह 130 करोड़ भारतीयों के लिए काम करता है: मोहन भागवत
आरएसएस के बारे में विस्तार से बताते हुए 69 वर्षीय प्रमुख ने कहा कि किसी को भी स्वयंसेवक कहा जा सकता है, बशर्ते उसकी विचारधारा राष्ट्रीय एकता की होनी चाहिए, भले वह आरएसएस की शाखा में नहीं आता हो।
मुरादाबाद (उप्र)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि उनके संगठन का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और वह देश के नैतिक, सांस्कृतिक और मानव मूल्यों के उत्थान के लिए काम करता है। आरएसएस प्रमुख, स्वयंसेवकों के चार दिवसीय कार्यक्रम के सिलिसिले में यहां आये हुए हैं। यहां एक मैदान में कार्यक्रम के समापन पर एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए भागवत (69) ने कहा कि जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग इस संगठन का हिस्सा हैं जबकि कुछ लोग राजनीतिक पार्टियां भी चलाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव से हमारा कोई मतलब नहीं है। हम पिछले 60 सालों से देश के मूल्यों को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए काम कर रहे हैं।’’ उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि आरएसएस भाजपा को रिमोट कंट्रोल से चला रही है और कहा कि यह संगठन सभी 130 करोड़ भारतीयों के लिए काम कर रहा है।
RSS works with men only in shakhas and through them we connect with their families. Shakha work among women is being conducted by Rashtra Sevika Samiti: Dr Mohan Bhagwat pic.twitter.com/5YtioX2Xn7
— Friends of RSS (@friendsofrss) January 18, 2020
आरएसएस के बारे में विस्तार से बताते हुए 69 वर्षीय प्रमुख ने कहा कि किसी को भी स्वयंसेवक कहा जा सकता है, बशर्ते उसकी विचारधारा राष्ट्रीय एकता की होनी चाहिए, भले वह आरएसएस की शाखा में नहीं आता हो। उन्होंने कहा, ‘‘कई शीर्ष स्तर के बुद्धिजीवी एवं समाज सुधारक हैं जो हमारे साथी नहीं हैं लेकिन उनकी विचारधारा हमसे मिलती है। यह हमारी सफलता है।’’ सत्ता की भूमिका की चर्चा करते हुए भागवत ने कहा कि यदि कोई अपनी विचारधारा फैलाना चाहता है तो सत्ता हासिल करना अनिवार्य है।
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भागवत ने कहा, ‘‘स्वामी विवेकानंद ने सदैव बुद्धिमता और आध्यात्मिकता के साथ सत्ता की वकालत की। इसलिए सदैव सशक्त, समृद्ध और स्वस्थ बनने की कोशिश कीजिए।’’ उन्होंने दावा किया कि रूस, चीन, अमेरिका शक्तिशाली देश हैं जो समस्याएं खड़ी कर रहे हैं लेकिन अमेरिका अपनी गरिमा गंवा रहा है। उन्होंने कहा कि जब आरएसएस 1925 में बना था तब वह बहुत कम लोगों के साथ काम रहा था लेकिन राष्ट्रनिर्माण के प्रति अपनी सतत निष्ठा के चलते देशभर में 1.3 लाख शाखाओं के साथ एक बहुत बड़ा संगठन बन गया है। भागवत ने कहा कि ‘‘सभी भारतीय हिंदू हैं’ क्योंकि उन सभी के पूर्वज हिंदू थे। उन्होंने कहा कि कई देशों ने ‘विविधता से एकता’ के नारे दिये हैं लेकिन भारत में यह ‘एकता से विविधता है।’’ आरएसएस प्रमुख ने संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी पर कोई टिप्पणी नहीं की।
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