RSS प्रमुख Mohan Bhagwat ने कहा- भारत एक हिंदू राष्ट्र, बस कुछ लोग स्वार्थ के लिए मानते नहीं

Mohan Bhagwat
ANI
अंकित सिंह । Sep 1 2023 2:08PM

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग इसे समझ गए हैं, जबकि कुछ अपनी आदतों और स्वार्थ के कारण समझने के बाद भी इस पर अमल नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ लोग या तो इसे अभी तक समझ नहीं पाए हैं या भूल गए हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत एक "हिंदू राष्ट्र" है, सभी भारतीय हिंदू हैं और हिंदू सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने लोगों की अपेक्षाओं का जिक्र करते हुए कहा कि संघ को सभी के बारे में चिंतित होना चाहिए। आरएसएस प्रमुख यहां 'दैनिक तरुण भारत' अखबार चलाने वाली कंपनी श्री नरकेसरी प्रकाशन लिमिटेड की नई इमारत 'मधुकर भवन' के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हिंदुस्तान (भारत) एक ‘हिंदू राष्ट्र’ है और यह एक सच्चाई है। वैचारिक रूप से, सभी भारतीय हिंदू हैं और हिंदू का मतलब सभी भारतीय हैं। वे सभी जो आज भारत में हैं, वे हिंदू संस्कृति, हिंदू पूर्वजों और हिंदू भूमि से संबंधित हैं, इनके अलावा और कुछ नहीं।” 

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आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग इसे समझ गए हैं, जबकि कुछ अपनी आदतों और स्वार्थ के कारण समझने के बाद भी इस पर अमल नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ लोग या तो इसे अभी तक समझ नहीं पाए हैं या भूल गए हैं। अखबार के कार्यालय में सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि रिपोर्टिंग में सभी को शामिल किया जाना चाहिए और "अपनी विचारधारा को बरकरार रखते हुए" निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। भागवत ने कहा कि "हमारी विचारधारा" की दुनिया भर में बहुत मांग है। उन्होंने कहा, वास्तव में इस विचारधारा का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, "हर कोई इसे समझ चुका है। कुछ इसे स्वीकार करते हैं, कुछ नहीं।" 

इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर कहा था कि अब भारत विश्व को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की प्रगति की राह पर अग्रसर करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कोई नहीं उतरा था, हमारे वैज्ञानिकों ने लंबे परिश्रम के बाद वहां सबसे पहले उतरने का सम्मान प्राप्त किया है। यह केवल देश के लिए ही नहीं, सारे विश्व की मानवता के लिए है।’’ भागवत ने कहा कि सारी दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की दृष्टि से देखने वाला भारत विश्व को शांति और समृद्धि प्रदान करने की दिशा में अग्रसर हुआ है।

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