धर्म उपासना का माध्यम है, उसका अवश्य सम्मान होना चाहिए : नायडू
उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि धर्म उपासना का एक माध्यम है और संस्कृति जीने का तरीका है तथा दोनों का अवश्य ही सम्मान होना चाहिए।
कोलकाता। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि धर्म उपासना का एक माध्यम है और संस्कृति जीने का तरीका है तथा दोनों का अवश्य ही सम्मान होना चाहिए। यहां कलकत्ता चैम्बर ऑफ कॉमर्स में नायडू ने कहा कि देश में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं। इसके बावजूद देश के सभी लोग भारतीय हैं। नायडू ने कहा, ‘‘धर्म उपासना का एक माध्यम है और संस्कृति जीने का तरीका है। हमें अवश्य ही उसका सम्मान करना चाहिए...हमारे द्वारा विभिन्न भाषाएं बोली जाने के बावजूद हम सभी भारतीय हैं और हम एक राष्ट्र हैं। ’’ उन्होंने कहा कि चूंकि भारत 10 से 15 साल में शीर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने वाला है, गरीबी को दूर करने जैसी चुनौतियां भी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘गरीबी जैसी चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों से एकजुट होकर लड़ना होगा और हर किसी को भाग लेना होगा। ’’ नायडू ने कहा कि इन मुद्दों का हल करने के लिए संसद को उपयुक्त रूप से कामकाज करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘अब मैं राज्यसभा का सभापति हूं और संसदीय लोकतंत्र में मेरा 20 साल का अनुभव है। मुझे लगता है कि सांसद रोल मॉडल हैं। वे अपनी - अपनी पार्टी की छवि का प्रतनिधित्व करते हैं।’’ गौरतलब है कि अगस्त में उप राष्ट्रपति बनने से पहले तक नायडू संसद में भाजपा के सदस्य थे। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र संख्या बल भर नहीं है।
यहां तक कि संसद में कम प्रतिनिधित्व रखने वाली एक पार्टी को भी बोलने की इजाजत दी जानी चाहिए और उसे सुना जाना चाहिए। नायडू ने कहा कि आलोचना को सकारात्मक रूप से लेना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हर किसी को जानना चाहिए कि नेता एक दूसरे के दुश्मन नहीं हैं बल्कि महज राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं। ’’ उन्होंने कहा कि आत्मावलोकन करने का वक्त आ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अब आपातकाल नहीं है। आपातकाल की कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन चुनौतियों का हल करने की जरूरत है जिसके लिए संसद को कामकाज करना होगा।
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