राम मंदिर भारत के स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक होगा : आरएसएस

Ram temple will symbolize India's pride and pride RSS

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बृहस्पतिवार को कहा कि अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर भारत के स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक होगा तथा इसका भूमि-पूजन समारोह देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

गांधीनगर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बृहस्पतिवार को कहा कि अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर भारत के स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक होगा तथा इसका भूमि-पूजन समारोह देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसके साथ ही संघ ने कहा कि इस मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाने की खातिर व्यापक जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। संघ के एक शीर्ष नेता ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पांच लाख गांवों के 10 करोड़ परिवारों से संपर्क कर मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाएगा। यहां उवरसाड गांव में तीन दिवसीय चिंतन शिविर की समाप्ति के बाद संघ ने तीन क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया।

इसे भी पढ़ें: किसान आंदोलन पर SC ने जताई चिंता, कहा- तबलीगी जमात जैसे हो सकते हैं हालात

इनमें हिंदू पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देने और पर्यावरण की रक्षा के साथ ही हिंदू समाज में जन्म, और जाति के कारण पैदा हुए मतभेदों को दूर कर सामजिक समरसता हासिल करना शामिल है। तीन दिवसीय यह बैठक पांच जनवरी को शुरू हुयी थी जिसमें मोहन भागवत और भैय्याजी जोशी जैसे शीर्ष नेताओं के अलावा भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और आरएसएस से संबद्ध लगभग 34 संगठनों के प्रमुखों ने भाग लिया। आरएसएस के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘ मंदिर देश के स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक होगा।’’ उन्होंने कहा, बैठक में मंदिर निर्माण के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि विहिप ने जनसंपर्क अभियान की योजना बनाई है और (बैठक में) यह निर्णय लिया गया कि संघ के सभी संगठनों के सदस्य पाँच लाख गाँवों और 10 करोड़ से अधिक परिवारों से संपर्क कर चंदा जुटाएंगे और उन्हें राम मंदिर के निर्माण से जोड़ेंगे।

इसे भी पढ़ें: शिवसेना ने राहुल गांधी की प्रशंसा की, कहा- ‘दिल्ली के शासक’ डरते हैं उनसे

कृष्ण गोपाल ने कहा कि चंदा लोगों की इच्छा पर निर्भर है लेकिन हम किसी व्यक्ति से कम से कम 10 रुपये और एक परिवार से 100 रुपये की उम्मीद करते हैं और जो अमीर हैं, वे अपनी इच्छा के अनुसार दान दे सकते हैं। आरएसएस नेता ने कहा कि बैठक में निकट भविष्य में तीन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं से समाजिक समरसता का संदेश फैलाने को कहा गया है। हर कोई एक है, हर कोई समान है। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे त्योहार हर किसी के लिए हैं, हमारे रीति-रिवाज हर किसी के लिए हैं, धार्मिक शिक्षाएं सभी के लिए हैं। हमें जाति, और जन्म के भेदों को दूर करना होगा।’’ उन्होंने संकेत दिया कि आरएसएस हिंदू समाज में एकता लाना चाहता है। गोपाल ने कहा कि दूसरी गतिविधि हिंदू संस्कृति से प्रेरित पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देना होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे संज्ञान में आया है कि परिवार टूट रहे हैं। हम पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देना चाहते हैं। तीसरी गतिविधि जिसे आरएसएस बड़े पैमाने पर शुरू करना चाहती है, वह पर्यावरण संरक्षण है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का मानना ​​है कि पर्यावरण के खराब होने से भविष्य में पानी की कमी सहित कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में गोपाल ने कहा, किसानों और सरकार को बातचीत के जरिए कोई हल निकालना चाहिए।

बैठक में कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में पैदा हुई स्थिति पर भी चर्चा हुई और स्वास्थ्य पेशेवरों सहित विभिनन कोविड योद्धाओं के प्रयासों की सराहना की गयी। उन्होंने कहा कि संघ परिवार के लगभग 150 शीर्ष नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया और आरएसस से संबद्ध 34 संगठनों के कामकाज पर चर्चा हुयी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़