मंत्री के बयान पर राज्यसभा में हंगामा, बैठक दो बजे तक के लिए स्थगित

Rajya Sabha resignation on minister''s statement, adjourned for two o''clock in the meeting

केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के कथित विवादित बयान के विरोध में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के कथित विवादित बयान के विरोध में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे की वजह से सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल दोनों नहीं हो पाये। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री हेगड़े के कथित विवादित बयान का विरोध कर रहे विपक्षी सदस्यों ने उन पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें मंत्री पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। सदन में हंगामा उस समय शुरू हुआ जब आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के क्रम में सभापति एम वेंकैया नायडू ने हेगड़े का नाम पुकारा। इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने उनके बयान का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया।

सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा ‘‘अभी तक हमें एक बयान पर स्पष्टीकरण नहीं मिला और दूसरा बयान आ गया।’’ आजाद ने सत्ता पक्ष की ओर संकेत करते हुए कहा कि वहां से आए दिन बयान आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री ने जो बयान दिया है उस पर उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा ‘‘अभी मंत्री सदन में उपस्थित हैं, इसलिए उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए। वह कुछ ही देर में सदन से चले जाएंगे।’’ आजाद को रोकते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि सदन में नोटिस दिए बिना किसी मुद्दे पर चर्चा नहीं की जा सकती। इस पर आजाद ने कहा ‘‘...जो मंत्री भारत के संविधान पर विश्वास नहीं करता, उसे मंत्री पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है।’’ इसी बीच हेगड़े सदन से बाहर चले गए।

तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय और सपा के नरेश अग्रवाल ने भी व्यवस्था के प्रश्न के तहत यह मुद्दा उठाया। राय ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना की भावना का उल्लंघन कतई नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में आसन से स्पष्ट व्यवस्था चाहते हैं कि क्या ऐसे व्यक्ति को मंत्री पद पर बने रहने का हक है जो संविधान का पालन नहीं करता। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का जिक्र संविधान की प्रस्तावना में है। क्या एक मंत्री को संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन करने का हक है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह प्रवासी मजदूरों से संबंधित एक मुद्दा नियम 267 के तहत उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया जा रहा है।

यह एक गंभीर मुद्दा है और नियम 267 के तहत सूचीबद्ध कामकाज को आज निलंबित कर इस मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए। सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि संविधान लोकतंत्र की रामायण एवं गीता है। जो भी मंत्री इसका और बाबा साहेब अंबेडकर का ‘अपमान’ करता है उसे तत्काल पद से हटा दिया जाना चाहिए। सभापति नायडू ने अग्रवाल से कहा कि बाबा साहेब को बीच में नहीं लाया जाए। इसी दौरान सपा के कई सदस्य अग्रवाल की बात का समर्थन करते हुए आसन के समक्ष आ गए। कांग्रेस और तृणमूल सदस्य भी आसन के समक्ष आ गए और सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे।सभापति ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले को बोलने की अनुमति दी।

अठावले ने अंबेडकर का स्मारक बना कर उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि बाबा साहेब का अपमान कांग्रेस ने किया है।अठावले ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा ‘‘हंगामा न करें, कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं इसलिए सदन चलने दें। ’’भाजपा के सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अंबेडकर ने संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द शामिल नहीं किया। सभापति ने आसन के समक्ष नारे लगा रहे सदस्यों से अपने स्थान पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने को कहा।

उन्होंने कहा ‘‘मैंने विपक्ष के नेता आजाद, तृणमूल सदस्य सुखेंदु शेखर राय, सपा सदस्य नरेश अग्रवाल को अपनी बात रखने का मौका दिया। यह आप भी अच्छी तरह जानते हैं कि नियमानुसार नोटिस दिए बिना कोई चर्चा नहीं हो सकती।’’ नायडू ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर लौट जाने की अपील करते हुए पूछा कि क्या वह सदन चलाना चाहते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि हंगामे में चर्चा नहीं हो सकती। सदन में व्यवस्था बनते नहीं देख उन्होंने करीब साढ़े ग्यारह बजे बैठक को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़