क्या है गुजरात और राजस्थान का हाल, राज्यसभा चुनाव के रिजॉर्ट पॉलिटिक्स को यहां समझिए
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि वह निर्दलियों और कांग्रेस के कुछ विधायकों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अशोक गहलोत ने भाजपा पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि वह निर्दलियों और कांग्रेस के कुछ विधायकों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस के वह कौन से विधायक है जिनकी बात हो रही है। मिली जानकारी के मुताबिक जिन कांग्रेस विधायकों की बात हो रही है उसमें बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायक शामिल हैं। यह वही विधायक हैं जिन्हें कांग्रेस में शामिल कराया गया था। यहां वो समय था जब बसपा कांग्रेस पर आरोप लगा रही थी लेकिन अब कांग्रेस हमलावर है और हो भी क्यों न... हाल ही में तो कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की सत्ता गंवाई है और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना करीबी मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया।
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कांग्रेस विधायकों को दिया गया लालच
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे विधायक बहुत समझदार हैं वे समझ गए। उन्हें खूब लोभ लालच देने की कोशिश की गई। लेकिन यह हिंदुस्तान का एकमात्र राज्य है जहां एक पैसे का सौदा नहीं होता। यह इतिहास में कहीं नहीं मिलेगा। मुझे गर्व है कि मैं ऐसी धरती का मुख्यमंत्री हूं जिसके लाल बिना सौदे के बिना लोभ लालच के सरकार का साथ देते हैं कि प्रदेश में सरकार स्थिर रहनी चाहिए।
यह तमाम बातें मुख्यमंत्री ने दिल्ली राजमार्ग पर एक होटल में कांग्रेस व उसके समर्थक विधायकों के साथ देर रात चली बैठक के बाद कही।
इतना ही नहीं गहलोत ने करोड़ो अरबों रुपयों की बात कही। उन्होंने कहा कि सुन रहे हैं कि नकदी स्थानांतरित हो रही है जयपुर में। कौन भेज रहा है। बांटने के लिए एडवांस देने की बातें हो रही हैं। आप लीजिए दस करोड़ एडवांस ले लीजिए। बाद में दस और देंगे फिर पांच और देंगे। क्या हो रहा है। खुला खेल हो रहा है यहां पर।
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भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से की गई शिकायत
इस मसले को लेकर कांग्रेस ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भी शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत में विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशा ने कहा कि राज्य सरकार को अस्थिर करने के लिए निर्दलीय विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है। सूत्रों से पचा चला है कि कर्नाटक, मध्य प्रदेश व गुजरात की तर्ज पर राजस्थान में भी हमारे विधायकों व हमारा समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायकों को भारी प्रलोभन देकर राजय की लोकतांत्रिक तौर से चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इस शिकायत में भाजपा का नाम नहीं लिया गया था।
गहलोत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो खेल मध्य प्रदेश में खेला गया अब वही खेल राजस्थान में खेलने का प्रयास किया जा रहा है। मध्य प्रदेश में जो विधायक कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में नए उन्हें अब टिकट भी नहीं दिया जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो राजस्थान की 3 राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस 2 सीटें जीत सकती है जबकि भाजपा एक सीट आराम से निकाल लेगी लेकिन भाजपा ने अपने 2 उम्मीदवार मैदान पर उतारे हैं। जिसकी वजह से अब भाजपा को आरोपो का सामना करना पड़ रहा है।
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भाजपा के राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सतीश पूनियां ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए भाजपा पर तोहमत लगा रही है। उन्होंने कहा कि ताज्जुब की बात है कि बात है कि 55 साल तक होर्स ट्रेडिंग का खेल जिन्होंने खेला और खुद जिनके भीतर अंतर्कलह है, अंतरविरोध है... वे अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए भाजपा पर तोहमत लगाते हैं। इसी के साथ भाजपा ने मुख्यमंत्री से प्रमाण मांगते हुए कहा कि ये बेतुका है, बेबुनियाद है और इसमें कोई दम नहीं है। अगर ऐसा कुछ है तो हमने कहा है कि ईमान बचा है, तो प्रमाण दे।
19 जून के होने वाले हैं चुनाव
राजस्थान से राज्यसभा की 3 सीटों के लिए 19 जून को चुनाव होने हैं। इसमें कांग्रेस ने के सी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा की तरफ से राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत ने पर्चा दाखिल किया है। प्रदेश की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक हैं। इनमें से 3 विधायक पिछले साल ही बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे। इनके अलावा 13 निर्दलीय विधायकों में से 12 विधायक कांग्रेस को अपना समर्थन दे रहे हैं।
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क्या है गुजरात का हाल ?
गुजरात में भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स जारी है। कांग्रेस सूत्रों ने बताया था कि भाजपा की खरीद-फरोख्त की कोशिशों के चलते अपने सभी 65 विधायकों को राजस्थान ले जाने की योजना है। लेकिन मंगलवार को इसे टाल दिया गया। बता दें कि गुजरात में कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को एकसाथ एक जगह पर नहीं रखा है। कांग्रेस के गुजरात मामलों के प्रभारी राजीव सातव ने कहा था कि विधायक अपनी सहूलियत के अनुसार अलग-अलग समूहों में एक-दूसरे से जुड़कर उन दो सीटों पर जीत हासिल करने की रणनीति बना रहे हैं, जिन पर हमने उम्मीवार उतारे हैं। विधायक अलग-अलग जगह पर हैं। उन्हें एक जगह लाने की अभी कोई योजना नहीं है।
अबतक कांग्रेस के 8 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है जिसकी वजह से कांग्रेस की संख्या घटकर 65 हो गई है और इतनी संख्या के साथ राज्यसभा की दो सीटें जीतना मुमकिन नहीं हो पाएगा। संख्या की बात करें तो 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 103 विधायक और विपक्षी कांग्रेस के 65 विधायक हैं। जबकि भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायक और एनसीपी का एक विधायक है। एक विधायक (जिग्नेश मेवाणी) निर्दलीय हैं। 2 अदालती मामलों के चलते औऱ 8 विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद 10 सीटें खाली हो गई हैं। जिसकी वजह से वर्तमान में विधायकों की संख्या 172 है।
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