NDC दीक्षांत समारोह में पहुंचे राजनाथ सिंह, कहा- देश को सुरक्षा खतरों के नए आयामों से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि देश को सुरक्षा खतरों के नए आयामों से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है जो "साइबर और सूचना युद्ध" जैसे गैर-गतिज और गैर-संपर्क युद्ध की श्रेणी में आते हैं।
राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के दीक्षांत समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली ने कहा कि जब किसी भी क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को खतरा होता है तो उससे पूरी दुनिया कई तरह से प्रभावित होती है। यूक्रेन-रूस संघर्ष के कारण विभिन्न अफ्रीकी और एशियाई देशों में खाद्य संकट पैदा हो गया। जनजातीय प्रणाली की शुरुआत से राष्ट्र के विकास तक, सुरक्षा के प्रतिमान में बदलाव हुए हैं मगर सुरक्षा की व्यापक अवधारणा अभी भी वही है, जो मानव स्वतंत्रता, मानव अधिकार और मानव गरिमा की रक्षा करता।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि देश को सुरक्षा खतरों के नए आयामों से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है जो "साइबर और सूचना युद्ध" जैसे गैर-गतिज और गैर-संपर्क युद्ध की श्रेणी में आते हैं। नेशनल डिफेंस कॉलेज में दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, सिंरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि देश को सुरक्षा खतरों के नए आयामों से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है जो "साइबर और सूचना युद्ध" जैसे गैर-गतिज और गैर-संपर्क युद्ध की श्रेणी में आते हैं। नेशनल डिफेंस कॉलेज में दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, सिंह ने कहा, "बदलते समय और समाज के साथ, सुरक्षा के आयाम भी बदल गए हैं। सुरक्षा को आम तौर पर दो पहलुओं में देखा जाता था- पहला, आंतरिक सुरक्षा और दूसरा, बाहरी सुरक्षा। सिंह ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा का अर्थ है हमारी सीमाओं के भीतर सुरक्षा का प्रबंधन, और कानून व्यवस्था बनाए रखना; जबकि बाहरी सुरक्षा का मतलब विदेशी ताकतों से हमारी सीमाओं की सुरक्षा है।
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उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत सुरक्षा व्यवस्था स्थापित करने पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा, "लेकिन जैसा कि पिछले कुछ दशकों से देखा गया है, आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के बीच की खाई कम होती जा रही है। सुरक्षा खतरों के नए आयाम उभर रहे हैं, जिन्हें वर्गीकृत करना कठिन होता जा रहा है।" ह बताते हुए कि आतंकवाद एक उदाहरण है जो आम तौर पर आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में आता है, सिंह ने कहा कि कई बार ये भी सामने आता है कि इनका वित्त पोषण और हथियारों का समर्थन देश के बाहर से किया जा रहा है।
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