बदले-बदले राजनाथ के तेवर, संयमता छोड़ पकड़ी आक्रामकता की राह

rajnath-singh-and-his-current-politics
अंकित सिंह । Aug 20 2019 3:38PM

आमतौर पर राजनाथ की छवि सधे हुए नेता की है जो अपने बयानों में आक्रामकता की बजाए संयमता को ज्यादा महत्व देता है। गृह मंत्री के तौर पर हों या फिर पार्टी अध्यक्ष के तौर पर, राजनाथ ने अपनी फितरत के मुताबिक खुद को विवादों से दूर ही रखा।

मोदी सरकार पार्ट 2 में जब राजनाथ सिंह को गृह मंत्रालय से हटाकर रक्षा मंत्रालय की कमान सौंपी गयी तो यह कहा जाने लगा कि उनका कद अब घट गया है। अमित शाह ने गृह मंत्रालय संभालते ही अनुच्छेद 370 को हटाने का काम किया जिसके बाद यह कहा जाने लगा कि राजनाथ सिंह गृह मंत्री रहते यह इच्छाशक्ति नहीं दिखा पाए। हालांकि राजनाथ बीच-बीच में यह जरूर कहते रहे कि इसकी कवायद उनके गृह मंत्री रहते ही शुरू हो गई थी। भले ही कुछ भी हो पर यह बात सच है कि अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर पर किए गए फैसले की वजह से अमित शाह की पूरे देश में वाहवाही हो रही है। इन तमाम घटनाक्रम के बीच अब राजनाथ सिंह के तेवर बदले-बदले नजर आ रहे है।

इसे भी पढ़ें: तो क्या इसलिए इमरान ने बढ़ाया जनरल बाजवा का कार्यकाल

आमतौर पर राजनाथ की छवि सधे हुए नेता की है जो अपने बयानों में आक्रामकता की बजाए संयमता को ज्यादा महत्व देता है। गृह मंत्री के तौर पर हों या फिर पार्टी अध्यक्ष के तौर पर, राजनाथ ने अपनी फितरत के मुताबिक खुद को विवादों से दूर ही रखा। उन्होंने अपने संयमता की ही बदौलत राजनीति में खूब दोस्ती कमाई है। लेकिन राजनाथ सिंह के हालिया बयानों को देखें तो वह अपने छवि के बिल्कुल ही विपरीत नजर आ रहे हैं। उन्होंने संयमता का रास्ता छोड़ आक्रमकता दिखानी शुरू कर दी है और शायद हालिया राजनीति की मांग भी यही है। पर यह सब हुआ कैसे और इसके परिणाम क्या होंगे, इसे लेकर राजनीति गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है। तो चलिए सबसे पहले राजनाथ के उन बयानों के बारे में बताते हैं जो फिलहाल चर्चा में हैं।  

इसे भी पढ़ें: आतंकी ठिकानों पर हमला भारतीय सशस्त्र बलों की पहुंच और क्षमता दिखाती है: राजनाथ

रविवार को विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा के कालका में भाजपा की जन आशीर्वाद रैली को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत तब तक संभव नहीं है जब तक वह आतंकवाद को सहयोग देना एवं उसको बढ़ावा देना बंद नहीं करता है। राजनाथ यहीं नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा कि अगर पाकिस्तान से बातचीत होगी तो केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर होगी न कि किसी अन्य मुद्दे पर। इससे पहले राजनाथ सिंह ने जैसलमेर में पांचवीं अंतरराष्ट्रीय आर्मी स्काउट मास्टर्स प्रतियोगिता के समापन समारोह को संबोधित करने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि देने पोखरण पहुंचे थे जहां उन्होंने देश की परमाणु योजना पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हमारी नीति रही है कि हम परमाणु हथियार को प्रयोग नहीं करेंगे। लेकिन आगे क्या होगा यह तो परिस्थितियों पर निर्भर करता है। 

इसे भी पढ़ें: अब पाकिस्तान से बातचीत सिर्फ PoK पर होगी: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

राजनाथ के दोनों बयान जितने आक्रामक हैं उतनी ही आक्रामकता बयान देते वक्त उनके हाव-भाव में दिखी। राजनाथ के बदले तेवर उनकी राजनीतिक मजबूरी भी हैं। जानकार मानते हैं कि गृह मंत्री के तौर पर राजनाथ कश्मीर मुद्दे को लेकर बातचीत को ही ज्यादा महत्व देते रहे जिसकी वजह से वह कड़े फैसले नहीं ले पाए। कश्मीर पर अमित शाह के फैसले ने जहां उनके कद को बड़ा किया तो राजनाथ एकदम से हासिए पर चले गए। एक जननेता होने के बावजूद राजनाथ को सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स का शिकार होना पड़ा। ऐसे में राजनाथ के ये बयान अचानक उन्हें एक बार फिर मजबूत नेता के तौर पर उभारने में मदद कर सकता है। जानकार यह भी मानते हैं कि राजनाथ यह भी बताने की कोशिश कर रहे है कि सरकार में नंबर दो की भूमिका उन्हीं की है। 

इसे भी पढ़ें: राजनाथ का बड़ा बयान, पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल न करने की नीति स्थाई नहीं

एक बात और भी गौर करने वाली है। राजनाथ ने अपने बयानों में अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर पर किए गए फैसले का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को तो बढ़-चढ़ कर देते हैं पर गृहमंत्री अमित शाह का नाम कम ही लेते हैं। राजनाथ के बयानों की टाइमिंग को लेकर भी राजनीतिक गलियारे में कानाफूसी तेज है। राजनाथ ने दोनों बयान ऐसे समय में दिये जब अमित शाह कोई ना कोई कार्यक्रम कर रहे होते हैं। पहला बयान 16 अगस्त का है और उस दिन अमित शाह हरियाणा के जिंद में एक सभा को संबोधित कर रहे थे जबकि दूसरा बयान उस दिन का है जब शाह तीन तलाक पर एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। राजनाथ अटल-आडवाणी युग के एक मात्र ऐसे नेता हैं जो सक्रिय राजनीति में बचे हैं। ऐसे में राजनाथ अपने इस बयानों से यह साबित करने में लगे हैं कि सरकार के सभी बड़े फैसलों में उनका अहम किरदार है और उनका महत्व कम नहीं हुआ है। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़