रुश्दी के 'द सैटेनिक वर्सेज' पर राजीव सरकार का बैन जायज था, नटवर सिंह बोले- भड़क सकता था पूरा मुस्लिम वर्ल्ड
पूर्व राजनयिक और मंत्री नटवर सिंह ने शनिवार को कहा कि जब भारत ने 1988 में सलमान रुश्दी की द सैटेनिक वर्सेज पर प्रतिबंध लगाया, तो वह फैसले का हिस्सा थे। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से कहा था कि इस किताब पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर एक व्यक्ति ने हमला कर दिया। मुंबई में पैदा हुए और बुकर पुरस्कार से सम्मानित रुश्दी (75) पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा संस्थान में एक कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने वाले ही थे कि तभी एक व्यक्ति मंच पर चढ़ा और रुश्दी को घूंसे मारे और चाकू से उन पर हमला कर दिया। अब सलमान रुश्दी और उनकी विवादित किताब एक बार फिर से चर्चा में है। पूर्व राजनयिक और मंत्री नटवर सिंह ने शनिवार को कहा कि जब भारत ने 1988 में सलमान रुश्दी की द सैटेनिक वर्सेज पर प्रतिबंध लगाया, तो वह फैसले का हिस्सा थे। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से कहा था कि इस किताब पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है। नटवर सिंह ने कहा कि ये कानून और व्यवस्था के कारणों के लिए विशुद्ध रूप से लिया गया निर्णय उचित था। बता दें कि विवादास्पद ब्रिटिश-अमेरिकी लेखक को 24 वर्षीय व्यक्ति द्वारा एक कार्यक्रम में न्यूयॉर्क में चाकू मार दिया गया, जिसके बाद नटवर सिंह का ये बयान सामने आया है।
नटवर सिंह ने इस फैसले का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि इसे कानून और व्यवस्था के कारणों के लिए "विशुद्ध रूप से" लिया गया था।संयुक्त राज्य अमेरिका में लेखक पर हुए हमले ने दुनिया के नेताओं, कलाकारों को अस्थिर कर दिया। नटवर सिंह ने कहा कि वह हमले से बहुत व्यथित हैं। उन्होंने कहा कि एक 75 साल का आदमी है, जो किसी को नुकसान नहीं पहुँचा रहा है और साहित्य में योगदान दे रहा है और फिर कोई बदमाश आता है और उस पर जानलेवा हमला कर देता है। अक्टूबर 1988 में इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उस समय, चिदंबरम गृह मंत्री थे, जिन्होंने बाद में कहा कि उनका व्यक्तिगत निर्णय पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं था।
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