राजीव गांधी फाउंडेशन: थोराट ने कहा, कांग्रेस को आतंकित करना चाहती है सरकार
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क । Jul 8 2020 6:41PM
अब यह जांच क्यों की जा रही है? कांग्रेस नेतृत्व चीनी घुसपैठ पर मोदी सरकार से सवाल कर रही है जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए। सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ईंधन के दामों में वृद्धि और कोविड-19 की महामारी से निपटने के तरीकों पर सवाल कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।
मुंबई। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने बुधवार को कहा कि नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े तीन न्यासों द्वारा कानूनों के कथित उल्लंघन की जांच का केन्द्र की ओर से दिये गये आदेश का उद्देश्य चीनी घुसपैठ पर कांग्रेस की आवाज को दबाना है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने अंतर-मंत्रालीय टीम का गठन किया है जो राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) सहित अन्य न्यासों में धनशोधन एवं विदेशी चंदा अधिनियम सहित विभिन्न कानूनों के उल्लंघन की जांच में समन्वय करेगी। भाजपा द्वारा आरजीएफ के चीनी दूतावास से चंदा लेने का आरोप लगाने के करीब दो हफ्ते बाद यह फैसला लिया गया।
थोराट ने कहा, ‘‘अब यह जांच क्यों की जा रही है? कांग्रेस नेतृत्व चीनी घुसपैठ पर मोदी सरकार से सवाल कर रही है जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए। सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ईंधन के दामों में वृद्धि और कोविड-19 की महामारी से निपटने के तरीकों पर सवाल कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।’’ महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री थोराट ने कहा कि इस जांच का उद्देश्य कांग्रेस को आतंकित करना और दबाव में लाना है किंतु ऐसा होगा नहीं। उल्लेखनीय है कि थोराट महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री भी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस झुकेगी नहीं और जनता की आवाज उठाती रहेगी।चीनी घुसपैठ, इंधन की बढती कीमते और कोरोना संकट जैसे मुद्दों को संभालने में विफल केंद्र सरकार से जब सोनियाजी गांधी और राहुलजी गांधी ने सवाल किया तो सरकार ED का दुरूपयोग कर उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है हमारे नेता इस तरह के दबाव के बावजूद राष्ट्रहित मे अपनी आवाज उठाते रहेंगे। pic.twitter.com/eHPWisy6pt
— Balasaheb Thorat (@bb_thorat) July 8, 2020
डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
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