राजस्थान चुनाव: भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है राजपूतों की नाराजगी
राज्य की कुल आबादी में करीब 12 फीसदी राजपूत हैं और वे करीब 30 सीटों पर जीत-हार तय करने की ताकत रखते हैं। वैसे राजपूत मतदाताओं की तकरीबन हर सीट पर ठीकठाक मौजूदगी है।
जोधपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में विपक्षी कांग्रेस से कांटे के मुकाबले का सामना कर रही भाजपा के लिए एक और चुनौती ने उसके लिए मुश्किल पैदा कर रखी है और वो है राजपूतों की नाराजगी। राज्य में राजपूतों को भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुए कई प्रकरणों का हवाला देकर राजपूत संगठनों ने भाजपा खासकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वैसे, भाजपा का कहना है कि राजपूत समाज में कोई नाराजगी नहीं है और राजपूत पहले की तरह इस बार भी भाजपा को वोट करेंगे।
राज्य की कुल आबादी में करीब 12 फीसदी राजपूत हैं और वे करीब 30 सीटों पर जीत-हार तय करने की ताकत रखते हैं। वैसे राजपूत मतदाताओं की तकरीबन हर सीट पर ठीकठाक मौजूदगी है। जोधपुर संभाग की 33 सीटों में से कई सीटें हैं जहां राजपूतों की नाराजगी ने भाजपा के लिए मुश्किल की स्थित पैदा की है। जोधपुर जिले की ओसिया सीट पर निर्दलीय राजपूत उम्मीदवार महेंद्र सिंह भाटी भाजपा के पूरे जातिगत समीकरण को बिगाड़ते हुए नजर आ रहे हैं।
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जोधपुर की ही फलौदी विधानसभा सीट पर भी भाजपा के लिए राजपूतों की नाराजगी भारी पड़ सकती है। इस सीट पर भाजपा की तरफ से बब्बा राम विश्नोई चुनावी मैदान में हैं, लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजपूत उम्मीदवार कोम्भ सिंह पतावत यहां के नतीजे को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। राजस्थान में राजपूत समाज पहले जनसंघ और बाद में भाजपा का कोर वोटर रहा है। लेकिन 2016 में वसुंधरा राजे और राजपूतों के बीच तल्खी बढ़ गई। हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजपूत नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह के भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल होने के बाद यह स्थिति और बिगड़ गई।
स्थानीय राजनीतिक जानकारों के मुताबिक वसुंधरा सरकार से राजपूत समाज की नाराजगी के पीछे कई कारण हैं। फिल्म पद्मावत विवाद, गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर और राजपूत नेता गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का वसुंधरा का कथित विरोध प्रमुख़ कारण बताए जाते हैं। जोधपुर में एक बड़े हिंदी दैनिक से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार रमेश त्रिपाठी का कहना है, 'आनंद पाल एनकाउंटर मामले, पद्मावत प्रकरण और मानवेन्द्र सिंह के जाने से भाजपा और राजपूतों के बीच दूरी बनी है। पिछले कुछ महीनों में भाजपा ने मनाने की पूरी कोशिश की है, लेकिन शायद वह इसको लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है कि राजपूत पहले के चुनाव की तरह इस बार भी उसके साथ डंटकर खड़े रहेंगे।'।
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इस विधानसभा चुनाव में 'राजपूत करणी सेना' और 'श्री राजपूत सेना' जैसे संगठन भाजपा का खुलकर विरोध कर रहे हैं जिसने सत्तारूढ़ पार्टी की मुश्किलों में इजाफे का काम किया है। राजपूतों की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 'कोई नाराजगी नहीं है। पूरा समाज हमारे साथ है।' उन्होंने कहा, 'सभी समाज का भाजपा को समर्थन और सभी लोग मिलकर वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।' वैसे, भाजपा ने टिकट वितरण में भी राजपूतों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की और समाज के 26 लोगों को उम्मीदवार बनाया।
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