केंद्र पर बरसे राहुल और प्रियंका, SC में सरकार की दलील को बताया महिलाओं का अपमान
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें शारीरिक सीमाओं और सामाजिक चलन का हवाला देते हुए सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं देने की बात कही गई थी।
नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने सेना की महिला अधिकारियों को तीन महीने के भीतर कमीशन प्रदान करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सोमवार को दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत में जो दलील दी वह देश की हर महिला का अपमान है। गांधी ने ट्वीट कर कहा, सरकार ने उच्चतम न्यायालय में यह दलील देकर हर महिला का अपमान किया है कि महिला सैन्य अधिकारी कमान मुख्यालय में नियुक्ति पाने या स्थायी सेवा की हकदार नहीं हैं क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले कमतर होती हैं। उन्होंने कहा, मैं भाजपा सरकार को गलत साबित करने और खड़े होने के लिए भारत की महिलाओं को बधाई देता हूं।
The Govt disrespected every Indian woman, by arguing in the SC that women Army officers didn’t deserve command posts or permanent service because they were inferior to men.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 17, 2020
I congratulate India’s women for standing up & proving the BJP Govt wrong. https://t.co/B67u5VNkrK
प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले ने देश की महिलाओं की उड़ान को नए पंख दिए हैं। महिलाएँ सक्षम हैं - सेना में, शौर्य में और जल, थल, नभ में। पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर नारी शक्ति का विरोध करने वाली मोदी सरकार को यह करारा जवाब है। दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह सेना की उन सभी महिला अधिकारियों को तीन महीने के भीतर स्थायी कमीशन प्रदान करे जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया है।
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने देश की महिलाओं की उड़ान को नए पंख दिए हैं।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 17, 2020
महिलाएँ सक्षम हैं - सेना में, शौर्य में और जल, थल, नभ में।
पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो नारी शक्ति का विरोध करने वाली मोदी सरकार को ये करारा जवाब है।https://t.co/ZFyI9U6AB5
न्यायालय ने यह भी कहा कि महिलाओं को कमान मुख्यालय पर नियुक्ति दिए जाने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें शारीरिक सीमाओं और सामाजिक चलन का हवाला देते हुए सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं देने की बात कही गई थी।
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