Farmers Protest: किसानों को समझाने के लिए तीन केंद्रीय मंत्री Chandigarh में, पर आंदोलनकारी मानने के मूड़ में नहीं दिख रहे!
हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के ज्यादातर किसान संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के सिलसिले में 13 फरवरी को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों से बातचीत के लिए तीन केंद्रीय मंत्रियों का दल चंडीगढ़ पहुँच गया है। मोदी सरकार का प्रयास है कि किसानों को आंदोलन नहीं करने के लिए मनाया जाये। बताया जा रहा है कि किसानों की मांगें मानने के प्रति सरकार संवेदनशील है और वह चाहती है कि अन्नदाता को किसी प्रकार का प्रदर्शन नहीं करना पड़े। इसलिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय आज किसान नेताओं के साथ उनकी मांगों को लेकर दूसरे दौर की बातचीत करेंगे। यह बैठक शाम को चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित ‘महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन’ में होगी। हम आपको बता दें कि तीनों केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान नेताओं की पहली बैठक आठ फरवरी को हुई थी।
इस बीच, मार्च में शामिल होने के लिए पंजाब के विभिन्न हिस्सों से ट्रैक्टर-ट्रॉली के काफिले पहले ही दिल्ली के लिए निकल चुके हैं। हालांकि हरियाणा के प्राधिकारियों ने 13 फरवरी को किसानों के प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च को रोकने के लिए अंबाला, जींद, फतेहाबाद और कुरूक्षेत्र में कई स्थानों पर पंजाब के साथ लगती राज्य की सीमा की कंक्रीट के अवरोधक और लोहे की कील और कंटीले तार लगाकर किलेबंदी कर दी है। हरियाणा सरकार ने आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत 15 जिलों में प्रतिबंध लगा दिए हैं। इन जिलों में पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है और किसी भी प्रकार के प्रदर्शन करने या ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ मार्च निकालने पर प्रतिबंध है।
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हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के ज्यादातर किसान संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के सिलसिले में 13 फरवरी को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। किसान 2021 में अपना आंदोलन वापस लेने के लिए जिन शर्तों पर राजी हुए थे उनमें से एक शर्त एमएसपी की गारंटी को लेकर कानून बनाना थी।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय राजधानी में 13 फरवरी को किसानों के प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च के मद्देनजर सिंघू, गाजीपुर और टिकरी सीमाओं पर सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है तथा यातायात पाबंदियां लागू की गयी हैं। वाहनों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं की कंक्रीट के अवरोधक और सड़क पर बिछाए जाने वाले लोहे के नुकीले अवरोधक लगाकर किलेबंदी कर दी गयी है। इन उपायों से सोमवार को सुबह दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में यातायात की आवाजाही पर असर पड़ा जिससे यात्रियों को असुविधा हो रही है। हम आपको बता दें कि यात्रियों के लिए एक परामर्श जारी किया गया है जिसके अनुसार, सोमवार से सिंघू सीमा पर वाणिज्यिक वाहनों के लिए यातायात पाबंदियां लागू की गयी हैं। मंगलवार से सभी प्रकार के वाहनों पर पाबंदियां लागू होंगी।
विरोध-प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस ने 5,000 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है जबकि सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए क्रेन और अन्य भारी वाहनों को तैनात किया है। अधिकारियों ने बताया कि किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए कई सुरक्षा अवरोधक लगाए गए हैं। सड़कों पर कंटीले अवरोधक बिछाए गए हैं ताकि अगर प्रदर्शनकारी किसान वाहनों पर सवार होकर शहर में प्रवेश करने की कोशिश करें तो उनके वाहनों के टायर पंक्चर हो जाए। इस बीच, उत्तरपूर्वी दिल्ली में कानून व व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू की गयी है। उत्तरपूर्वी दिल्ली के डीसीपी ने कहा है कि हमारी व्यवस्था पूरी तरह चाक चौबंद है।
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