पंजाब चुनाव-- सुखविंदर सिंह सुक्खू को दोआबा क्षेत्र के प्रभारी बनाये गये
पंजाब में कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिये कोई कोर कसर नहीं छोडना चाहती है। लिहाजा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष ने पंजाब में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है। पार्टी ने ए.आई.सी.सी. पर्यवेक्षकों (क्षेत्रवार) के रूप में नियुक्ति के प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से मंजूरी दे दी है।
चंडीगढ़। पंजाब में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुये कांग्रेस आलाकमान ने हिमाचल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व नादौन के विधायक ठाकुर सुखविन्दर सिंह सुक्खू को बडी जिम्मेवारी सौंपी है। जिससे उनके समर्थकों में खुशी की लहर है।
पंजाब को माझा मालवा व दोआबा तीन क्षेत्रों में बांटा जाता है। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में 69 सीटें मालवा क्षेत्र में हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने क्षेत्र में 40 सीटें जीती थीं। दूसरे अहम क्षेत्र माझा और दोआबा को माना जाता है। माझा में 25 विधानसभा सीटें हैं तो दोआब में 23 विधानसभा सीटें आती हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने माझा की 22 सीटों और दोआबा की 15 सीटों पर जीत हासिल की थी। यही वजह है कि पार्टी इलाकावार अपने नेताओं को तैनात किया है। मालवा की अहमियत को देखते हुये दो प्रभारी तैनात किये गये है। मालवा क्षेत्र में 7 लोकसभा सीटें आती हैं। इनमें फिरोजपुर, फरीदकोट, बठिंडा, लुधियाना, संगरूर फतेहगढ़ साहिब और पटियाला शामिल हैं। समझने वाली बात यह है कि डेरा का सबसे ज्यादा प्रभाव मालवा में ही है। एक अनुमान के अनुसार, क्षेत्र के 13 जिलों में करीब 35 लाख डेरा प्रेमी हैं। उसमें भी खास बात यह है कि दलित सिख ही इनमें ज्यादा जाते हैं।
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लिहाजा पंजाब में कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिये कोई कोर कसर नहीं छोडना चाहती है। लिहाजा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष ने पंजाब में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधियों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है। पार्टी ने ए.आई.सी.सी. पर्यवेक्षकों (क्षेत्रवार) के रूप में नियुक्ति के प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से मंजूरी दे दी है। पदाधिकारियों में संजय निरुपम के साथ अर्जुन मोढवाडिया को मालवा क्षेत्र में नियुक्त किया गया है। जबकि उत्तम कुमार रेड्डी, एम.पी. को माझा क्षेत्र, सुखविंदर सिंह सुक्खू को दोआबा क्षेत्र की जिम्मेवारी दी गई है। यह चार नेता अपने इलाके में आने वाले विधानसभा सीटों पर चुनावी रणनिति तय करेंगे।
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सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन से विधायक हैंव अपने स्कूली दिनों से कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से जुड़े रहे सुक्खू की संगठनात्मक क्षमता गजब की है और उन्हें जमीनी कार्यकर्ता के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने तीसरी बार विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी है।
सुखविंदर सिंह सुक्खू का जन्म 27 मार्च 1964 को नादौन के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम रसील सिंह था जो पेशे से किसान व छोटे कारोबारी थे। सुखविंदर सिंह की प्रारंभिक शिक्षा नादौन में हुई और इसके बाद उन्होंने शिमला विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी तक की शिक्षा हासिल की। उन्होंने अपना राजनीतिक कैरियर छात्र नेता के रूप में एनएसयूआई शुरू किया। संझौली में कॉलेज के दौरान वर्ष 1981 में क्लास रिप्रेजेंटेटिव बने सुक्खू ने अगले साल कॉलेज छात्र युनियन के महासचिव व उसके अगले साल युनियन अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा और उन्हें लगातार जीत हासिल हुई। वे कानून की पढ़ाई के दौरान वर्ष 1985 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी अपने विभाग के रिप्रेजेंटेटिव चुने गये।
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वर्ष 1989 से 1995 तक सुखविंदर संह सुक्खू एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसके बाद तीन साल तक वे प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव रहे। वर्ष 1998 में उन्हें प्रदेश युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और इस पद पर वे लगातार दस साल तक रहे। उन्होंने वरष 1992 में शिमला नगर निगम के पार्षद पद का चुनाव लड़ा और लगातार दो बार विजयी हुए। वर्ष 2008 में उन्हे प्रदेश कांग्रेस कमेटी का महासचिव बनाया गया जिसपर वे चार साल तक रहे। वर्ष 2013 की शुरुआत में उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
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वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन सीट से विधायक चुने गये। दिसंबर 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें क्षेत्र की जनता ने दोबारा अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजा। वे इस कार्यकाल में कांग्रेस विधायी दल के चीफ व्हिप बनाये गये। वर्ष 2017 के तेरहवीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव में वे तीसरी बार विधायक चुने गये। अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के प्रमुख दावेदार के तौर पर उभर कर सामने आये हैं।
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