जनता की राय: कांग्रेस की Maharashtra में आसान नहीं है राह, राज्य के लोगों ने गिनाया पुराना इतिहास
धानसभा चुनाव को लेकर महाराष्ट्र में सियासी जंग छिड़ चुकी है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल पार्टियां भाजपा औऱ महायुति सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहीं। हाल ही में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने पर कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी (एसपी) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना सड़कों पर उतर आयीं थीं।
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर महाराष्ट्र में सियासी जंग छिड़ चुकी है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल पार्टियां भाजपा औऱ महायुति सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहीं। हाल ही में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने पर कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी (एसपी) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना सड़कों पर उतर आयीं थीं। उन्हेंने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के पोस्टरों पर जूते तक मारे। मराठी आरक्षण समेत अन्य मुद्दों पर खुद को महाराष्ट्र की हितैषी साबित बताकर कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ माहौल तैयार करने में जुटी हुई हैं। कांग्रेस, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूटीबी) के लिए महाराष्ट्र की जनता क्या सोचती, आइए जानते है?
विपक्षी कांग्रेस और महायुति में शामिल पार्टियों के नेता वोटरों को साधने के लिए भले ही जितने भी दावे कर ले लेकिन राज्य की जनता का मानना है कि कांग्रेस महाराष्ट्र हितैषी नहीं बल्कि उसने महाराष्ट्र के प्रति स्पष्ट रूप से अपनी नापसंदगी दिखाई है। महाराष्ट्र के लोगों के कल्याण को कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने कभी भी प्राथमिकता नहीं दी और महाराष्ट्र की महान विभूतियों का अपमान किया है। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले,और सावरकर जैसे प्रमुख नेताओं को कांग्रेस के विरोध का सामना करना पड़ा है। वहीं पिछले कुछ समय में विपक्षी नेताओं के कार्यों और बयानों ने छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के सम्मान को लेकर महत्वपूर्ण विवाद और बहस को जन्म दिया है।
'छत्रपति शिवाजी को कांग्रेस ने "विश्वासघाती लुटेरा" बताया'
अपनी पुस्तक "डिस्कवरी ऑफ इंडिया" में जवाहरलाल नेहरू ने भी छत्रपति शिवाजी को "विश्वासघाती लुटेरा" कह कर उनका अपमान किया था। कांग्रेस ने इसके अलावा मध्य प्रदेश और बागलकोट में छत्रपति शिवाजी की मूर्तियां हटा दी हैं और मैंगलोर में उनका विरोध किया। पार्टी ने मुंबई को महाराष्ट्र को दिए जाने का भी विरोध किया और राज्य की अन्य प्रमुख हस्तियों का अपमान किया है।
'सत्ता के लिए उद्धव ठाकरे ने छोड़ा हिंदुत्व'
छत्रपति शिवाजी की विचारधारा के शरद पवार भी खिलाफ गए हैं। तो वहीं, हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वाली शिवसेना के मुखिया उद्धव ठाकरे सत्ता की लालसा में कांग्रेस के विचारों से तालमेल बिठाया है।
कांग्रेस ने किया महान विभूतियों की मूर्तियों का विरोध
कर्नाटक में कांग्रेस के नेता और मंत्री सतीश जारकीहोली ने छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में विवादास्पद बयान दिया और अनाप-सनाप दावे किए।
यूबीटी नेता संजय राऊत ने शिवाजी महाराज के वंशजों की वंशावली पर सवाल उठाया। उन्होंने श्री उदयन राजे भोसले को छत्रपति शिवाजी महाराज से अपनी वंशावली साबित करने की चुनौती दी।
कांग्रेस नेताओं ने कर्नाटक के मैंगलोर में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति लगाने का विरोध किया।
इसके अलावा, महाराष्ट्र की एमवीए सरकार ने अमरावती और दरियापुर में उनकी मूर्तियां हटा दीं।
एनसीपी (सपा) विधायक श्री जितेन्द्र आव्हाड ने कोल्हापुर के संभाजीराजे छत्रपति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। उन्होंने संभाजीराजे के वंश पर सवाल उठाया और सुझाव दिया कि उनके रक्त की जांच होनी चाहिए। एमवीए नेताओं पर किलों पर अवैध अतिक्रमण को संरक्षण देने और वक्फ बोर्ड द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि हड़पने का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है। उन्होंने मराठा साम्राज्य के दुश्मन औरंगजेब को भी श्रद्धांजलि दी है।
जितेन्द्र आव्हाड ने छत्रपति शिवाजी महाराज के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया और उनकी महानता पर सवाल उठाया। उन्होंने औरंगजेब और अफजल खान की प्रशंसा करते हुए दावा किया कि शिवाजी महाराज केवल उन्हीं के कारण महान हैं।
औरंगजेब की संजय राउत ने प्रशंसा की
औरंगजेब और मुगलों की प्रशंसा करते हुए यूबीटी नेता संजय राउत ने कहा कि उन्होंने कभी छत्रपति शिवाजी महाराज या छत्रपति संभाजी महाराज का अपमान नहीं किया। इसे मुगलों से स्वराज्य की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों के प्रति अनादर के रूप में देखा गया।
ऐतिहासिक दावे
एमवीए द्वारा प्रवर्तित इतिहासकार इंद्रजीत सावंत ने दावा किया कि छत्रपति परिवार के विकास के लिए एक दरगा जिम्मेदार था। कांग्रेस सरकार ने अफ़ज़ल खान वध के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया था और ऐसा करने के लिए शिवभक्तों के खिलाफ़ मामले दर्ज किए थे। महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने भिवंडी में शिव-जयंती जुलूस पर 14 साल तक प्रतिबंध लगा दिया। एनसीपी (सपा) अध्यक्ष श्री शरद पवार 40 साल बाद रायगढ़ आए।
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