सुबह-ए-बनारस क्लब की ओर से जेनेरिक दवाओं को लेकर चलाया गया जन जागरूकता अभियान
उपरोक्त अवसर पर बातचीत करते हुए संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल एवं महासचिव राजन सोनी ने कहा कि जब कोई दवा बनती है तो कंपनियां उसको पेटेंट करा लेती है। जिसकी वजह से वह दवा काफी महंगे मूल्य में बाजार में उपलब्ध हो पाती है।
वाराणासी। आम जनता की पहुंच से दूर होते जा रहे महंगे अंग्रेजी दवाओं के विकल्प के रूप में जन औषधि योजना के तहत आने वाले जेनेरिक दवाओं ने महंगे अंग्रेजी दवाओं के मूल्य से कई गुना सस्ती अपने 400 उत्पादों के साथ दवाओं की उपस्थिति बाजार में करा कर गरीब मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ है। इन जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल किए बिना ही किसी के संदेह करने की अपील के साथ लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से सामाजिक संस्था सुबह-ए- बनारस क्लब के बैनर तले संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल एवं महासचिव राजन सोनी के नेतृत्व में मैदागिन स्थित भारतेंदु पार्क में नित्य प्रतिदिन हजारों टहलने वाले लोगो के बीच जनहित में हाथों में जेनेरिक दवा का डिब्बा लेकर एक जन- जागरूकता अभियान चलाया गया।
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उपरोक्त अवसर पर बातचीत करते हुए संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल एवं महासचिव राजन सोनी ने कहा कि जब कोई दवा बनती है तो कंपनियां उसको पेटेंट करा लेती है। जिसकी वजह से वह दवा काफी महंगे मूल्य में बाजार में उपलब्ध हो पाती है। वही दवा जब पेटेंट के दायरे से बाहर आती है और उसी दवा को कई कंपनियां जब बनाती है तो वह दवा सस्ते मूल्य मे जेनेरिक दवा के रूप में बाजार में उपलब्ध हो जाती है। आजकल के मिलावटी खानपान जंक फूड के प्रति लोगों का रुझान पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रहे शुगर और ब्लड प्रेशर के पाए जाने वाले मरीज, दूषित वातावरण के वजह से घर के किसी ना किसी सदस्य के अंदर पनप रहे बीमारियों के कारण महंगाई के इस दौर में घर का मुखिया उस समय असहाय और लाचार हो जाता है।
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आज के इस आधुनिक युग में लोग इलाज के लिए महंगे हो चुके डॉक्टर के फीस एवं महंगे दवाओं के चक्कर में अपनी जमा पूंजी गंवा देते है। ऐसी स्थिति में मानसिक रूप से अपने आप को वह काफी असहाय व लाचार महसूस करता है। ऐसे जरूरतमंदों के लिए बाजार में वरदान के रूप में आए जन औषधि योजना के तहत जेनेरिक दवा बहुत हद तक राहत देने का कार्य कर रहा है। जन औषधि केंद्र पर बिकने वाली जेनेरिक दवाओं को लेकर शुरुआती चरण में इनकी गुणवत्ता को लेकर अफवाहें भी फैलाई गई। मगर वास्तविकता यह है कि इनकी गुणवत्ता चमकीली- भड़कीली पैकिंग में बिकने वाली अग्रेजी दवाओं से कहीं से भी कम नहीं है। कमीशन के चक्कर में फैलाया गए इसके दुष्प्रचार एवं जानकारी ना होने के कारण लोगों में इसके प्रति जागरूकता में काफी कमी है। जो कोई भी जेनेरिक दवा का इस्तेमाल एक बार कर लेता है। उसके बाद उसका रुझान खुद ब-खुद उसकी ओर हो जाता है।
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