गुजरात के गृह मंत्री के रूप में काफी लोकप्रिय रहे हैं हर्ष सांघवी

Harsh Sanghvi
ANI

हर्ष सांघवी ने बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार मेलों का आयोजन कराया और अपने निर्वाचन क्षेत्र सूरत में बुक बैंक स्थापित कराया। यह बुक बैंक हर्ष सांघवी द्वारा ऐसे लोगों के लिए कराया गया जो किताबें खरीदने में सक्षम नहीं है।

गुजरात के नए मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के कैबिनेट में एक ऐसे मंत्री को शामिल किया गया है जो सीएम के बराबर विभागों जितनी जिम्मेदारियां संभाल रहे है। इनका नाम है हर्ष सांघवी। ये गुजरात के गृह मंत्री है और गुजरात सरकार ने इन्हे 9 विभाग आवंटित किए हैं। इसमें गृह, आपदा प्रबंधन और पुलिस आवास, खेल, युवा एवं सांस्कृतिक गतिविधियां, एनआरआई, आबकारी और नशाबंदी, सीमा सुरक्षा जैसे विभाग शामिल है। भाजपा के शासन काल के दौरान 38 साल के युवा नेता हर्ष सांघवी से पहले प्रदीप सिंह जडेजा, अमित शाह, हरेन पांड्या और गोवर्धन जदाफिया गृह मंत्री के तौर पर कार्यरत रह चुके हैं।

हर्ष सांघवी कौन हैं?

महज 27 साल की उम्र में ही हर्ष सांघवी पहली बार माजुरा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित हो गए थे। वह साल 2012 में सबसे कम उम्र के विधायक बने। उससे पहले हर्ष 2010 में भाजपा युवा मोर्चा के राज्य प्रमुख थे। जब कोरोना महामारी से पूरे देश का हाल-बेहाल हो रखा था तो एक विधायक के तौर पर हर्ष सांघवी ने गुजरात में काबिले-तारिफ कार्य किए। महामारी के पहली और दूसरी लहर के दौरान हर्ष सांघवी ने कई सामाजिक कार्य किए जो कि काफी सराहनीय रहे। वह पहले ऐसे विधायक थे जिन्होंने सूरत नगर निगम हॉल में 200 आइसोलेशन वार्ड शुरू कराए। उपकरणों से लैस उनके आइसोलेशन वार्ड को देखकर कई अन्य विधायकों ने भी हर्ष सांघवी के कामों की तारीफ की थी। दूसरी लहर के दौरान हर्ष सांघवी खुद पीपीई किट पहनकर अस्पतालों का दौरा करते थे और गंभीर रोगियों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर और बेड की व्यवस्था कराई थी।

बेरोजगार और युवा के लिए भी किया काम

हर्ष सांघवी ने बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार मेलों का आयोजन कराया और अपने निर्वाचन क्षेत्र सूरत में बुक बैंक स्थापित कराया। यह बुक बैंक हर्ष सांघवी द्वारा ऐसे लोगों के लिए कराया गया जो किताबें खरीदने में सक्षम नहीं है। हर साल रोजगार मेलों के आयोजन ने हर्ष सांघवी को राज्य में एक यूथ आइकन बना दिया। हर्ष सांघवी ने आदिवासी क्षेत्रों में भी सराहनीय कार्य किया जिसके कारण आज वह गुजरात भाजपा में सबसे अधिक पसंदीदा युवा चेहरों में से एक बन चुके है। 

2014 लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी के लिए बने बैकरूम बॉय

जब 2014 के लोकसभा चुनाव चल रहे थे तब हर्ष सांघवी ने प्रधानमंत्री मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पहुंच एक बैकरूम बॉय की भूमिका निभाई। साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान हर्ष सांघवी ने सूरत में प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो को आयोजित करने में भी सरहानीय कार्य किया। बता दें कि हर्ष सांघवी ने पीएम मोदी की रैली के लिए 3डी लेजर शो आयोजित किया था। इसके अलावा रैली में 11 किलोमीटर लंबी एक साड़ी भी बांधी गई थी जिस पर विभिन्न सरकारी योजनाओं के नाम छपे थे।

हर्ष सांघवी जब विवादों में घिरे

कोरोना महमारी की दूसरी लहर के दौरान हर्ष सांघवी विवादों में घिर गए थे। बता दें कि हर्ष सांघवी ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एंटी-वायरल ड्रग रेमेडिसिविर की भारी कमी हो रही थी और इशके बावजूद उन्होंने 5,000 रेमेडिसिविर इंजेक्शन मुफ्त में बांट दिए थे। इसके कारण उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। बाद में उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट को बताया था कि ये दवाईयां केवल दया और मानवता के नाते जरूरतमंद मरीजों को बांटी गई थीं।

जब मसीहा बने हर्ष सांघवी

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी जब अपने काफिले के साथ जा रहे थे। इस दौरान उन्होंने सूरत पाल उमरा ब्रिज पर देखा कि एक महिला सुसाइज करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने तुरंत अपना काफिला रुकवाया था और महिला को सुसाइड करने से रोका था। सांघवी का महिला की जान बचाते हुए का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। उन्होंने महिला को 5 मिनट तक समझाया था। इससे पहले भी सांघवी ने रेप को लेकर एक बायन दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि बलात्कार के लिए मोबाइल पर उपलब्ध गंदे वीडियो भी जिम्मेदार हैं। इसके लिए केवल पुलिस को दोष नहीं देना चाहिए। सांघवी ने कहा थी कि मोबाइल फोन पर गंदे वीडियो तक आसानी से पहुंच बन जाती है और यह समाज की विकृत मानसिकता बलात्कार के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक है।

सूरत- एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र

युवाओं, बेरोजगारों और आदिवासियों के लिए काम करना आज उनकी सफलता का बड़ा कारण है। वह पीएम मोदी के विदेश दौरों से पहले ही भारतीय प्रवासियों तक संपर्क बना लेते थे। अब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले राज्य  खासकर सूरत में प्रशासन पर नजर रखने के लिए हर्ष सांघवी को गृह विभाग मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। बता दें कि सूरत भाजपा के लिए काफी अहम है क्योंकि यह 2015-16 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन का केंद्र रह चुका है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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