Jan Gan Man: नेहरू के योगदान को नहीं मिटा रहे, मोदी तो लगातार देश के प्रथम प्रधानमंत्री की गलतियां सुधार रहे हैं

Modi Nehru
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कांग्रेस को समझना होगा कि यह स्थान पहले सिर्फ एक व्यक्ति के नाम पर जाना जाता था लेकिन जबसे यहां देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित संग्रहालय बना है तबसे यह आधुनिक भारतीय इतिहास की धरोहर बन गया है।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का सरकारी आवास रहे तीन मूर्ति भवन स्थित नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) का नाम अब आधिकारिक तौर पर बदल कर प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसाइटी कर दिया गया है। इस पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस ने कहा है कि पंडित नेहरू का योगदान मिटाया नहीं जा सकता और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। वहीं प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद का कहना है कि नाम का बदला जाना समाज के लोकतंत्रीकरण और विविधीकरण के अनुरूप है। मगर कांग्रेस ने इस बयान से संतुष्ट होने की बजाय अधिक आक्रामक होते हुए आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी जी भय, पूर्वाग्रह और असुरक्षा से घिरे हुए हैं, खासकर जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री की आती है तब उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारना, विकृत करना, बदनाम करना और नष्ट करना है। कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू के विशाल योगदान और भारत राष्ट्र-राज्य की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदार नींव के निर्माण में उनकी महान उपलब्धियों को कभी भी मिटा नहीं सकते। 

देखा जाये तो कांग्रेस का इस तरह भड़कना दर्शाता है कि यह पार्टी कभी एक परिवार की गुलामी की मानसिकता से बाहर नहीं निकल सकती। कांग्रेस को समझना होगा कि यह स्थान पहले सिर्फ एक व्यक्ति के नाम पर जाना जाता था लेकिन जबसे यहां देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित संग्रहालय बना है तबसे यह आधुनिक भारतीय इतिहास की धरोहर बन गया है। एक की बजाय भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के गुणों और उपलब्धियों से परिचित कराता यह स्थल भारत के मजबूत लोकतंत्र को भी दर्शाता है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जिस तरह कुछ समय पहले तक सिर्फ नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर स्मारक बने हुए थे वह देश-विदेश की जनता को सिर्फ एक परिवार के योगदान से ही परिचित कराते थे जबकि देश के लिए अन्य लोगों ने भी त्याग और बलिदान किये हैं। लालबहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई, नरसिंह राव, एचडी देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, चंद्रशेखर, वीपी सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह की उपलब्धियां क्या किसी से कम थीं? क्यों कांग्रेस इतिहास में इन्हें कोई स्थान नहीं देना चाहती थी? 

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जहां तक कांग्रेस का यह आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के योगदान को मिटाना चाहते हैं तो यहां पार्टी को समझने की जरूरत है कि मोदी नेहरू के योगदान या उनकी उपलब्धियों को मिटा नहीं रहे बल्कि उनकी गलतियों को सुधार रहे हैं। मोदी ने देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल को समर्पित विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाकर उन्हें वह सम्मान दिया जोकि नेहरू और कांग्रेस ने उन्हें नहीं दिया था। मोदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर नेहरू की सबसे बड़ी गलती को सुधारा। इसके बाद मोदी ने उस राजदंड को देश के नये संसद भवन में स्थापित किया जो आजादी के समय नेहरू को अभिमंत्रित कर सौंपा गया था। लेकिन नेहरू ने उसका सही सम्मान नहीं किया और उसे दिल्ली से दूर प्रयागराज के एक संग्रहालय में भेज दिया था। लेकिन मोदी उस ऐतिहासिक सेंगोल यानि राजदंड को वापस लाये और उसे ससम्मान लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया गया।

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