Modi in Gujarat: शिक्षकों को प्रधानमंत्री मोदी ने दिया मंत्र, कहा- मातृभाषा में शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार दे रही ध्यान

Prime Minister Modi
ANI
अंकित सिंह । May 12 2023 12:11PM

मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मेरी पहली विदेश यात्रा भूटान की हुई थी और भूटान राज परिवार के सीनियर ने मुझे गर्व से बताया कि मेरी पीढ़ी के जितने लोग भूटान में हैं, उन सब को हिंदुस्तान के शिक्षकों ने पढ़ाया-लिखाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आद गुजरात पहुंचे हैं। गांधीनगर में प्रधानमंत्री मोदी ने अखिल भारतीय शिक्षा संघ अधिवेशन को संबोधित किया। इस दौरान मोदी ने कहा कि जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है ऐसे में शिक्षकों की भूमिका और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि एक ज़माने में गुजरात में ड्रॉप आउट रेट 40% के आसपास रहता था लेकिन आज यह 3% रह गया है। यह गुजरात के शिक्षकों के सहयोग से ही हो पाया है। मोदी ने कहा कि गुजरात में शिक्षकों के साथ मेरे जो अनुभव रहे, उसने राष्ट्रीय स्तर पर भी नीतियां बनाने में हमारी काफी मदद की है। जैसे- स्कूलों में शौचालय न होने के कारण बड़ी संख्या में बेटियां स्कूल छोड़ देती थीं। इसलिए हमने विशेष अभियान चलाकर स्कूलों में बेटियों के लिए अलग से शौचालय बनवाए।

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मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मेरी पहली विदेश यात्रा भूटान की हुई थी और भूटान राज परिवार के सीनियर ने मुझे गर्व से बताया कि मेरी पीढ़ी के जितने लोग भूटान में हैं, उन सब को हिंदुस्तान के शिक्षकों ने पढ़ाया-लिखाया है। ऐसे ही जब मैं सऊदी अरब गया तो वहां के किंग ने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं क्योंकि बचपन में मेरा शिक्षक तुम्हारे देश का था… तुम्हारे गुजरात का था। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी के छात्रों की जिज्ञासा, उनका कौतूहल, एक नया चैलेंज लेकर आया है। ये छात्र आत्मविश्वास से भरे हैं, वो निडर हैं। उनका स्वभाव टीचर को चुनौती देता है कि वो शिक्षा के पारंपरिक तौर-तरीकों से बाहर निकलें।

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नरेंद्र मोदी ने कहा कि छात्रों के पास सूचना के अलग-अलग स्रोत हैं। इसने भी शिक्षकों के सामने खुद को update रखने की चुनौती पेश की है। इन चुनौतियों को एक टीचर कैसे हल करता है, इसी पर हमारी शिक्षा व्यवस्था का भविष्य निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा तरीका ये है कि इन चुनौतियों को personal और professional growth अवसर के तौर पर देखा जाए। ये चुनौतियां हमें learn, unlearn और re-learn करने का मौका देती हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि आजादी के बाद से माता-पिता द्वारा हिंदी को शिक्षा की भाषा के रूप में नजरअंदाज करते हुए अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को शिक्षित करने की ओर झुकाव शुरू हुआ। लेकिन यह बड़े सौभाग्य की बात है कि आज सरकार मातृभाषा में शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में अच्छी तरह से ध्यान दे रही है। यह न केवल हमारी भाषाओं और संस्कृति को मजबूत कर रहा है, बल्कि लाखों शिक्षकों के करियर की संभावनाओं को भी मजबूत कर रहा है।

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