कभी कहा जाता था IAS की फैक्ट्री, आज उसी प्रयागराज के विद्यार्थी बन रहे बमबाज, चरम पर गैंगवार
पुलिस के मुताबिक यह सभी शहर के चार बड़े ही प्रतिष्ठित स्कूलों से हैं। पुलिस के मुताबिक शहर में बच्चों के बीच बड़ी गैंगवार की वजह से इस तरह की घटनाएं हो रही है। स्कूली बच्चे हीरो बनने के चक्कर में दूसरे बच्चों पर रौब दिखाते हैं और इसके लिए बमबाजी एक आसान हथियार बनता जा रहा है।
उत्तर भारत के किसी सामान्य परिवार में जाकर यह बात पूछें कि आप अपने बच्चों को भविष्य में क्या बनाना चाहते हैं? 10 में से 5 घरों से आपको जवाब यह जरूर मिलेगा कि हम अपने बच्चों को सरकारी अधिकारी बनाना चाहते हैं। अगर उनसे आप यह बात पूछते हैं कि इसकी तैयारी लिए आप अपने बच्चों को कहां भेजेंगे, तो पहला नाम इलाहाबाद (जो अब प्रयागराज हो चुका है) का नाम आएगा। प्रयागराज को आईएएस-पीसीएस का फैक्ट्री कहा जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां विद्यार्थी सिविल परीक्षा की तैयारियों के लिए पहुंचते हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात तो यह है कि आज उसी प्रयागराज के स्कूली बच्चे बमबारी की घटनाओं में लिप्त पाए जा रहे हैं। पिछले 3 महीनों के बाद करें तो प्रयागराज के विभिन्न हिस्सों में सात रहस्य में बमबारी हुई थी। पुलिस ने इस मामले में छह और छात्रों को हिरासत में ले लिया है। कुल मिलाकर देखें तो अब तक 35 छात्रों को हिरासत में लिया गया है जिनमें से 27 नाबालिक है।
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पुलिस के मुताबिक यह सभी शहर के चार बड़े ही प्रतिष्ठित स्कूलों से हैं। पुलिस के मुताबिक शहर में बच्चों के बीच बड़ी गैंगवार की वजह से इस तरह की घटनाएं हो रही है। स्कूली बच्चे हीरो बनने के चक्कर में दूसरे बच्चों पर रौब दिखाते हैं और इसके लिए बमबाजी एक आसान हथियार बनता जा रहा है। पुलिस की ओर से तो दावा यह भी किया गया है कि अलग-अलग स्कूलों के इन बच्चों ने सोशल मीडिया पर भी अपना गिरोह बना लिया है। छात्रों की ओर से इन गिरोह के वर्चस्व को स्थापित करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए लगातार बमबारी की घटनाएं की जाती है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश पांडेय के मुताबिक ये बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का गलत ढंग से इस्तेमाल कर रहे हैं और देसी बम बनाने के लिए यूट्यूब और अन्य चैनलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ये बच्चे इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ग्रुप बनाकर उस पर वीडियो शेयर कर रहे हैं और दूसरों समूहों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर रहे हैं।
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पुलिस की ओर से स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता से भी अपील की जा रही है कि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें। ऐसा करने से उन्हें अपराध की दुनिया में जाने से बचाया जा सकता है। शैलेश पांडेय ने आगे बताया है कि बमबाजी की घटनाओं में शामिल छात्रों ने इमोर्टल, तांडव और माया नाम से सोशल मीडिया पर ग्रुप बना रखा है। उल्लेखनीय है कि इन छात्रों द्वारा गत 15 जुलाई को महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर पर आपसी विवाद के बाद बमबाजी की गई थी। इसके अगले ही दिन 16 जुलाई को पतंजलि ऋषिकुल विद्यालय के बाहर बम फोड़कर दहशत फैलाई गई। इसके बाद छात्र 22 जुलाई को बीएचएस के गेट के सामने बम फेंककर भाग गए।
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नगर के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता बाबा अभय अवस्थी ने प्रयागराज में बमबाजी के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1971 में नक्सलवादी आंदोलन में फरार राजू नक्सलाइट ने प्रयागराज में लोगों को बम बनाना सिखाया। उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे बम बनाने की विधा इस नगर में फैलती रही और धीरे धीरे यह शरारती स्कूली बच्चों में फैल गई। उनके अनुसार सन् 1971 से पहले यहां चाकूबाजी चलती थी, लेकिन बमबाजी से बदमाश अपराध जगत में हीरो बन जाते हैं। अवस्थी ने बताया कि बम बनाने में गंधक, पोटाश और मेंसल का उपयोग किया जाता है और ये सामग्री बड़ी आसानी से उपलब्ध है।
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