Prajatantra: PM Modi के ध्यान पर सियासी बवाल, विपक्ष उठा रहा सवाल, BJP ने आस्था से जोड़ा, जानें क्या कहता है नियम?

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ANI
अंकित सिंह । May 30 2024 4:59PM

कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से पहले की साइलेंस पीरियड के दौरान कन्याकुमारी के ‘रॉक मेमोरियल’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ध्यान कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाई जाए क्योंकि यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण से पहले अपनी 'ध्यान परंपरा' को जारी रखते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 30 मई से 1 जून तक तमिलनाडु के कन्याकुमारी की अपनी तीन दिवसीय यात्रा करेंगे। सप्ताह भर चलने वाला चुनाव प्रचार आज समाप्त हो रहा है। उनका आध्यात्मिक प्रवास 4 जून को लोकसभा चुनाव परिणामों की घोषणा से कुछ दिन पहले हुआ है। पीएम मोदी की विवेकानंद रॉक मेमोरियल की ध्यान यात्रा काफी हद तक वैसी ही है जैसी उन्होंने 2019 और 2014 में लोकसभा चुनाव का मौसम खत्म होने के बाद की थी। जहां 2019 में उन्होंने केदारनाथ का दौरा किया, वहीं 2014 में उन्होंने प्रतापगढ़ का दौरा किया। हालांकि, इसको लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहे है। 

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विपक्ष का सवाल

कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान से पहले की साइलेंस पीरियड के दौरान कन्याकुमारी के ‘रॉक मेमोरियल’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ध्यान कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाई जाए क्योंकि यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस को प्रधानमंत्री के ध्यान से नहीं, बल्कि इसके चुनाव की शांत अवधि में होने पर आपत्ति है। सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘साइलेंस पीरियड में कोई भी नेता प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष तौर पर प्रचार नहीं कर सकता। हमें किसी नेता के प्रचार और मौन व्रत पर आपत्ति नहीं है, लेकिन साइलेंस पीरियड़ में चुनाव प्रचार नहीं होना चाहिए।’’ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि यदि कन्याकुमारी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ध्यान का टेलीविजन पर प्रसारण किया जाता है तो उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस निर्वाचन आयोग से शिकायत करेगी।

भाजपा का तर्क

बीजेपी नेता सीआर केसवन ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी के नक्शेकदम पर कन्याकुमारी में रॉक मेमोरियल की मोदी जी की यात्रा, जहां स्वामी को ज्ञान प्राप्त हुआ था, का अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व है। हमने अतीत में देखा है कि मोदी जी ने भारत में विभिन्न स्थानों का दौरा करके ताकत और प्रेरणा ली है। विपक्ष घबरा गया है और डर रहा है कि वे 2024 का यह चुनाव हारने जा रहे हैं। और वे परेशान हैं। उन्होंने कहा कि जनता कांग्रेस और इंडी गठबंधन की इस नकारात्मक राजनीति को खारिज कर देगी। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस और INDI गठबंधन के मानसिक दिवालियापन की कोई सीमा नहीं है। अगर कोई तपस्या पर जाना चाहता है, वह भी तब जब चुनाव प्रचार 30 मई को समाप्त हो रहा है, क्योंकि उस व्यक्ति ने स्वामी विवेकानन्द से प्रेरणा ली है, तो कांग्रेस पार्टी इसे आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन बता रही है। पहले उन्होंने राम मंदिर का विरोध किया, सनातन को डेंगू बताया और अब कांग्रेस और INDI गठबंधन को किसी के तपस्या पर जाने से दिक्कत है। राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि वह अक्सर तपस्या के लिए विदेश जाते हैं।


मोदी का कार्यक्रम

मोदी 30 मई की शाम से एक जून की शाम तक ध्यान मंडपम में ध्यान लगाएंगे। प्रधानमंत्री यहां के प्रसिद्ध श्री भगवती अम्मन मंदिर में पूजा भी कर सकते हैं। एक जून को अपनी रवानगी से पहले प्रधानमंत्री मोदी संभवतः तमिल कवि तिरुवल्लुवर की 133 फुट ऊंची प्रतिमा को भी देखने के लिए जा सकते हैं। यह प्रतिमा रॉक मेमोरियल के ठीक बगल में स्थित है। मोदी की यात्रा से पहले सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उनके प्रवास के दौरान दो हजार पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे, साथ ही भारतीय तटरक्षक बल और भारतीय नौसेना भी कड़ी निगरानी रखेगी।

स्थान का महत्व

मोदी का विवेकानन्द रॉक मेमोरियल में ध्यान करने का निर्णय महत्वपूर्ण है। प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक के नाम पर स्थित, ऐसा माना जाता है कि 1892 में स्वामी विवेकानन्द ध्यान करने के लिए तैरकर इस चट्टानी टापू पर आये थे। उनके अनुयायियों का मानना ​​है कि इन तीन दिनों के ध्यान के बाद ही विवेकानन्द को ज्ञान प्राप्त हुआ था। कन्याकुमारी भारत के सबसे दक्षिणी सिरे पर स्थित है, जहाँ देश की पूर्वी और पश्चिमी तटरेखाएँ मिलती हैं। यह वह बिंदु है जहां हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर मिलते हैं।

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MCC क्या कहता है?

भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा 'साइलेंस पीरियड' का उपयोग 48 घंटे की अवधि का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जिसके दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को प्रचार करने की अनुमति नहीं होती है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत, इस अवधि के दौरान सभी चुनाव प्रचार बंद हो जाते हैं जो मतदान की समाप्ति के साथ समाप्त होते हैं। राजनेताओं से लेकर मीडिया तक, सभी से अपेक्षा की जाती है कि मौन अवधि लागू होने पर वे मतदाताओं को प्रभावित करने से बचें। टेलीविजन या अन्य समान उपकरणों के माध्यम से किसी भी चुनावी मामले जैसे जनमत सर्वेक्षण का प्रदर्शन भी प्रतिबंधित है। धारा 126 के तहत "चुनावी मामला" किसी भी ऐसे मामले को संदर्भित करता है जिसका उद्देश्य "चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने या प्रभावित करने का इरादा या गणना की गई हो।" इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से राजनीतिक विज्ञापनों की भी अनुमति नहीं है।

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