राजनीतिक दांव-पेच में जुटे बिहार के सियासी दल, चुनावी तैयारियों को लेकर हलचल तेज
अमित शाह ने कहा कि इस रैली को बिहार विधानसभा से चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए लेकिन खुद उन्होंने ही इस बात का दावा भी कर दिया कि आने वाले चुनाव में हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने बिहार में जनसंवाद रैली से राजनीतिक हलचल तेज कर दी हैं। भाजपा जहां इस रैली के माध्यम से लोगों के जहन में इस बात का एहसास कराने में कामयाब हो पाई कि इस साल बिहार में विधानसभा के चुनाव है। तो वहीं विपक्ष को भी उसने राजनीतिक रूप से तैयार होने का मौका दे दिया। भाजपा के इस रैली के बाद पूरी पार्टी दमखम के साथ बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों में जुट गई है। अमित शाह ने कहा कि इस रैली को बिहार विधानसभा से चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए लेकिन खुद उन्होंने ही इस बात का दावा भी कर दिया कि आने वाले चुनाव में हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं।
अमित शाह की रैली से ठीक 1 दिन पहले लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने यह कहकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी थी कि मुख्यमंत्री का चेहरा तो भाजपा को तय करना है। नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहे या नहीं रहे हमारी पार्टी तो रहेगी। चिराग के इस बयान के बाद राजनीतिक कयास शुरू हो गए। राजनीतिक पंडित यह मानने लगे कि बिहार में एनडीए में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। उधर भाजपा के भी कुछ नेताओं से गाहे-बगाहे नीतीश कुमार के खिलाफ बयान निकल ही जाते है। कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों को वापस बुलाने में नीतीश का रवैया काफी चर्चा में रहा। इसे लेकर एनडीए भी खुद असहज हो गया। भाजपा और लोजपा प्रवासियों को बुलाने के लिए लगातार नीतीश पर दबाव बनाते रहे।"बढ़ते बिहार के क़दमों को, हम रुकने नहीं देंगे'
— BJP Bihar (@BJP4Bihar) June 8, 2020
वह देश नहीं झुकने देगा, हम उसे नहीं झुकने देंगे"
बिहार के विभिन्न जिलों में भाजपा के पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ द्वारा किया गया #बिहार_जनसंवाद का आयोजन pic.twitter.com/vQUhV9KE0Q
खैर, भाजपा द्वारा हर बार यही कहा जाता है कि वह आने वाले चुनाव में नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में मैदान में उतरेगी और चुनाव बाद नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनेगी। बातों से ऐसा लगता है कि भाजपा आलाकमान भी यह मान चुका है कि बिहार में नीतीश कुमार के अलावा उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। नीतीश कुमार भी आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए रणनीतिक तौर पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। जदयू भी भाजपा की राह पर चलते हुए जनसंवाद को तकनीक के जरिए बढ़ाने की कोशिश में जुट गई है। इस बीच अमित शाह की रैली के बाद सबसे ज्यादा सक्रिय विपक्ष हो गया। चाहे विपक्ष कोरोना काल में इसे भाजपा द्वारा जनता के साथ किया गया क्रूर मजाक कह रहा हो लेकिन खुद वह अब चुनावी तैयारियों में जुट गया है।देशवासी कह रहे है कि बिहार के CM को डर लगता है। सरकारी मशीनरी और संसाधनों का दुरूपयोग करते हुए आप प्रतिदिन घंटो अपने नेताओं से वीडियो कांफ़्रेंस करते है लेकिन आम जनता को आपने पूछा तक नहीं। क्वारंटाइन सेंटरो में आपने जनता की क्या दुर्गति की यह किसी से छुपा नहीं है। अब तो जागिए
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 9, 2020
लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद से महागठबंधन में पैदा हुई दरार अभी भी भरने का नाम नहीं ले रही है। सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में जंग छिड़ी हुई है। इसके अलावा महागठबंधन किसके चेहरे पर बिहार विधानसभा चुनाव में जाएगी इसको लेकर भी संशय बना हुआ है। वीआईपी पार्टी हो या फिर जीतन राम मांझी कि हम पार्टी, सभी सीटों पर अपने अपने तरीके से दावा ठोक रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी जैसे वरिष्ठ नेता तेजस्वी को महागठबंधन के नेता के तौर पर पेश किए जाने के खिलाफ है। महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल आरजेडी इस मुद्दे पर किसी से समझौता करने के मूड में नहीं है। सीट बंटवारे के दबाव के बीच तेज प्रताप, तेजस्वी यादव और स्वयं राबड़ी देवी सत्ता पक्ष को घेर रहे हैं। आलू की अनुपस्थिति में तेजस्वी यादव के ऊपर अपनी पार्टी की नैया को बिहार में पार लगाने की अहम जिम्मेदारी है।The political activities in #Bihar have intensified with the assembly elections approaching fast as parties from both sides of the alliances are weighing their options.
— IANS Tweets (@ians_india) June 6, 2020
On Friday,the three parties belonging to grand alliance of opposition met & discussed the options before them. pic.twitter.com/VpLbnElIpI
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