Sheikh Rashid को जमानत मिलने से Kashmir में बदलेगा राजनीतिक माहौल, Abdullah और Mufti के बिगड़ेंगे समीकरण
रशीद का नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली के खिलाफ जांच के दौरान सामने आया था। वटाली को एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी संगठनों और अलगाववादियों का वित्त पोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
दिल्ली की एक अदालत ने टैरर फंडिंग मामले में जेल में बंद लोकसभा सदस्य इंजीनियर रशीद को दो अक्टूबर तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी ताकि वह जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में प्रचार कर सकें। हम आपको बता दें कि इंजीनियर रशीद ने लोकसभा चुनावों के दौरान जेल में रहते हुए ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को बारामूला सीट पर हरा दिया था। शेख अब्दुल रशीद को इंजीनियर रशीद के नाम से भी जाना जाता है। उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में बढ़-चढ़कर भाग ले रही है। इंजीनियर रशीद के जेल से बाहर आने से कश्मीर घाटी में राजनीतिक माहौल पूरी तरह बदल सकता है। अब तक कश्मीर घाटी में नेशनल कांफ्रेंस का दबदबा माना जा रहा था और उसका मुख्य मुकाबला पीडीपी के साथ होता हुआ लग रहा था लेकिन इंजीनियर रशीद के साथ लोगों का भावनात्मक जुड़ाव तब और बढ़ने की संभावना है जब वह यह देखेंगे कि वोट मांगने खुद इंजीनियर रशीद आ रहे हैं। अब तक इंजीनियर रशीद की पार्टी के उम्मीदवारों के प्रचार की जिम्मेदारी उनके बेटे बेटी ने संभाल रखी थी लेकिन अब खासतौर पर कश्मीर घाटी के हालात में जोरदार परिवर्तन आने की संभावना है।
हम आपको बता दें कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह ने इंजीनियर रशीद की जमानत याचिका पर बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान याचिका पर दलीलों को सुना था और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायाधीश ने इस संबंध में 20 अगस्त को एनआईए को एक नोटिस जारी किया था और उसे याचिका पर 28 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। हम आपको यह भी याद दिला दें कि अदालत ने तिहाड़ जेल में बंद रशीद को सांसद के तौर पर शपथ लेने के लिए पांच जुलाई को पैरोल दी थी। रशीद 2017 में आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 2019 से जेल में हैं।
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रशीद का नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली के खिलाफ जांच के दौरान सामने आया था। वटाली को एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी संगठनों और अलगाववादियों का वित्त पोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। एनआईए ने इस मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन समेत कई लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
हम आपको यह भी बता दें कि इंजीनियर रशीद को ऐसे समय में जमानत मिली है जब पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक दिन पहले ही रशीद की ‘अवामी इत्तेहाद पार्टी’ (एआईपी) पर भाजपा की ‘छद्म’ पार्टी होने का आरोप लगाया था। महबूबा ने अनंतनाग जिले के खानाबल इलाके में संवाददाताओं से कहा, ‘‘रशीद जेल में हैं। (पीडीपी संस्थापक) मुफ्ती (मोहम्मद सईद) को पार्टी खड़ी करने में 50 साल लग गए। हर सीट पर उम्मीदवार उतारने के लिए हमारे पास अब भी संसाधन नहीं हैं। उनके (इंजीनियर के) संगठन के पीछे कौन है क्योंकि उनके उम्मीदवार हर जगह उतारे जा रहे हैं, पैसा कहां से आ रहा है? गुंडागर्दी करने का साहस उन्हें कहां से मिल रहा है?’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सरकार ने एआईपी जैसी नयी छद्म पार्टियां खड़ी की हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से पूछना चाहती हूं कि जब आपकी सभी छ्दम पार्टियां नाकाम हो गई हैं तो क्या आप फिर से एक छद्म पार्टी लाए है? आप इंजीनियर रशीद की पार्टी को सामने लाए और आप उन्हें पैसों तथा हर चीज से मदद कर रहे हैं, फिर हमें साफ-साफ बताएं कि क्या अन्य दलों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।’’ उन्होंने जम्मू-कश्मीर की अवाम को आगाह किया कि वे छ्द्म पार्टियों के प्रभाव में न आएं। महबूबा ने कहा, ‘‘ये सभी पार्टियां निर्दलीय उम्मीदवारों की आड़ में, एआईपी की आड़ में निश्चित रूप से कहीं से धन प्राप्त कर रही हैं। उन्हें ऐसे संसाधन कहां से मिल रहे हैं? लोगों को इस बारे में सोचना होगा।’’
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