सर्जरी के जरिए बदली गुजरात की तस्वीर, पीएम मोदी ने अहमदाबाद में विपक्ष पर बोला हमला

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प्रतिरूप फोटो
ANI

उन्होंने कहा, ' गुजरात कई बीमारियों से ग्रसित था।एक बीमारी स्वास्थ्य देखभाल में पिछड़ापन था...जैसे कोई लोगों की बीमारी को ठीक करता है, वैसे ही हम कई बीमारियों की स्थिति को ठीक करने के लिए यह ‘मुक्ति यज्ञ’ कर रहे हैं। और हम राज्य को ठीक करने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि दो दशक पहले गुजरात कई बीमारियों से ग्रसित था और उनकी सरकार ने पुरानी व्यवस्था को बदलने के लिये “सर्जरी” की। उन्होंने कहा कि 20-25 साल पहले जनता के लिये साफ मंशा और संवेदनशीलता की कमी थी जिसने राज्य के स्वास्थ्य देखभाल तंत्र को कमजोर किया। अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल (असरवा) में 1,275 करोड़ रुपये की स्वास्थ्य सुविधाओं की शुरुआत करने के बाद प्रधानमंत्री लोगों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “ गुजरात कई बीमारियों से ग्रसित था।एक बीमारी स्वास्थ्य देखभाल में पिछड़ापन था...जैसे कोई लोगों की बीमारी को ठीक करता है, वैसे ही हम कई बीमारियों की स्थिति को ठीक करने के लिए यह ‘मुक्ति यज्ञ’ कर रहे हैं। और हम राज्य को ठीक करने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि एक डॉक्टर मरीज को ठीक करने के लिए दवा, सर्जरी और उचित देखभाल की सलाह देता है।

चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने कहा, “अगर मैं एक ही बात को अलग तरीके से रखूं, तो गुजरात की स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार के लिए, मेरी सरकार ने इन तीनों प्रक्रियाओं को अपनाया।” उन्होंने कहा, “सर्जरी का अर्थ है पुरानी व्यवस्था में बदलाव लाना। मेरी सर्जरी का तरीका कैंची को निष्क्रियता, ढिलाई और भ्रष्टाचार की ओर ले जाना है। फिर दवा आती है, जिसका अर्थ है नई प्रणालियों, मानव संसाधन, बुनियादी ढांचे, नए अस्पतालों के निर्माण व नवाचार को विकसित करने के लिए हर दिन नए प्रयास करना। और तीसरा है देखभाल, जो गुजरात के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।”

मोदी ने कहा कि गुजरात जिन अन्य “बीमारियों” से पीड़ित है उनमें शिक्षा, कुशासन, बिजली और पानी की कमी, कुप्रशासन और खराब कानून-व्यवस्था की स्थिति थी। उन्होंने कहा कि इन सभी बीमारियों की जड़ में जो “सबसे बड़ी बीमारी” थी वह “वोट बैंक की राजनीति” थी। ‘‘अगर सरकारें स्वस्थ नहीं हैं और उनकी मंशा साफ नहीं है, तो वे संवेदनशीलता के साथ जनता से नहीं जुड़ सकतीं।’’ उन्होंने कहा कि इससे स्वास्थ्य ढांचा कमजोर होता है।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने सावधानी और संवेदनशीलता के साथ काम किया। उन्होंने कहा, “हम लोगों के बीच गए, उनकी समस्याओं को साझा किया, और इतना ही नहीं ... मैं विनम्रता के साथ कह सकता हूं कि गुजरात पहला राज्य था (ऐसा करने वाला) जब हमने न केवल मनुष्यों के लिए बल्कि पशुओं के लिए भी स्वास्थ्य शिविर लगाए।” उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान किए गए ‘वन अर्थ, वन हेल्थ (एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य)’ के अपने आह्वान का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें यह देखकर दुख हुआ कि कुछ देशों को कोविड-19 रोधी टीकों की एक भी खुराक नहीं मिली जबकि अन्य देशों में लोगों को चार या पांच खुराकें मिल चुकी थीं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे काफी दुख हुआ, और तब भारत ने दुनिया को टीकों की आपूर्ति करने का मिशन शुरू किया।” उन्होंने कहा कि गुजरात में मिले सबक का फायदा उन्हें प्रधानमंत्री बनने पर मिला। मोदी ने कहा, “आठ वर्षों में, हमने भारत के विभिन्न हिस्सों में 22 नए एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) स्थापित किए हैं। इसका फायदा गुजरात को भी मिला है। राजकोट को मिला नया एम्स।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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