'मन की बात' कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी- चीतों के लौटने से देश में खुशी, नामकरण को लेकर लोगों से मांगे सुझाव
मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि खादी, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट इन सारे प्रोडक्ट के साथ लोकल सामान जरूर खरीदें। हमने देखा है त्योहारों पर पैकिंग और पैकेजिंग के लिए पॉलीथिन बैग्स का भी इस्तेमाल होता रहा है। स्वच्छता के पर्वों पर पॉलीथिन नुकसानकारक कचरा, ये भी हमारे पर्वों की भावना के खिलाफ है।
मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे त्योहारों के साथ देश का एक नया संकल्प भी जुड़ा है। यह संकल्प 'वोकल फॉर लोकल' का है। आने वाले 2 अक्टूबर को बापू की जयंती के मौके पर इस अभियान को और तेज़ करने का संकल्प लेना है। खादी, हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट इन सारे प्रोडक्ट के साथ लोकल सामान जरूर खरीदें। हमने देखा है त्योहारों पर पैकिंग और पैकेजिंग के लिए पॉलीथिन बैग्स का भी इस्तेमाल होता रहा है। स्वच्छता के पर्वों पर पॉलीथिन नुकसानकारक कचरा, ये भी हमारे पर्वों की भावना के खिलाफ है।
इसे भी पढ़ें: तीन दिवसीय दौरे पर जम्मू कश्मीर जाएंगे अमित शाह, राजौरी-बारामूला में करेंगे 'महारैली'
चीतों की बात करने के लिए ढेर सारे मैसेज आए हैं। देश के कोने-कोने से लोगों ने भारत में चीतों के लौटने पर खुशियां जताई हैं। मैं आप सबको कुछ-कुछ काम सौंप रहा हूं, इसके लिए MyGovके प्लेटफॉर्म पर, एक कंपटीशन आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोगों से मैं कुछ चीजें शेयर करने का आग्रह करता हूं। पीएम मोदी ने कहा कि 25 सितंबर को देश के प्रखर मानवतावादी, चिंतक और महान सपूत दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मदिन मनाया जाता है। दीनदयाल जी का 'एकात्म मानवदर्शन' एक ऐसा विचार है, जो विचारधारा के नाम पर द्वन्द्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है।
इसे भी पढ़ें: अजातशत्रु दीनदयाल जी के सपनों का भारत बना रहे हैं नरेन्द्र मोदी
भारत में वर्षों से एक बड़ी दिक्कत ये थी कि साइन लैंग्वेज के लिए कोई स्पष्ट हाव-भाव तय नहीं थे। 2015 में इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना हुई थी। ये संस्थान अब तक 10,000 शब्दों और भाव की डिक्शनरी तैयार कर चुका है। भगत सिंह जी की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरुप चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम अब शहीद भगत सिंह जी के नाम पर रखा जाएगा। आपने भी देखा होगा कि लोग आगे आकर किसी ना किसी टीबी से पीड़ित मरीज को गोद ले रहे हैं। ही पोषण से, सही समय पर मिली दवाइयों से, टीबी का इलाज संभव है। झे विश्वास है कि जनभागीदारी की इस शक्ति से वर्ष 2025 तक भारत जरूर टीबी मुक्त हो जाएगा।
अन्य न्यूज़