'गीता प्रेस एक संस्था नहीं, जीवंत आस्था है, PM Modi बोले- आज देश विकास और विरासत साथ लेकर चल रहा है
मोदी ने कहा कि गीता प्रेस विश्व का ऐसा एकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं बल्कि एक जीवंत आस्था है। गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों लोगों के लिए किसी मंदिर से जरा भी कम नहीं है। इसके नाम और काम में भी गीता है। जहां गीता है वहां साक्षात् कृष्ण भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गोरखपुर का दौरा किया और गीता प्रेस गोरखपुर के शताब्दी समारोह के समापन समारोह में भाग लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार का मेरा गोरखपुर का दौरा विकास भी-विरासत भी की नीति का अद्भुत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस के इस कार्यक्रम के बाद मैं गोरखपुर रेलवे स्टेशन जाऊंगा। आज से ही गोरखपुर रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण का काम भी शुरू होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि वंदे भारत ट्रेन ने देश के मध्यम वर्ग को सुविधा और सहुलियत की एक नई उड़ान दी है। आज देश के कोने-कोने से नेता मुझे चिट्ठियां लिखकर कहते हैं कि हमारे क्षेत्र से भी वंदे भारत ट्रेन चलाइए। ये वंदे भारत का क्रेज है।
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गीता प्रेस एक जीवंत आस्था
मोदी ने कहा कि गीता प्रेस विश्व का ऐसा एकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं बल्कि एक जीवंत आस्था है। गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों लोगों के लिए किसी मंदिर से जरा भी कम नहीं है। इसके नाम और काम में भी गीता है। जहां गीता है वहां साक्षात् कृष्ण भी है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरुस्कार भी दिया है। गांधी जी का गीता प्रेस से भावनात्मक जुड़ाव था। एक समय में गांधी जी कल्याण पत्रिका के माध्यम से गीता प्रेस के लिए लिखा करते थे। मुझे बताया गया कि गांधी जी ने ही सुझाव दिया था कि कल्याण पत्रिका में विज्ञापन न छापे जाएं। कल्याण पत्रिका आज भी गांधी जी के सुझाव का शत प्रतिशत अनुसरण कर रही है।
एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना
मोदी ने कहा कि इसके नाम में भी और काम में भी गीता है और जहां गीता है वहां साक्षात कृष्ण है। जहां कृष्ण है वहां करुणा भी है, कर्म भी है। वहां ज्ञान का बोध भी है और विज्ञान का शोध भी है। उन्होंने कहा कि 1923 से गीता प्रेस की लौ मानव जाति का पथ आलोकित कर रही है। इस मानवीय मिशन के शताब्दी समारोह का गवाह बनना हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है। मोदी ने कहा कि गीता प्रेस जैसी संस्था सिर्फ धर्म और कर्म से ही नहीं जुड़ी है बल्कि इसका एक राष्ट्रीय चरित्र भी है। गीता प्रेस भारत को जोड़ती है, भारत की एकजुटता को सशक्त करती है। गीता प्रेस अलग-अलग भाषाओं में भारत के मूल चिंतन को जन-जन तक पहुंचाती है। गीता प्रेस एक तरह से 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना का प्रतिनिधित्व करती है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि ये समय गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर अपनी विरासत पर गर्व करने का है। आज एक ओर भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी में नए रिकॉर्ड बना रहा है। तो साथ ही, सदियों बाद काशी में विश्वनाथ धाम का दिव्य स्वरूप भी देश के सामने प्रकट हुआ है।
गांधी जी के सुझावों का शत प्रतिशत अनुसरण कर रही गीता प्रेस
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सौभाग्य है कि हम सभी इस मानवीय मिशन की शताब्दी के साक्षी बन रहे हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर ही हमारी सरकार ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार भी दिया है। गांधी जी का गीता प्रेस से भावानात्मक जुड़ाव था। एक समय में गांधी जी कल्याण पत्रिका के माध्यम से गीता प्रेस के लिये लिखा करते थे। और, गांधी जी ने सुझाव दिया था कि कल्याण पत्रिका में विज्ञापन न छापे जाएं। संस्था गांधी जी के उस सुझाव का शत प्रतिशत अनुसरण कर रही है। आज जो पुरस्कार गीता प्रेस को मिला है वह देश की ओर से गीता प्रेस, इसके योगदान और इसके 100 वर्षो की विरासत का सम्मान है।
लोगों को हैरान कर सकती है गीता प्रेस से प्रकाशित पुस्तकों की संख्या
पीएम मोदी ने कहा कि 100 वर्षो में गीता प्रेस के द्वारा करोड़ों किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। यह संख्या किसी को भी हैरान कर सकती है। यहां प्रकाशित पुस्तकें लागत से भी कम मूल्य पर बिकती हैं तथा घर घर पहुचांई जाती हैं। इस विद्या प्रवाह में कितने लोगों को आध्यात्मिक व वौद्धिक तृप्ति होती होगी, इसने समाज के लिये कितने ही समर्पित नागरिको का निर्माण किया होगा।
गीता प्रेस का राष्ट्रीय चरित्र भी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गीता प्रेस जैसी संस्था सिर्फ धर्म व कर्म से ही नहीं जुड़ी है बल्कि इसका एक राष्ट्रीय चरित्र भी है। गीता प्रेस भारत को जोड़ती है। भारत की एकजुटता को सशक्त करती है। देश भर में इसकी 20 शाखाएं हैं। देश के हर कोने में रेलवे स्टेशनों पर गीता प्रेस का स्टाल देखने को मिलता है। 15 अलग अलग भाषाओं में यहां से करीब 1600 प्रकाशन होते हैं।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिनिधित्व
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस अलग अलग भाषाओं में भारत के मूल चितंन को जन जन तक पहुंचाती है। गीता एक तरह से एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को प्रतिनिधित्व देती है। गीता प्रेस ने अपने 100 वर्षो की यह यात्रा एक ऐसे समय में पूरी की है जब देश अपनी आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है। इस तरह के योग केवल संयोग नही होते। 1947 के पहले भारत में निरंतर अपने पुनर्जागरण के लिये अलग अलग क्षेत्रों में प्रयास किये। अलग अलग संस्थाओं ने भारत की आत्मा को जगाने के लिये आकार लिया। इसी का परिणाम है था कि 1947 आते आते भारत मन और मानस से गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिये पूरी तरह तैयार हुआ। गीता प्रेस की स्थापना भी उसका एक बहुत बड़ा आधार बना।
हर संकट से उबरने को भगवतगीता से मिलता है विश्वास
100 साल पहले का ऐसा समय जब सदियों की गुलामी ने भारत की चेतना को धूमिल कर दिया। इससे भी सैकड़ों साल पहले विदेशी आक्रांताओं ने हमारे पुस्तकालयों को जलाया था। अंग्रेजों के दौर में गुरुकुल और गुरु परम्परा लगभग नष्ट कर दी गयी थी। ऐसे में स्वाभाविक था कि ज्ञान और विरासत लुप्त होने की कगार पर थी। हमारे पूज्य ग्रंथ गायब होने लगे थे। उस समय जो प्रिन्टिस प्रेस थे, वे महंगी कीमत के कराण सामान्य मानवीय पहुंच से बहुत दूर थे। गीता और रामायण के बिना हमारा समाज कैसे चल रहा होगा। जब मूल्यों और आदर्शों के स्रोत सूखने लगे तो समाज का प्रवाह अपने आप थमने लगता है। उन्होंने कहा कि भारत मे कितने बार अधर्म और आतंक बलवान हुआ। सत्य पर संकट के बादल मंडराए। लेकिन हर संकट में भगवतगीता से सबसे बड़ा विश्वास मिलता है। यदा यदा ही धर्मस्य का उद्धरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब जब सत्य व धर्म पर संकट आता है तब तब ईश्वर उसकी रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।
धरोहरों व भारतीय विचारों की हो रही पुनर्प्रतिष्ठा
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आजादी के 75वें साल में भी नौसेना के झण्डे पर गुलामी के प्रतीक चिन्ह को ढो रहे थे। राजधानी दिल्ली में भारतीय संसद के बगल में अंग्रेजी परम्परा कायम थी। हमने पूरे विश्वास के साथ इन्हे बदलने का कार्य किया। धरोहरों को और भारतीय विचारों की पुनर्प्रतिष्ठा हो रही है। उन्हें वह स्थान दिया जा रहा है जो उन्हें मिलना चाहिए। अब भारतीय नौसेना के झण्डे पर छात्रपति शिवाजी महराज के समय का निशान दिखाई दे रहा है। अब गुलामी की दौर का राजपथ कर्तव्यपथ बनकर कर्तव्य भाव की प्रेरणा दे रहा है। आज देश की जन जातीय परम्परा का सम्मान करने के लिए देश भर में जन जातीय स्वतंत्रता सेनानी म्यूजियम बनाये जा रहे हैं। हमारी जो पवित्र प्राचीन मूर्तियां चोरी कर के देश के बाहर भेज दी गयी थीं, वह भी अब वापस हमारे देश में आ रही हैं।
मनीषियों की आध्यात्मिक ज्ञान ऊर्जा से नए भारत का निर्माण
पीएम मोदी ने कहा कि जो विकसित और आध्यात्मिक विचार हमारे मनीषियों ने दिया है, आज हम उसे सार्थक होता हुआ देख रहे हैं। विश्वास है कि संतो, ऋषियों, मुनियों की आध्यात्मिक साधना भारत के सर्वांगीण विकास को उर्जा देती रहेगी। इस ऊर्जा से एक नये भारत का निर्माण होगा और विश्व कल्याण की भावनाएं सबल होंगी।
वंदे भारत मध्यम वर्ग की सुविधा के लिए नई उड़ान
इस अवसर पर पीएम मोदी ने वंदे भारत शुभारंभ व गोरखपुर रेलवे स्टेशन रिमॉडलिंग प्रोजेक्ट शिलान्यास का भी उल्लेख किया। कहा कि आज ही गोरखपुर रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण का कार्य भी शुरू होने जा रहा है। उसी कार्यक्रम में गोरखपुर से लखनऊ के लिये वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर और उसी समय जोधपुर से अहमदाबाद के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस को भी रवाना किया जायेगा। वंदे भारत ट्रेन ने देश के मध्यम वर्ग के लोगों की सुविधाओं के लिये एक नई उड़ान दी है।
लीलाचित्र मंदिर देख अभिभूत हुए पीएम मोदी
गीता प्रेस न केवल धार्मिक-आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन की विश्व प्रतिष्ठित संस्था है बल्कि इसकी ख्याति इसके अनूठे लीलाचित्र मंदिर के लिए भी है। गीता प्रेस आगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वप्रथम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लीलाचित्र मंदिर का अवलोकन किया। इसे देख प्रसन्नता के भाव मे वह अभिभूत नजर आए। लीलाचित्र मंदिर की दीवारों पर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्यायों के श्लोक संगमरमर पर लिखे हुए हैं। साथ ही देवी-देवताओं के सैकडों चित्र हैं। गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर और दादू के दोहों का अंकन भी मंदिर में किया गया है। इन सबका अवलोकन कर प्रधानमंत्री भाव विभोर हो गए।
स्वस्तिवाचन के बीच पीएम मोदी का अभिनंदन
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रधानमंत्री के गीता प्रेस आगमन के साथ ही ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम चुरू राजस्थान में गीता प्रेस की तरफ से संचालित गुरुकुल (वेद विद्यालय) से आए सात वेदपाठी बालकों ने स्वस्तिवाचन कर उनका मंगलमय अभिनंदन किया। स्वस्तिवाचन और श्रीमदभगवतगीता के श्लोकों का पाठ पीएम मोदी के मंच पर पहुंचने तक जारी रहा। स्वस्तिवाचन एवं श्लोक पाठ में एक नन्ही बालिका भी सम्मिलित रही। समारोह स्थल के मंच पर गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने पीएम का स्वागत करते हुए गीता प्रेस के बारे में सविस्तार जानकारी दी। ट्रस्ट की तरफ से प्रधानमंत्री, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को उत्तरीय व स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया। मंच पर पीएम, राज्यपाल, सीएम के अलावा सांसद रविकिशन शुक्ल, गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के चेयरमैन केशवराम अग्रवाल, महासचिव विष्णु प्रसाद चांदगोठिया,बैजनाथ अग्रवाल मौजूद रहे। संचालन गीता प्रेस में मैनेजर लालमणि तिवारी ने किया।
शिव महापुराण के दो विशिष्ट अंक दो का विमोचन किया पीएम मोदी ने
गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ आर्ट पेपर पर मुद्रित शिव महापुराण के विशिष्ट रंगीन चित्रमय अंक तथा नेपाली भाषा में प्रकाशित शिव महापुराण का विमोचन किया। रंगीन चित्रमय शिव महापुराण में 225 चित्र भी समाहित हैं जबकि नेपाली भाषा में अनुवादित शिव महापुराण दो खंडों में है। पीएम मोदी ने चित्रमय शिव महापुराण और नेपाली भाषा में शिव महापुराण के विमोचन का अवसर मिलना अपना सौभाग्य बताया।
पीएम के समक्ष हुआ गीता प्रेस पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन
शताब्दी वर्ष समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष गीता प्रेस पर चार मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म का भी प्रदर्शन हुआ। इस डॉक्यूमेंट्री में गीता प्रेस की स्थापना से लेकर अब तक की यात्रा का वृतांत है। पीएम ने राज्यपाल व सीएम के साथ बड़ी तन्मयता से डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखी।
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