पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाएगा

Personal Law Board will run awareness campaign against triple talaq
[email protected] । Aug 31 2017 4:14PM

उच्चतम न्यायालय द्वारा एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपनी छवि को प्रगतिशील बनाने की कोशिश में है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपनी छवि को प्रगतिशील बनाने की कोशिश में है और इसी के तहत वह इस तरह के तलाक के खिलाफ मुसलमानों को जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने की तैयारी में है। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत में अपना पक्ष रखते हुए बोर्ड ने एक बार में तीन तलाक को शरीयत का हिस्सा करार देते हुए इसका जोरदार बचाव किया था, हालांकि उसका पहले यह रूख रहा था कि तलाक-ए-बिद्दत ‘तलाक का सर्वश्रेष्ठ’ तरीका नहीं है। इस पूरे मामले में उसके रूख को लेकर उसे खासी आलोचना का सामना करना पड़ा है। यहां तक कि जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी बोर्ड के ‘दोहरे रवैये’ की आलोचना की थी।

न्यायालय का फैसला आने के बाद बोर्ड ने सधा हुआ बयान जारी किया और स्पष्ट संकेत दिया कि वह इस मामले में सरकार के साथ किसी तरह का टकराव नहीं चाहता है। पर्सनल लॉ बोर्ड के एक शीर्ष सूत्र ने कहा, ‘‘बोर्ड के लोगों को यह अच्छी तरह पता है कि इस पूरे मामले में बोर्ड की आलोचना हुई है। कुछ लोगों ने बोर्ड की छवि महिला विरोधी भी बनाने की कोशिश की है, जबकि ऐसा नहीं है। बोर्ड का काम शरीयत की हिफाजत करना है और इतने वर्षों से यही करता आया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम हमेशा से कहते आए हैं कि तलाक-ए-बिद्दत तलाक का बेहतर तरीका नहीं है। अब उच्चतम न्यायालय ने इसे गैरकानूनी बताया है तो इस बारे में जागरूकता फैलानी है। बोर्ड जमीनी स्तर पर अभियान चलाएगा ताकि लोग तलाक-ए-बिद्दत पर अमल नहीं करें।’’

उन्होंने यह भी बताया, ‘‘काजियों और स्थानीय समूहों के स्तर पर लोगों को बताया जाएगा कि वे निकाह के समय ही स्पष्ट कर दें कि तलाक-ए-बिद्दत नहीं माना जाएगा। बोर्ड की यह पूरी कोशिश होगी कि लोगों को तलाक-ए-बिद्दत के लिए पूरी तरह हतोत्साहित किया जाएगा।’’ पर्सनल ला बोर्ड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 10 सितंबर को भोपाल में होने जा रही है। न्यायालय के फैसले के बाद इस बैठक की अहमियत बढ़ गई है। बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी ने कहा, ‘‘यह बैठक पहले से तय थी। अब यह फैसला आया है। इसमें फैसले को लेकर भी निश्चित रूप से बात होगी।’’ फारूकी ने कहा, ‘‘न्यायालय ने एक फैसला दिया है और हम उसे स्वीकार करते हैं। अच्छी बात है कि न्यायालय ने शरिया में किसी तरह का दखल नहीं दिया, बल्कि शरिया और कुरान के हवाले से ही फैसला दिया। पर्सनल लॉ बोर्ड इस फैसले को अपने खिलाफ नहीं मानता। फैसले के बाद बोर्ड ने बयान जारी कर अपना रूख स्पष्ट किया था।’'

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