LAC पर शांति अत्यधिक बाधित, भारत-चीन संबंधों पर पड़ रहा असर: जयशंकर
जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पांच महीने से अधिक समय से सीमा गतिरोध की पृष्ठभूमि में ये बयान दिये जहां प्रत्येक पक्ष ने 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के संबंध ‘बहुत मुश्किल’ दौर में हैं जो 1980 के दशक के अंत से व्यापार, यात्रा, पर्यटन तथा सीमा पर शांति के आधार पर सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से सामान्य रहे हैं। जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारा यह रुख नहीं है कि हमें सीमा के सवाल का हल निकालना चाहिए। हम समझते हैं कि यह बहुत जटिल और कठिन विषय है। विभिन्न स्तरों पर कई बातचीत हुई हैं। किसी संबंध के लिए यह बहुत उच्च लकीर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं और अधिक मौलिक रेखा की बात कर रहा हूं और वह है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में एलएसी पर अमन-चैन रहना चाहिए और 1980 के दशक के आखिर से यह स्थिति रही भी है।’’The turning point for the world we have entered was 2008, with global financial crisis, and rise of China and India, we entered a world of visible economic rebalancing: External Affairs Minister S Jaishankar at an event pic.twitter.com/wsfHPSRDL9
— ANI (@ANI) October 17, 2020
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जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में सीमा के हालात का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘अब अगर शांति और अमन-चैन गहन तौर पर बाधित होते हैं तो संबंध पर जाहिर तौर पर असर पड़ेगा और यही हम देख रहे हैं।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि चीन और भारत का उदय हो रहा है और ये दुनिया में ‘और अधिक बड़ी’ भूमिका स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन ‘बड़ सवाल’ यह है कि दोनों देश एक ‘साम्यावस्था’ कैसे हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह मौलिक बात है जिस पर मैंने पुस्तक में ध्यान केंद्रित किया है।’’ जयशंकर ने बताया कि उन्होंने किताब की पांडुलिपि पूर्वी लद्दाख में शुरू हुए सीमा विवाद से पहले अप्रैल में ही पूरी कर ली थी।
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