संसद के दोनों सदनों से जुड़ी वह बड़ी बातें जो आपके लिए जानना है जरूरी
अमित शाह ने कहा कि देश का बच्चा-बच्चा बोलता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। हम ये क्यों नहीं बोलते कि यूपी देश का अभिन्न अंग है, तमिलनाडु देश का अभिन्न अंग है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 370 ने इस देश और दुनिया के मन में एक शंका पैदा कर दी थी।
लोकसभा ने आज जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन कर जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने तथा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प को पारित कर दिया। राज्यसभा इसे सोमवार को ही पारित कर चुकी है। इस तरह इस संकल्प को संसद की मंजूरी मिलना जम्मू-कश्मीर के लिए बड़ा दिन है क्योंकि अनुच्छेद 370 समाप्त होने से जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त हो गया है और देश के मानचित्र पर दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का उदय हुआ है।
संकल्प पर मतदान से पहले गृहमंत्री ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण अनुच्छेद 370 समाप्त हो रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि परिस्थिति सामान्य होते ही जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में इस सरकार को कोई समस्या नहीं है। अमित शाह ने कहा कि देश का बच्चा-बच्चा बोलता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। हम ये क्यों नहीं बोलते कि यूपी देश का अभिन्न अंग है, तमिलनाडु देश का अभिन्न अंग है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 370 ने इस देश और दुनिया के मन में एक शंका पैदा कर दी थी कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है या नहीं।
अमित शाह ने कहा कि 370 हटाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वह देश की संसद के महत्व को कम करता है। उन्होंने कहा कि देश का कानून वहां तक नहीं पहुंचता है। जिसकी वजह से पाकिस्तान वहां के लोगों के मन में अलगाववाद को बढ़ाता है। अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि 1989 से 1995 तक जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद इतना बढ़ा कि वहां सालों तक कर्फ्यू लगाया गया। वहां खाना-पीना तो छोड़िए ब्रेड-बटर तक नहीं मिलता था। हमने J&K में सुरक्षा बल इसलिए रखे हैं कि अगर वहां की कानून व्यवस्था को कोई बिगाड़ना भी चाहे तो उसको मौका नहीं मिलेगा। अमित शाह ने कहा कि हम हुर्रियत के साथ चर्चा नहीं करना चाहते। घाटी के लोग हमारे हैं, हम उनको सीने से लगाएंगे, उनको प्यार से रखेंगे, पूरा हिंदुस्तान उन्हें प्यार से रखेगा। अगर उनके मन में कोई आशंका है तो जरूर चर्चा करेंगे, हमें कोई आपत्ति नहीं है।
अमित शाह ने स्पष्ट किया कि 371 महाराष्ट्र के विकास से जुड़ा है उसे हम क्यों निकालेंगे, इससे कहीं भी देश की अखंडता और एकता बाधित नहीं होती। इसकी 370 से कोई तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों की कुछ समस्याओं को 371 में रखा गया है। हम इसे कतई हटाने नहीं जा रहे हैं।
इससे पहले, सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गृहमंत्री अमित शाह ने उक्त संकल्प को चर्चा एवं पारित करने के लिए पेश किया। गृह मंत्री की ओर से पेश संकल्प में कहा गया कि, ‘‘भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत इस सदन में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 विचार के लिये भेजा है।’’ इसमें कहा गया है कि 19 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति की अधिघोषणा के बाद जम्मू कश्मीर राज्य विधायिका की शक्ति इस सदन को है। यह सदन जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को विचार के लिये स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि हम दो केंद्रशासित प्रदेश बना रहे हैं जिसमें जम्मू कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधायिका होगी जबकि लद्दाख बिना विधायी वाला केंद्रशासित क्षेत्र होगा। गृह मंत्री ने कहा, 'राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे।'
कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और द्रमुक के टीआर बालू ने संकल्प पेश किये जाने का विरोध किया। बालू ने कहा कि 'यह अघोषित आपातकाल है।’’ कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने संकल्प पेश किये जाने का विरोध करते हुए पूछा कि 1948 से संयुक्त राष्ट्र राज्य संबंधी मामले में निगरानी कर रहा है। यह बुनियादी प्रश्न है और सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने शिमला समझौते, लाहौर समझौते को लेकर भी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में तीन पूर्व मुख्यमंत्री नजरबंद हैं। उन्होंने सवाल किया कि अमरनाथ यात्रा को क्यों बंद किया गया है? साथ ही दावा किया कि जम्मू कश्मीर को जेलखाना बना दिया गया है।
जवाब में अमित शाह ने कहा, 'पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) और अक्साई चिन सहित सम्पूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या वह पीओके को भारत का हिस्सा नहीं मानती है, हम तो इसके लिए जान भी देने को तैयार हैं। लोकसभा में अनुच्छेद 370 संबंधी संकल्प एवं राज्य पुनर्गठन विधेयक को चर्चा के लिये रखते हुए शाह ने कहा, 'जब जब मैंने जम्मू-कश्मीर बोला है तब तब इसमें पीओेके और अक्साई चिन भी समाहित हैं।’’ उन्होंने कहा कि काफी सदस्यों के मन में यह बात है कि यह संकल्प और विधेयक की कानूनी वैधता क्या है? शाह ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, कश्मीर पर संसद ही सर्वोच्च है। कश्मीर को लेकर नियम कानून और संविधान में बदलाव करने से कोई नहीं रोक सकता।
गृह मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 370 (1-बी) का उपयोग करते हुए कल एक संवैधानिक आदेश जारी किया है। जिसमें भारत के संविधान के सारे अनुबंध जम्मू कश्मीर के संविधान में लागू होंगे, अर्थात 370 हट जाएगी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में जो अनुच्छेद 370 का उपयोग हो रहा है, उसे 370 (3) के तहत सीज करने के प्रस्ताव को अगर सदन अनुमति देता है, तो राष्ट्रपति इसे कल या परसों गैजेट द्वारा पास कर देंगे। शाह ने कहा कि आज के प्रस्ताव और विधेयक भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1952 और 1965 में 370 1डी का उपयोग किया। पहले महाराजा की जगह सद्र-ए-रियासत और फिर सद्र-ए-रियासत के स्थान पर राज्यपाल किया। कांग्रेस शासनकाल में राष्ट्रपति महोदय ने इसका उपयोग कैबिनेट की अनुशंसा से किया है। गृह मंत्री ने कहा कि बहुत लंबे समय से लद्दाख क्षेत्र की मांग थी कि वहां केंद्रशासित राज्य बनाया जाए जिसमें अक्साई चिन भी समाहित होगा। इसमें पर्वतीय परिषदों के प्रमुख को मंत्री का दर्जा होगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भी केंद्रशासित प्रदेश होगा जहां मुख्यमंत्री होगा और विधानसभा होगी।
संकल्प पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सरकार पर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का निर्णय करने से पहले संबंधित ‘‘पक्षकारों’’से विचार विमर्श नहीं करने का आरोप लगाया। वहीं सत्तारूढ़ पक्ष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि संसद लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है और राज्य एवं वहां के लोगों के विकास के लिये यह कदम जरूरी है। चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि कश्मीर पर संसद पक्षकार है, देश के 130 करोड़ नागरिक पक्षकार हैं और उनके प्रतिनिधि के तौर पर हम सभी सांसद पक्षकार हैं। 'सबसे बड़ा पक्षकार कौन हो सकता है ?’’ चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस और केंद्र में सत्तारूढ़ राजग की सहयोगी जदयू के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। तृणमूल कांग्रेस ने सदन से वाकआउट करते हुए कहा कि वह न तो अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का और राज्य पुनर्गठन विधेयक का विरोध करती है और न ही समर्थन करते दिखना चाहती है।
तृणमूल नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में आरक्षण संबंधी विधेयक का समर्थन करती है, लेकिन अनुच्छेद 370 संबंधी संकल्प और राज्य पुनर्गठन संबंधी विधेयक का विरोध करती है। सरकार को यह निर्णय करने से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों एवं पक्षकारों से विचार विमर्श करना चाहिए। बंदोपाध्याय ने नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला तथा पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को हिरासत में लिये जाने संबंधी खबर के बारे में चिंता व्यक्त की। राकांपा नेता सुप्रिया सुले ने भी फारूख अब्दुल्ला के बारे में जानना चाहा। गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि नेशनल कान्फ्रेंस के नेता एवं सांसद फारूख अब्दुल्ला को न तो हिरासत में लिया गया है और न ही गिरफ्तार किया गया है, वह अपनी मर्जी से अपने घर पर हैं।
जम्मू कश्मीर के बारे में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश सांविधिक संकल्प एवं विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम को लेकर संवैधानिक आधार पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि संसद में आज जो हो रहा है वह एक संवैधानिक त्रासदी है। तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ भारत का अभिन्न अंग पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी सरकार के कारण बने। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को दो राज्यों में विभाजित करने के लिए वहां की विधायिका की कोई अनुमति नहीं ली गई। वहां की विधानसभा भंग की गई और अब संसद में ही राज्य के बारे में फैसला हो रहा है।
चर्चा के दौरान भाजपा के जुगल किशोर शर्मा ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार दिया, साथ ही कहा कि अनुच्छेद 370 ने राज्य को सिर्फ बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आतंकवाद दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू जिम्मेदार हैं। राज्य को भारी राशि दी गई लेकिन यह राज्य के कुछ परिवारों तक ही रह गयी। शर्मा ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को वहां से भागना पड़ा और आज तक उनके साथ न्याय नहीं हुआ।
लद्दाख से भाजपा के लोकसभा सदस्य जामयांग शेरिंग नामज्ञाल ने कांग्रेस और अन्य कुछ दलों पर इस क्षेत्र को जम्मू कश्मीर से अलग-थलग रखने और अन्याय करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 पर सरकार के फैसले से कांग्रेस की गलतियों को सुधारा जा रहा है। नामज्ञाल ने कहा कि लद्दाख दशकों से भारत का अटूट अंग बनना चाहता था और केंद्रशासित प्रदेश बनने की मांग रख रहा था, लेकिन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस ने इस मांग पर कभी सुनवाई नहीं की। वहीं नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस सपने को आज पूरा किया है। नामज्ञाल के भाषण के दौरान गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी समेत कई केंद्रीय मंत्रियों और सत्ता पक्ष के सदस्यों को अनेक बार मेजें थपथपाते हुए देखा गया। लद्दाख के सांसद ने कहा कि आज का दिन इतिहास में प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा की गयी गलतियों को सुधार करने के तौर पर दर्ज किया जाएगा।
लोकजनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 को लागू करके कश्मीर को पूरे देश से अलग कर दिया गया था। लेकिन मोदी सरकार इस अनुच्छेद को हटाकर सही मायने में जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बना रही है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से जम्मू कश्मीर में निवेश बढ़ेगा और भ्रमित युवाओं को मुख्यधारा में आने और रोजगार के अवसर मिलेंगे। साथ ही आतंकवाद पर लगाम भी लगेगी।
कांग्रेस के शशि थरूर ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि आज इतिहास में ‘काला दिन’ है क्योंकि स्थानीय दलों और विधानसभा की सहमति के बिना सरकार यह संकल्प लेकर आई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर की जनता का बाकी देश से संपर्क काट दिया गया है। थरूर ने मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस फैसले पर सदन में स्पष्टीकरण देने चाहिए। कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकार ने जम्मू कश्मीर में जो स्थिति पैदा की है, उससे पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि इससे आतंकवाद को बल मिलेगा। थरूर ने मांग की कि सरकार एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर भेजे ताकि हालात का पता चले।
तेलुगु देसम पार्टी के जयदेव गल्ला ने भी विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि 70 साल पहले जो गलती की गयी थी, उसे सुधारा जा रहा है।
शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर बादल ने कहा कि अनुच्छेद 370 खत्म होने से जम्मू-कश्मीर के अल्पसंख्यकों को न्याय मिल सकेगा।
अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सरदार पटेल के योगदान को हमेशा कमतर करने का प्रयास किया।
भाकपा के सेल्वाकुमार ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाना संविधान के खिलाफ है।
भाजपा के संजय जायसवाल ने कहा कि विधेयक का विरोध करने के लिए देश की जनता कांग्रेस को माफ नहीं करेगी।
असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि श्रीनगर को वेस्टबैंक में तब्दील करने की कोशिश हो रही है और सरकार ने बहुत बड़ी गलती की है।
चर्चा में भाजपा के रमेश बिधूड़ी, निशिकांत दुबे, माकपा के एम आरिफ, अन्नाद्रमुक के रवींद्रनाथ कुमार तथा कई अन्य सदस्यों ने भाग लिया।
द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि सरकार ने इस संकल्प को लाने से पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा की सहमति नहीं ली। उन्होंने कहा कि सरकार बहुमत का लाभ उठाते हुए विधेयक तो पारित करा सकती है लेकिन अंतत: इससे सरकार को क्या हासिल होगा ? बालू ने कहा कि जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की समस्या नहीं सुलझी है, सीमा के पास रहने वाले लोग सुरक्षित नहीं हैं। सरकार इस बारे में क्या सोचती है। उन्होंने जानना चाहा कि सरकार को इस संबंध में फैसला लेने की इतनी जल्दी क्यों है और वह इंतजार क्यों नहीं कर सकती थी ?
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के रघु राम कृष्णराजू ने कहा कि आज इतिहास का बड़ा दिन है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के एकीकरण का सरदार वल्लभभाई पटेल का सपना पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 में स्पष्ट उल्लेख था कि यह अस्थाई है।
जदयू के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ नहीं करने के फैसले की याद दिलायी और सरकार के इस विवादास्पद अनुच्छेद के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के निर्णय का विरोध किया। ललन सिंह ने कहा कि जदयू जम्मू कश्मीर से संबंधित संकल्प और विधेयक पारित करने का हिस्सा नहीं बन सकता। उन्होंने सत्ता पक्ष से कहा, 'आपको विवादास्पद मुद्दे को नहीं छूना चाहिए था।’’
चर्चा में भाग ले रहे बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने विधेयक और संकल्प समर्थन करते हुए कहा कि यह विरासत का मुद्दा है और इस सरकार ने इसे दुरुस्त करने की हिम्मत की है। उन्होंने यह भी कहा कि आगे इस विधेयक को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है, इसमें किसी को संदेह नहीं है। मिश्रा ने कहा कि यह कदम उठाते हुए हमें कश्मीर के लोगों को यह भरोसा दिलाना होगा कि उनके साथ हमारा दिल का रिश्ता है। उन्होंने ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक के लिए भारत रत्न की मांग की।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह मुद्दा हमसे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है और यह हमारे लिए मातृभूमि का मुद्दा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पाकिस्तान की आवाज में बात कर रही है। पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने को काला दिन बताया है और कांग्रेस ने भी यही बयान दिया है। जोशी ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने खुद कहा था कि अनुच्छेद 370 घिसते घिसते एक दिन घिस जाएगा। दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस आज इस कदम का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ऐतिहासिक गलती को सुधार रही है।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय मंत्री एवं शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के सरकार के फैसले को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार दिया और पूरे सदन से एक स्वर में इसका समर्थन करने की अपील की ताकि राज्य के लोगों का विकास सुनिश्चित हो और प्रदेश मुख्यधारा से सही अर्थों में जुड़ सके। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण गलत लोग आगे आए लेकिन वहां के लोगों को कोई फायदा नहीं मिला। कश्मीरी पंडितों को प्रदेश छोड़ कर भागना पड़ा। सावंत ने कहा कि अगर संविधान का कोई प्रावधान अस्थायी है और कोई उसमें सुधार कर रहा है तो इसका विरोध क्यों होना चाहिए ? बसपा के गिरीश चंद्र ने कहा कि बसपा प्रमुख मायावती ने इस विधेयक का समर्थन किया है ताकि राज्य के वंचित लोगों को पूरा लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि इससे लद्दाख में रहने वाले बौद्ध लोगों को पूरा फायदा हो सकेगा।
तेलंगाना राष्ट्र समिति के नमा नागेश्वर राव ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि यह काला दिन नहीं, बल्कि क्रांति का दिन है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने सवाल किया कि क्या राज्य के लोग सरकार पर विश्वास करेंगे? राज्य के लोगों से बात करके यह कदम क्यों नहीं उठाया गया? क्या यह विधेयक न्यायपालिका में टिकेगा? समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने कहा कि जिस प्रदेश के बारे में फैसला हो रहा है वहां के लोग खुश हैं या नहीं, इस बारे में हमें नहीं पता। उन्होंने सवाल किया कि पीओके का क्या होगा? वहां की 24 विधानसभा सीटों को कैसे भरा जाएगा? नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी ने कहा कि सरकार ऐतिहासिक भूल कर रही है और आने वाले समय में इसके दुष्परिणाम होंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कश्मीर तो कोई मुद्दा ही नहीं है और असली मुद्दा पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) है और सरकार के सामने अगला काम पीओके को भारत में शामिल करने का ही बचा है। उन्होंने जम्मू कश्मीर की समस्या के लिए प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि नेहरू ने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को जम्मू कश्मीर के मुद्दे से निपटने की स्वतंत्रता दे दी होती और हस्तक्षेप नहीं किया होता तो ‘‘ना 370 का बखेड़ा होता और ना पीओके होता।’’ लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 की कुछ धाराओं को समाप्त करने के बाद अब राज्य का नौजवान आगे बढ़ गया है लेकिन कुछ नेता हैं जो अतीत में उलझे हुए हैं। जम्मू के उधमपुर से लोकसभा सांसद सिंह ने कांग्रेस के साथ ही नेशनल कान्फ्रेंस और पीडीपी समेत राज्य के दलों पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि कश्मीर तो कोई मुद्दा ही नहीं है। इसे तो कुछ लोगों ने राजनीतिक दुरुपयोग के लिए अपना हथियार बना रखा है।
इस बीच, अनुच्छेद 370 पर भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के रूख के बारे में नेशनल कांफ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी के दावे को लेकर लोकसभा में भाजपा सदस्यों की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई। इस पर गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कड़ी आपत्ति की। रक्षा मंत्री ने कहा कि मसूदी अपनी बात सत्यापित करें या फिर माफी मांगें। इस विषय पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की आपत्ति के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नेशनल कांफ्रेंस सदस्य की टिप्पणी को कार्यवाही से निकालने को कहा। जोशी ने कहा कि मसूदी की टिप्पणी ऐतिहासिक तथ्यों के खिलाफ है और इसे कार्यवाही से निकाला जाना चाहिए ।
उधर... राज्यसभा में सदस्यों ने विशेष उल्लेख के जरिये राष्ट्रीय राजमार्ग 152 के लिए ली गई किसानों की जमीन के एवज में उन्हें संशोधित दर के अनुसार मूल्य दिए जाने, रीवा के चचाई जलप्रपात के आसपास अभयारण्य बनाने तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने जैसे लोक महत्व से जुड़े मुद्दे उठाए। विशेष उल्लेख के जरिये कांग्रेस की कुमारी शैलजा ने राष्ट्रीय राजमार्ग 152 के लिए किसानों की ली गई जमीन के एवज में उन्हें संशोधित दर के अनुसार मूल्य दिए जाने की मांग उठाई।
कांग्रेस के ही राजामणि पटेल ने मध्यप्रदेश के रीवा जिले में स्थित चचाई जलप्रपात के आसपास हजारों एकड़ जमीन में वन क्षेत्र होने का जिक्र करते हुए कहा कि यहां अभयारण्य बनाया जाना चाहिए। पटेल ने कहा कि पहले यहां अभयारण्य बनाने के लिए सर्वे हो चुका है लेकिन कोई काम आगे नहीं बढ़ाया गया।
तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की मांग की। हक ने कहा कि अभी आयोग दायित्व में कोताही करने वाले अधिकारियों को तलब तो कर सकता है लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। उन्होंने कहा ‘‘इसके अलावा, हाल ही में अल्पसंख्यकों के खिलाफ मामले दर्ज होने में तेजी आई है। इन मामलों के शीघ्र निपटारे की जरूरत है।’’
मनोनीत राम शकल ने मिर्जापुर जनपद को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की मांग विशेष उल्लेख के जरिये उठाई। उन्होंने कहा कि मिर्जापुर में कई ऐतिहासिक महत्व के स्थल हैं जिनके समुचित विकास से न केवल पर्यटन एवं रोजगार को बढ़ावा मिलेगा बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित किया जा सकेगा।
भाजपा के राकेश सिन्हा ने मांग की कि छात्रावास प्रबंधन का पाठ्यक्रम बनाया जाना चाहिए और इसके लिए संस्थान खोला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में छात्र अपने घरों से दूर, छात्रावास में रह कर पढ़ते हैं और घर से दूरी का असर उनकी मानसिक स्थिति पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि छात्रावास प्रबंधन का पाठ्यक्रम ऐसे छात्रों की मदद कर सकता है।
जदयू के रामनाथ ठाकुर ने पटना स्थित अखिल भारतीय चिकित्सा आयुर्विज्ञान संस्थान में समुचित सुविधाएं न होने का जिक्र करते हुए कहा कि वहां के लोगों को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के एम्स आना पड़ता है।
भाकपा के बिनॉय बिस्वम ने दलित, अल्पसंख्यक एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के शोधार्थियों को छात्रवृत्ति मिलने में विलंब का मुद्दा विशेष उल्लेख के जरिये उठाया।
बंगाल की खाड़ी में हिलसा मछली का अंधाधुंध ढंग से मारे जाने का दावा करते हुए तृणमूल कांग्रेस सदस्य अबीर रंजन विश्वास ने सरकार से मांग की कि अगर शिकार पर कठोरता से रोक नहीं लगाई गई तो इस मछली का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि हिलसा मछली को मारने की सीमा 25,440 टन तय की गई है लेकिन इससे कहीं ज्यादा इस मछली का शिकार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंधाधुंध ढंग से मारने के कारण आज इस मछली के अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है।
शून्यकाल में ही शिवसेना के संजय राउत ने पाकिस्तान, चीन और हांगकांग जैसे देशों से हो कर भारत आ रहे नेपाली नागरिकों के लिए वीजा अनिवार्य किए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नेपाल को हमने कभी विदेशी भूमि नहीं माना लेकिन अब पाकिस्तान, चीन और हांगकांग जैसे देशों से हो कर भारत आ रहे नेपाली नागरिकों के लिए वीजा अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। राउत ने कहा कि नेपाल और चीन की नजदीकी बढ़ रही है। नेपाल के स्कूलों में चीनी भाषा की शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। पिछले दिनों नेपाल ने तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के जन्मदिन के उत्सव को रद्द कर दिया था। इन सबको नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव के तौर पर देखा जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि नेपाल और चीन की बढ़ती नजदीकी को देखते हुए, नेपाली नागरिकों के लिए वीजा की अनिवार्यता के मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।
टीआरएस के बंदा प्रकाश ने जनसंख्या में अन्य पिछड़ा वर्ग के आंकड़े शामिल किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि देश में ओबीसी के बारे में आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। सन 1930 में ब्रिटिश सरकार ने इनके आंकड़े जुटाए थे और उसके बाद इस संबंध में कुछ नहीं किया गया। टीआरएस सदस्य ने कहा कि ओबीसी वर्ग के कल्याण के लिए उनके आंकड़े होना जरूरी है।
माकपा की झरना दास वैद्य ने झूठी शान के लिए की जाने वाली हत्या (ऑनर किलिंग) का मुद्दा उठाया और सरकार से इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए समाधान की मांग की।
जदयू की कहकशां परवीन ने बिहार के भागलपुर में होने वाले एक मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित किए जाने की मांग की। परवीन ने कहा कि भागलपुर के सुल्तानपुर में उत्तर वाहिनी गंगा बहती है और दूर दूर से श्रद्धालु इस नदी का पवित्र जल लेकर देवधर में चढ़ाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह मेला 105 किमी दूर तक लगता है और पूरे सावन तथा भादों माह में इसकी धूम रहती है। परवीन ने इस कांवर मेले को राष्ट्रीय मेले का दर्जा दिए जाने की मांग की।
भाजपा के हरनाथ सिंह यादव ने स्व वित्त पोषित शैक्षिक संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों के कथित शोषण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों का वेतन बहुत कम होता है और प्रबंधन प्रणाली इस तरह होती है कि ये शिक्षक चाह कर भी अपने शोषण की शिकायत नहीं कर पाते क्योंकि इनकी शिकायत दूर करने के बजाय इन्हें ही नौकरी से निकाल दिया जाता है। यादव ने यह भी कहा कि ये निजी संस्थान आकर्षक विज्ञापनों के जरिये विद्यार्थियों को लुभाते हैं लेकिन हकीकत बिल्कुल अलग होती है।
भाजपा को जीवीएल नरसिंह राव ने मांग की कि सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए चलाई जा रही कुसुम योजना का कार्यान्वयन उन राज्यों में किया जाए जहां वर्षा आधारित खेती है। राव ने कहा कि ऐसा करने से किसानों को ऊर्जा का स्रोत मिल सकेगा ओर वे अपनी आय भी बढ़ा पाएंगे। राव ने कहा कि इस योजना के लिए 35000 करोड़ की राशि आवंटित की गई है और किसानों को इसका लाभ जरूर मिलना चाहिए।
कांग्रेस के एल हनुमंथैया ने कर्नाटक में भारी बारिश की वजह से आई बाढ़ का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य के 12 जिलों में बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। बाढ़ की वजह से 68 गांव जलमग्न हो गए हैं और सैकड़ों एकड़ भूमि की फसल बर्बाद हो गई है। हनुमंथैया ने बाढ़ से निपटने के लिए राज्य को आर्थिक मदद दिए जाने की मांग की।
राज्यसभा में एमडीएमके प्रमुख वाइको ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्र और उससे निकलने वाले अपशिष्ट से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा होने का दावा करते हुए इस संयंत्र को तत्काल बंद करने की मांग की। वाइको ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि 1978 के बाद से अमेरिका में और 1986 के बाद से सोवियत गणराज्य में परमाणु संयंत्रों पर रोक लगा दी गई। फ्रांस, बेल्जियम और जर्मनी में भी ऐसे संयंत्र स्थापित नहीं किए गए। 11 मार्च 2011 को जापान के फुकुशिमा संयंत्र में हादसा होने पर भयावह नुकसान हुआ।
राज्यसभा में बीजू जनता दल के दो सदस्यों ने मंगलवार को खनिजों की रायल्टी दर की समीक्षा किए जाने और रायल्टी में वृद्धि किए जाने की मांग उठाई। शून्यकाल में बीजद की सरोजिनी हेम्ब्रम ने कहा कि राज्यों में पाए जाने वाले खनिजों की रायल्टी की पिछली बार समीक्षा सितंबर 2014 में की गई थी। यह समीक्षा हर तीन साल में की जाती है लेकिन इस बार यह समीक्षा 2014 के बाद अब तक नहीं की गई है जबकि 2017 में यह समीक्षा की जानी चाहिए थी। सरोजिनी ने सरकार से खनिजों की रायल्टी की तत्काल समीक्षा किए जाने की मांग की। इसी पार्टी के सस्मित पात्रा ने विशेष उल्लेख के जरिये खनिजों की रायल्टी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यराज्य में कोयले की रायल्टी 14 फीसदी से बढ़ा कर 20 फीसदी करने की मांग काफी समय से की जा रही है और केंद्र को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
केंद्र तथा राज्यों के करों से प्राप्त धन के विभाजन को लेकर 15वें वित्त आयोग के विचारणीय विषयों में हुए बदलाव का विरोध करते हुए राज्यसभा में बीजू जनता दल के सदस्य अमर पटनायक ने दावा किया कि यह केंद्र की, अधिक वित्तीय हिस्सेदारी रखने की एक कोशिश है। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान पटनायक ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने पिछले माह ही 15वें वित्त आयोग के ‘विचारणीय विषय’’ में संशोधन किया है। यह संशोधन केंद्र और राज्यों के बीच धन के बंटवारे से पहले, रक्षा एवं आंतरिक सुरक्षा के कोष से अलग से आवंटन किए जाने के बारे में है।
केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना करने के प्रावधान वाले उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 को संसद की मंजूरी मिल गयी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है और आज राज्यसभा ने भी इस विधेयक पर चर्चा के बाद इसे मंजूरी प्रदान कर दी। उच्च सदन में यह विधेयक पेश करते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि इस विधेयक का मकसद उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार व्यवहारों से होने वाले नुकसान से बचाना और व्यवस्था को सरल बनाना है। पासवान ने कहा कि यह विधेयक काफी समय से लंबित था। उन्होंने बताया कि विधेयक में स्थायी संसदीय समिति की पांच सिफारिशों को छोड़ कर सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है। संसद की मंजूरी मिलने के बाद यह उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 का स्थान लेगा।
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