दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा, राज्यसभा दिन भर रही बाधित
ता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर इसका विरोध करते हुये इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की। आजाद ने कहा कि अगर सामान्य हालात बहाल करने में सरकार की रुचि होती तो हिंसा शुरु होने के बाद तीन दिन तक सरकार निष्क्रिय न रहती।
नयी दिल्ली। राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों ने दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मुद्दे पर सोमवार को चर्चा कराने की मांग पर भारी हंगामा किया जिसके कारण सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर करीब ढाई बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन सभापति एम वेंकैया नायडू ने बैठक शुरू होने पर सूचीबद्ध दस्तावेज सदन पटल पर प्रस्तुत कराने के बाद बताया कि उन्हें विभिन्न दलों के सदस्यों की ओर से दिल्ली और देश के अन्य इलाकों में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चर्चा कराने की मांग कराने संबंधी नोटिस मिले हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि यह विषय मत्वपूर्ण है इसलिये इस पर चर्चा होनी चाहिये लेकिन दिल्ली में अब सामान्य हालात बहाल हो गये हैं। नायडू ने कहा कि वह इस विषय पर नेता सदन, नेता प्रतिपक्ष और संबद्ध मंत्रियों से विचार विमर्श करने के बाद ही चर्चा का समय तय करेंगे। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपने स्थान पर खड़े होकर इसका विरोध करते हुये इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की।
Budget Session: Rajya Sabha and Lok Sabha adjourned till 11 am tomorrow following uproar over #DelhiViolence pic.twitter.com/jO829TjogL
— ANI (@ANI) March 2, 2020
आजाद ने कहा कि अगर सामान्य हालात बहाल करने में सरकार की रुचि होती तो हिंसा शुरु होने के बाद तीन दिन तक सरकार निष्क्रिय न रहती। आजाद के इस कथन का विरोध करते हुये नेता सदन थावर चंद गहलोत ने कहा कि सरकार की सक्रियता के कारण ही दिल्ली में कानून व्यवस्था की सामान्य स्थिति बहाल हुई है और अब सभी इलाकों में शांति है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस की शांता क्षेत्री सहित पार्टी के तीन सदस्य आंख पर काली पट्टी बांध कर अपने स्थान पर खड़े हो गये। नायडू ने कहा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन की सदन में अनुमति नहीं दी जा सकती। सदन में चर्चा कराने की मांग करते हुये आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और कांग्रेस के कुछ सदस्यों को आसन के करीब आते देख नायडू ने सदन की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिये स्थगित कर दी। उल्लेखनीय है कि माकपा के टी के रंगराजन, के के रागेश और आप के संजय सिंह ने दिल्ली में हिंसा के मुद्दे पर नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस देकर इस विषय पर चर्चा कराने की मांग की थी। हंगामा थमते न देख नायडू ने बैठक को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया।
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दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए पेश करने को कहा। इसी बीच आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस और कई वाम सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच ही मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने विधेयक को चर्चा के लिए रखा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये देश के तीन मानद् संस्कृत विश्वविद्यालयों को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है। इसके बाद विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने से देश में संस्कृत शिक्षण को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की भाषा है। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण निशंक और जटिया की बात स्पष्ट नहीं सुनी जा सकी। हंगामा थमते न देख उपसभापति ने बैठक को दोपहर करीब ढाई बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
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