लुटियन दिल्ली में दो नहीं, एक ही सरकारी आवास रख सकेंगे देवगौड़ा

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[email protected] । Oct 26 2019 12:14PM

17वीं लोकसभा में चुनकर नहीं आ सके 230 सांसदों से सरकारी आवास खाली कराने के लिये जुलाई में इन सभी पूर्व सांसदों को बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया था।

नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने बतौर पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा को लुटियन दिल्ली में एक ही सरकारी आवास रखने की अनुमति देते हुये, उनसे दूसरा आवास खाली करने के लिए कहा है। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने नियमों का हवाला देकर पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में देवगौड़ा को एक ही सरकारी बंगले का हकदार बताया है। 

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उल्लेखनीय है कि 16वीं लोकसभा के दौरान वरिष्ठ सांसद के तौर पर देवगौड़ा को सरकारी बंगला आवंटित किया गया था। हालांकि, 17वीं लोकसभा का चुनाव हारने के बाद पूर्व सांसदों से सरकारी बंगला खाली कराने की प्रक्रिया के तहत देवगौड़ा को भी मंत्रालय के संपदा निदेशालय ने गत सितंबर में बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था। सूत्रों के अनुसार इस नोटिस के जवाब में देवगौड़ा ने पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में खुद को लुटियन दिल्ली में सरकारी आवास का हकदार बताते हुये, उन्हें सफदर जंग लेन स्थित बंगले का आवंटन बरकरार रखने का अनुरोध किया था। निदेशालय ने उनके इस अनुरोध को तो स्वीकार कर लिया, लेकिन प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्हें कार्यालयी उपयोग के लिये वीपी हाऊस में आवंटित किया गया आवास खाली करने को कहा है। निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नियमानुसार पूर्व प्रधानमंत्री सिर्फ एक ही सरकारी आवास (टाइप 7) के हकदार हैं। लिहाजा देवगौड़ा को दूसरा आवास छोड़ने के लिये कहा गया है। समझा जाता है कि देवगौड़ा ने निदेशालय की इस दलील को स्वीकार कर जल्द ही वीपी हाऊस स्थित आवास खाली करने का लिखित आश्वासन दिया है। 

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प्राप्त जानकारी के मुताबिक 24 अक्टूबर तक सरकारी बंगला नहीं छोड़ने वाले पूर्व सांसदों की संख्या लगभग 25 थी। इनमें पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से बीआर मेहता लेन स्थित बंगला पुलिस की मदद से गुरुवार को बलपूर्वक खाली कराया गया।इसके अलावा पप्पू यादव की पत्नी और पूर्व सांसद रंजीत रंजन तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री शिबू सोरेन ने निदेशालय को बंगला जल्द छोड़ने का लिखित आश्वासन दिया है। सोरेन को नॉर्थ एवेन्यू स्थित 224 और 225 नंबर के दो बंगले और रंजन को बी आर मेहता लेन में सात नंबर बंगला आवंटित किया गया था। सूत्रों के अनुसार नोटिस के बावजूद बंगला नहीं छोड़ने वालों में पूर्व सांसद तारिक अनवर, जय प्रकाश नारायण यादव, गायकवाड़ रवीन्द्र विश्वनाथ और धर्मेन्द्र यादव सहित लगभग दो दर्जन पूर्व सांसद शामिल हैं। निदेशालय ने इनसे बलपूर्वक बंगला खाली कराने की कार्रवाई शुरु कर दी है। एक अधिकारी ने बताया कि दीपावली के कारण पर्याप्त पुलिस बल नहीं मिल पाने के चलते दिवाली के बाद बल पूर्वक बंगले खाली कराने की कार्रवाई तेज की जायेगी। 

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उल्लेखनीय है कि 17वीं लोकसभा में चुनकर नहीं आ सके 230 सांसदों से सरकारी आवास खाली कराने के लिये जुलाई में इन सभी पूर्व सांसदों को बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया था। इस बीच सरकारी संपत्ति से अनधिकृत कब्जों की बेदखली के लिये हाल ही में संसद द्वारा पारित कठोर प्रावधानों वाले सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम 2019 को मंत्रालय द्वारा 12 सितंबर को लागू किये जाने के बाद निदेशालय ने लुटियन दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में रहने की पात्रता गंवा चुके पूर्व सांसदों और सांसदों के अतिथियों से आवास खाली कराने की कार्रवाई तेज कर दी है। बंगलों के दुरुपयोग को सख्ती से रोकने के लिये इस कानून के प्रावधानों के तहत माकपा महासचिव सीताराम येचुरी को भी सरकारी आवास से किसी संगठन का संचालन बंद करने के लिए निदेशालय ने नोटिस दिया है। येचुरी को राज्यसभा के सांसद के रूप में केनिंग लेन स्थित बंगला आवंटित किया था। राज्यसभा की सदस्यता समाप्त होने के बाद अब वह राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख की हैसियत से इस बंगले में रह रहे हैं। इस बंगले से ही वामदलों के किसान प्रकोष्ठ के कार्यालय का भी संचालन हो रहा था। निदेशालय के निर्देश पर अब येचुरी ने किसान सभा के कार्यालय को हटा दिया है।

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