IPC, CrPC नहीं, देश में आज से लागू हुए तीन नए कानून, जानें इनके बारे में विस्तार से
वहीं भारतीय दंड संहिता की जगह है अब भारतीय न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह अब भारतीय साक्षी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। वहीं महिलाओं से संबंध अधिकतर अपराधों में पहले से अधिक सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
भारत में 1 जुलाई की रात 12:00 से 3 नए अपराधी कानून लागू हुए हैं। देश में 51 साल पुराने सीआरपीसी की जगह है अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है। वहीं भारतीय दंड संहिता की जगह है अब भारतीय न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह अब भारतीय साक्षी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। वहीं महिलाओं से संबंध अधिकतर अपराधों में पहले से अधिक सजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक सूचना के जरिए भी अब एफआईआर दर्ज करने की सुविधा होगी।
- 1 जुलाई से पहले दर्ज हुए मामलों में नए कानून का असर नहीं होगा। इन मामलों की जांच पुराने कानून के तहत होगी।
- नए कानून के तहत 1 जुलाई से फिर दर्ज होगी और इसी के अनुसार जांच से लेकर ट्रायल तक में कार्रवाई की जाएगी।
- BSS में कुल 531 धाराएं हैं। इसमें 177 प्रावधान है जिसमें संशोधन किया गया है। इसकी 14 धाराओं को हटाया गया है। इसमें 9 धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई है। सीआरपीसी में कुल 484 धाराएं हुआ करती थी।
- भारतीय न्याय संहिता में कुल 3:57 धाराएं हैं जबकि आईपीसी में 511 धाराएं हुआ करती थी।
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराओं को जगह मिली है। नए कानून में छेद धाराओं को जगह नहीं दी गई जबकि दो नई धाराएं और 6 नई ऊप धाराओं को शामिल किया गया है। इससे पहले इंडियन एविडेंस एक्ट में कुल 167 धाराएं थी।
- नए कानून में ऑडियो वीडियो से संबंधित एविडेंस पर फोकस रखा गया है। फॉरेंसिक जांच में ऑडियो और वीडियो एविडेंस को भी महत्व मिलेगा।
- नागरिकों को अब जीरो एफआईआर दर्ज करवाने की सहूलियत मिलेगी। जांच के लिए मामले को संबंधित थाने में भेजा जाएगा। जीरो फिर ऐसे अपराध से संबंधित है जिसमें 3 साल से 7 साल तक सजा हो सकती है। हालांकि इसके लिए फोरेंसिक टीम से भी जांच करवाई जाएगी।
- इलेक्ट्रॉनिक जानकारी से भी एफआईआर दर्ज हो सकेगी। वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को सूचना दी जा सकेगी। ए फिर देने के बाद 3 दिन में पुलिस स्टेशन पहुंचकर फिर की कॉपी पर साइन करना जरूरी होगा।
- फिर की 90 दिन के भीतर चार्ज शीट दाखिल करनी होगी।
- मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन में जजमेंट आना जरूरी होगा। फैसला आने के 7 दिन में उसकी कॉपी भी मुहैया करनी होगी।
- अगर किसी शख्स को पुलिस हिरासत में लिया जाता है तो उसके परिवार को इसके बारे में लिखित तौर पर बताना होगा। परिवार को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से सूचना देनी होगी।
- महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को बीएस में कुल 36 धाराओं में जगह दी गई है। रेप के मामले में 63 धारा के तहत मामला दर्ज होगा। धारा 64 में अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
- वहीं कानून की धारा 65 के तहत 16 साल से कम वर्ष की पीड़ित से अगर दुष्कर्म होता है, तो दोषी को 20 साल का कठोर कारावास उम्र कैद और जमाने का प्रावधान किया गया है। गैंग रेप होने के मामले में पीड़िता अगर व्यस्त है तो अपराधी को आजीवन कारावास दिया जाएगा।
-12 वर्ष से कम उम्र की पीड़िता के साथ बलात्कार होने के मामले में 20 साल की सजा मिलेगी। आरोपी को आजीवन कारावास से मृत्युदंड भी हो सकता है। शादी का झांसा देकर संबंध बनाने के मामले को भी अपराध को रेप से अलग रखकर अपराध माना गया है।
- पीड़ित को किसी भी मामले की जानकारी उसके कांटेक्ट नंबर पर एसएमएस के जरिए भेजी जाएगी। मामले में नई अपडेट की सीमा 90 दिन की रखी गई है।
- नए कानून में गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान किया गया है। अब इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागज के रिकॉर्ड की तरह ही कोर्ट में मान्य माने जाएंगे।
- नए कानून में मोब लिंचिंग को भी अपराध के दायरे में रखा गया है। शरीर पर चोट पहुंचाने वाले अपराध को भी धारा 100 से 146 तक की श्रेणी में रखा गया है।
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