Purvottar Lok: Assam-Arunachal के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद समाप्त, Mizoram में BJP की बड़ी जीत, मणिपुर में भाजपा सरकार पर मंडराया संकट

Assam Arunachal
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असम-अरुणाचल सीमा विवाद समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि ऐसे समय में जबकि देश स्वतंत्रता का 75वां साल मना रहा है, दोनों राज्यों की अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित 123 गांवों का विवाद अब हमेशा के लिए समाप्त हो गया है।

नमस्कार प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम पूर्वोत्तर लोक में आप सभी का स्वागत है। इस सप्ताह असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद समाप्त हुआ तो वहीं मणिपुर में भाजपा विधायकों के असंतोष के चलते मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह की कुर्सी पर संकट मंडराया। इसके अलावा मिजोरम में भाजपा ने स्थानीय निकाय चुनावों में बड़ी जीत हासिल की तो दूसरी ओर अन्य पूर्वोत्तर राज्यों ने विकास के पथ पर कदम आगे बढ़ाये। बहरहाल आइये डालते हैं एक नजर पूर्वोत्तर राज्यों से आये बड़े समाचारों पर। सबसे पहले बात करते हैं असम की।

असम

असम और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों ने दोनों राज्यों के बीच पांच दशक से भी पुराने सीमा विवाद को खत्म करने के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के समक्ष एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। इसके साथ ही दोनों पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा पर स्थित 123 गांवों की समस्या का भी समाधान हो गया। हम आपको बता दें कि असम और अरुणाचल प्रदेश 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और अरुणाचल प्रदेश को 1972 में केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच यह सीमा विवाद चल रहा था। समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि ऐसे समय में जबकि देश स्वतंत्रता का 75वां साल मना रहा है, दोनों राज्यों की अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित 123 गांवों का विवाद अब हमेशा के लिए समाप्त हो गया है। अमित शाह ने असम और अरुणाचल प्रदेश द्वारा पुराने लंबित सीमा विवाद को ‘सौहार्दपूर्ण’ तरीके से सुलझाया जाना दोनों राज्यों के लिए ‘ऐतिहासिक’ घटना है। अमित शाह ने आशा जतायी कि 1972 से जारी इस पुराने सीमा विवाद की समाप्ति पूर्वोत्तर राज्यों में सर्वांगिण विकास और शांति लेकर आएगी। केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यह पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बड़ा क्षण है जो 2014 में नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही सर्वांगिण विकास देख रहा है।’’ गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सक्रिय रूप से भाषाओं, साहित्य और पूर्वोत्तर की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं और हाल ही में रिकॉर्ड कायम करने वाली ‘बिहू नृत्य’ की प्रस्तुति इसका ज्वलंत उदाहरण है।

उन्होंने कहा कि सीमा विवाद पर एक स्थानीय आयोग की रिपोर्ट दशकों से यहां-वहां भटक रही थी, जिसे अब दोनों राज्यों ने स्वीकार कर लिया है। अमित शाह ने कहा कि यह समझौता विकसित, शांतिपूर्ण और संघर्ष मुक्त पूर्वोत्तर के मोदी के सपने को साकार करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। अमित शाह ने कहा कि 2018 से केन्द्र सरकार ने कई संधियों/समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जैसे... ब्रू आदिवासी, एनएलएफटी के उग्रवादी समूहों और असम के कार्बी आंगलोंग के रहने वालों के साथ और पूर्वोत्तर से हिंसा समाप्त करके शांति स्थापित की है। उन्होंने कहा कि 2014 के मुकाबले अब पूर्वोत्तर में हिंसा की घटनाओं में 67 प्रतिशत कमी आयी है, सुरक्षा बलों के कर्मियों की मृत्यु में 60 फीसदी और असैन्य नागरिकों की मौत में 83 फीसदी कमी आयी है, जो बड़ी उपलब्धि है। गृहमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर के कई स्थानों से आफस्पा को हटा लिया है। उन्होंने बताया, असम में 70 प्रतिशत, मणिपुर के छह ज़िलों के 15 पुलिस थानों, अरुणाचल में तीन ज़िले छोड़कर सभी ज़िलों, नगालैंड के सात जिलों और त्रिपुरा व मेघालय से पूर्णतया आफस्पा को हटा लिया गया है।

उधर, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने समझौते पर हस्ताक्षर को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह शांति और समृद्धि लाने वाला बनेगा। उन्होंने कहा कि 51 साल के बाद, भारत का सबसे पुराना अंतरराज्यीय सीमा अपने निष्कर्ष पर पहुंच गया है और यह प्रधानमंत्री के आशीर्वाद, केन्द्रीय गृहमंत्री के दिशा-निर्देश और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के अथक सहयोग से संभव हुआ है। शर्मा ने कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश के साथ आज का समझौता पिछले दो वर्षों में मेघालय के साथ किए गए प्रयासों के अनुरुप ही है। इससे पूर्वोत्तर में भाईचारे की भावना बढेगी और हमारा संघीय ढांचा मजबूत होगा क्योंकि यह राज्यों के बीच विवादों को सुलझाने का नया तरीका लाया है।’’

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सीमा विवाद की समाप्ति को ‘‘अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक’’ बताया और भरोसा जताया कि इससे दोनों राज्यों में शांति और विकास में बड़ा बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की प्रेरणा और राजनीतिक इच्छाशक्ति तथा शर्मा नीत असम सरकार के सक्रिय सहयोग से संभव हो सका है। हम आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश द्वारा स्थानीय आयोग के समक्ष 2007 में जिन 123 गांवों पर दावा किया था, उनमें से 71 पर सौहार्दपूर्ण समाधान निकाल आया है। इनमें शर्मा और खांडू के बीच 15 जुलाई, 2022 को ‘नामसाई घोषणापत्र’ पर हस्ताक्षर के दौरान निकले 27 गांवों के समाधान, और आज के समझौते के तहत निकले 34 गांवों के समाधान शामिल हैं। इन 71 गांवों में से अरुणाचल प्रदेश में से एक गांव को असम में शामिल किया जाएगा, 10 गांव असम में ही बने रहेंगे और 60 गांवों को असम से लेकर अरुणाचल प्रदेश में शामिल किया जाएगा। बाकि बचे 52 गांवों में से 49 गांवों की सीमाएं अगले छह महीनों में क्षेत्रीय समितियों द्वारा तय की जाएंगी, वहीं भारतीय वायुसेना के बमबारी क्षेत्र में आने वाले तीन गांवों का पुनर्वास किया जाना आवश्यक है। इस समझौते के तहत दोनों राज्यों की सरकारें राजी हुई हैं कि 123 गांवों पर यह अंतिम फैसला होगा और यह विवाद समाप्त हुआ।

इसके अलावा, भारतीय युवा कांग्रेस की असम इकाई की अध्यक्ष अंकिता दत्ता ने कहा है कि उन्होंने अपने संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. पर उत्पीड़न के आरोप में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इससे पहले, पार्टी की राज्य इकाई ने मंगलवार को किए गए उनके ट्वीट को लेकर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। गौरतलब है कि दत्ता ने अपने ट्वीट में श्रीनिवास पर उत्पीड़न एवं भेदभाव करने का आरोप लगाया था। दत्ता ने दिसपुर थाने में शिकायत दर्ज करायी है जिसमें आरोप लगाया गया है कि श्रीनिवास पिछले छह महीने से लैंगिक टिप्पणियां एवं अपशब्दों का प्रयोग कर उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं और वरिष्ठ पार्टी नेताओं से शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दे रहे हैं। दत्ता ने शिकायत में आरोप लगाया कि फरवरी में रायपुर में आयोजित पार्टी के पूर्ण सत्र के दौरान, आरोपी ने उनके साथ बदतमीजी की और उनका राजनीतिक करियर बर्बाद करने की धमकी दी। इस मामले में पुलिस ने कहा है कि शिकायत की जांच की जा रही है और कानून का पालन किया जाएगा।

इसके अलावा, असम सरकार ने आपातकाल के दौरान जेल भेजे गये 300 से अधिक लोगों को 15,000 रुपये की मासिक पेंशन देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री अशोक सिंघल ने कहा कि राज्य सरकार आपातकाल के दौरान जेल भेज गये लोगों को ‘लोकतंत्र सेनानी’ मानती है। मंत्री ने कहा, ‘‘लोकतंत्र के प्रति उनके योगदान को लेकर असम मंत्रिमंडल ने 301 लोगों को मासिक पेंशन देने की आज मंजूरी दी। इन लोगों को 15,000 रुपये की मासिक पेंशन मिलेगी। इनमें जिन व्यक्तियों का निधन हो गया है, उनकी पत्नी को यह राशि मिलेगी और यदि दोनों का निधन हो चुका है तो उनकी अविवाहित बेटी को यह रकम मिलेगी।''

इसके अलावा, असम के कार्बी आंगलोंग जिले में मंगलवार को 100 से अधिक पूर्व उग्रवादी सत्तारुढ़ भाजपा में शामिल हो गए। वे पहले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सदस्य थे और उनका नेतृत्व नवीन चंद्र बोडो कर रहे थे। भाजपा कार्यालय में नए सदस्यों का स्वागत करते हुए कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तुलीराम रोंगहांग ने कहा, “एनडीएफबी के कुल 110 पूर्व सदस्य आज हमारी पार्टी में शामिल हुए हैं। वे विभिन्न क्षेत्रों से हैं और उग्रवादी संगठन में विभिन्न शीर्ष पदों पर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि इससे न केवल कार्बी आंगलोंग में, बल्कि पड़ोसी पश्चिम कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओं जिलों में भी पार्टी मजबूत होगी।

मणिपुर

मणिपुर से आई खबर की बात करें तो मणिपुर से भाजपा विधायक पाओनम ब्रोजेन ने बृहस्पतिवार को मणिपुर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष पद से ‘‘निजी आधार’’ पर इस्तीफा दे दिया। राज्य में ब्रोजेन तीसरे पार्टी विधायक हैं जिन्होंने एक पखवाड़े के भीतर मणिपुर सरकार के अपने संबंधित प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे दिया है। खबरों के मुताबिक तीनों विधायक पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मिलने और अपनी शिकायतों के बारे में बताने के लिए दिल्ली भी गये। उनके कदमों से अटकलें लगाई जा रही हैं कि बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में असंतोष पनप रहा है। हम आपको बता दें कि इससे पहले, भाजपा विधायक करम श्याम ने पर्यटन निगम मणिपुर लिमिटेड के अध्यक्ष पद से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उन्हें ‘‘कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है।’’ इसके अलावा, आठ अप्रैल को, पार्टी के एक अन्य विधायक थोकचोम राधेश्याम ने इसी तरह की शिकायत का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था। चौथे विधायक ख्वाइरकपम रघुमणि ने मणिपुर पुलिस में भाजपा के राज्य अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अस्कर अली के खिलाफ एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से उन्हें ‘‘धमकी’’ देने की शिकायत दर्ज कराई है। हालांकि, भाजपा के एक केंद्रीय नेता ने इस घटनाक्रम को अधिक तवज्जो नहीं देने की कोशिश की और राज्य सरकार में किसी भी बदलाव से इंकार किया। उन्होंने यह उल्लेख भी किया कि विभिन्न हित समूहों के बीच खींचतान मणिपुर की राजनीति की एक विशेषता रही है। उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकीय और क्षेत्रीय शिकायतों से जुड़े मुद्दों का इस्तेमाल कुछ लोग राजनीतिक कारणों से भी करते हैं।

मेघालय

मेघालय से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि मेघालय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से एक हलफनामा दायर कर शिलांग में यातायात जाम को कम करने के लिए उठाए गए और उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी मांगते हुए एक हलफनामा दायर करने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस संबंध में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। पीठ ने कहा, "राज्य के हलफनामे में निजी कारों और वाहनों की संख्या में वृद्धि की दर, बढ़ते पर्यटन उद्योग और उपलब्ध स्थान आदि पर अगले कुछ महीनों, वर्षों और लंबी अवधि के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए योजना का जिक्र होना चाहिए।"

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी त्रिपुरा में पार्टी संगठन को पुन: संगठित करने के लिए कदम उठाएगी। प्रदेश पार्टी सचिव जितेंद्र चौधरी ने यह जानकारी देते हुए आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा के पांच साल के कार्यकाल में लोकतांत्रिक मूल्यों का ‘‘गला घोंट’’ दिया गया है और उन्होंने सभी लोकतांत्रिक ताकतों से इन्हें बहाल करने के वास्ते हाथ मिलाने की अपील की। उन्होंने विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर चिंतन करने के लिए संपन्न सत्र के बाद बृहस्पतिवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘2023 के विधानसभा चुनाव में प्रतिभाओं का एक दल सामने आया है जिसने सभी खतरों तथा धमकियों को धता बताते हुए काम किया। हमने त्रिपुरा में लोकतंत्र बहाल करने का आंदोलन जारी रखने के लिए संगठन को पुन: संगठित करने का फैसला किया है।’’

इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने उत्तर त्रिपुरा जिले को उन लोगों का विवरण जुटाने का निर्देश दिया है, जिन्होंने मनुमनपुई में वन भूमि पर अतिक्रमण किया है, जिसे लेकर क्षेत्र में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर साहा ने सचिवालय में उत्तर त्रिपुरा के जिलाधिकारी जी नागेश कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। हम आपको बता दें कि पिछले एक महीने से, आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों के लोग वन विभाग की आपत्ति के बावजूद, कंचनपुर अनुमंडल के मनुमनपुई में अस्थायी ढांचों का निर्माण कर रहे हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, करीब 1,250 परिवारों ने पहले ही इलाके में शरण ले रखी है। वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे पाने वाले सैंकड़ों स्थानीय लोगों ने इस सप्ताह मनुमनपुई में धरना दिया और मांग की कि उनके भूखंडों को तुरंत खाली कराया जाए। उल्लेखनीय है कि 1997 में जातीय संघर्ष के बाद मिजोरम से भागकर त्रिपुरा आने वाले ब्रू समुदाय के लोगों का कंचनपुर उप-मंडल में बड़ी संख्या में पुनर्वास किया गया था।

इसके अलावा, त्रिपुरा में इन दिनों पड़ रही गर्मी के कारण राज्य के सभी सरकारी स्कूल 18 से 23 अप्रैल तक बंद रहेंगे। राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने इसकी घोषणा की। राज्य संचालित और राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों को बंद रखने की घोषणा करते हुए उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि भीषण गर्मी से छात्रों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। उन्होंने मौसम की मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य के निजी स्कूलों से भी ऐसा करने की अपील की।

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नगालैंड

नगालैंड से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि असम के गुवाहाटी से संदिग्ध फिरौती के लिये अपहृत किये गये नगालैंड के दो कारोबारियों को पुलिस ने एक मकान से बरामद कर लिया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मामले का मुख्य आरोपी अब भी फरार है, हालांकि उसकी पत्नी को पकड़ लिया गया है। अधिकारी ने कहा कि दोनों कारोबारी बिहार के रहने वाले हैं और वह नगालैंड के दीमापुर शहर में दुकान चलाते हैं। उन्होंने बताया कि दोनों को मुख्य आरोपी ने शुक्रवार की सुबह गुवाहाटी रेलवे स्टेशन के पास से कथित तौर पर अगवा कर लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें गुवाहाटी के नोटबोमा इलाके में एक मकान में बंद करके रखा गया था, जहां से हमने उन्हें छुड़ाया।''

इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या नगालैंड नगरपालिका और नगर परिषद चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की संवैधानिक योजना का उल्लंघन किया जा सकता है, जहां विधानसभा ने नगरपालिका अधिनियम को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया हो और शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए चुनाव न कराने का संकल्प व्यक्त किया हो। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि नगालैंड नगरपालिका अधिनियम 2001 को निरस्त करके चुनाव कराने के बारे में शीर्ष अदालत को दिए गए वचन से बचने के लिए एक ‘सरल तरीका’ अपनाया गया है। पीठ ने कहा कि यह महिला सशक्तीकरण का मुद्दा है। दरअसल शीर्ष अदालत ने पांच अप्रैल को नगालैंड में यूएलबी चुनाव को अगले आदेश तक रद्द करने वाली 30 मार्च की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। यह चुनाव लगभग दो दशकों के बाद 16 मई को होने वाले हैं। हालांकि आदिवासी संगठनों और नागरिक समाज समूहों के दबाव के बाद नगालैंड विधानसभा ने नगरपालिका अधिनियम को निरस्त करने और चुनाव न कराने का प्रस्ताव पारित किया था।

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि राज्य सरकार ने संपर्क और संचार में सुधार लाकर तथा कृषि गतिविधियों को मजबूत करके सीमावर्ती इलाकों के विकास पर काफी ध्यान दिया है जिसके परिणामस्वरूप विस्थापित हुए लोगों के लौटने के प्रारंभिक संकेत मिलने लगे हैं। खांडू ने चीन के साथ लगती सीमा पर स्थित किबितू गांव के दौरे पर बताया, ‘‘अरुणाचल प्रदेश का आधा क्षेत्र और एक तिहाई आबादी सीमावर्ती इलाकों में है जिसके कारण राज्य सरकार ने ऐसे उपायों के जरिए सीमावर्ती इलाकों के विकास पर काफी ध्यान दिया है।’’ अधिकारियों के अनुसार, दशकों से सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थित गांव खराब संपर्क, पर्वतीय क्षेत्र, कमजोर संसाधन और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी विभिन्न चुनौतियों से जूझते रहे हैं जिसके कारण लोगों को विकसित इलाकों की ओर रुख करने पर विवश होना पड़ा था।

मिजोरम

मिजोरम से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा को बड़ा लाभ हुआ है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में स्थानीय चुनावों में बड़ी जीत हासिल की है। भाजपा ने मिजोरम में मारा स्वायत्त जिला परिषद के चुनाव में 99 में से 41 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा कुल 492 ग्राम परिषद सीटों में से भाजपा ने 232 सीटों पर जीत दर्ज की है। सत्तारुढ़ एमएनएफ ने 33 आरक्षित सीटों सहित 127 सीटों पर जीत हासिल की है। उसके बाद कांग्रेस ने 15 आरक्षित सीटों सहित 78 सीटें जीतीं हैं।

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