नीतीश ने विपक्षी दलों से साथ आने की अपील की, कहा- थर्ड फ्रंट नहीं, अब मेन फ्रंट बनेगा
नीतीश कुमार ने शरद पवार के साथ 30 मिनट चली बैठक के बाद कहा कि पवार और मैं दोनों उन विपक्षी ताकतों को एकजुट करना चाहते हैं, जो भाजपा के साथ नहीं हैं। गठबंधन के नेता का फैसला बाद में किया जा सकता है। पहले एक साथ आना जरूरी है।
नयी दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को सभी गैर भाजपा दलों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि यह ‘‘मुख्य मोर्चा’’ होगा न कि ‘‘तीसरा मोर्चा’’। कुमार ने कई गैर-भाजपाई नेताओं से मुलाकात के बाद यहां पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बातचीत विस्तृत और सकारात्मक रही। उन्होंने कहा,“यदि विभिन्न राज्यों में सभी गैर-भाजपाई दल एक साथ आते हैं, तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक ऐसा माहौल बनेगा जिसके बाद चीजें एकतरफा नहीं रहेंगी। मैंने जिस किसी से भी बात की, उसके साथ सकारात्मक चर्चा हुई।” तीसरे मोर्चे की बात पर उन्होंने कहा, “जब भी कोई कहता है कि तीसरा मोर्चा बनाने की जरूरत है, तो मैं हमेशा कहता हूं कि चलो मुख्य मोर्चा बनाते हैं। जब भी ऐसा होगा, वह मुख्य मोर्चा होगा, तीसरा मोर्चा नहीं।” इससे पहले दिन में कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को एक साझा मंच पर लाने के प्रयासों के तहत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की और कहा कि 2024 के चुनावों के लिए उनके गठबंधन के नेता का फैसला बाद में किया जाएगा। विपक्षी गठबंधन की व्यापक रूपरेखा के बारे में कुमार ने कहा कि पहले साथ आना जरूरी है। कुमार ने भाकपा (माले) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य से भी मुलाकात की। जनता दल (यूनाइटेड) के नेता कुमार ने कहा कि भाजपा के खिलाफ एक विकल्प पेश करने का उचित समय आ गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा “जनता के लिए कुछ नहीं कर रही है।”
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कुमार ने पवार के साथ 30 मिनट चली बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “पवार और मैं दोनों उन विपक्षी ताकतों को एकजुट करना चाहते हैं, जो भाजपा के साथ नहीं हैं। गठबंधन के नेता का फैसला बाद में किया जा सकता है। पहले एक साथ आना जरूरी है।” बिहार में भाजपा से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और अन्य दलों के साथ सरकार बनाने के बाद कुमार राष्ट्रीय राजधानी के अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री कुमार ने सोमवार को कांग्रेस के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उन्होंने मंगलवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी. राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रमुख ओ.पी. चौटाला, समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए एक बार फिर दिल्ली आएंगे, जो निजी कारणों से विदेश यात्रा पर हैं। कुमार ने अपने सबसे पुराने सहयोगियों में से भाकपा (माले) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य से मुलाकात के बाद कहा, “मैं दिल्ली में सभी लोगों से मिला हूं और उनमें से कई लोगों ने मुझे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से बाहर आने के लिए धन्यवाद दिया है। हर कोई चाहता है कि हर राज्य में एकता हो और आने वाले दिनों में देश में ऐसा माहौल बनेगा।” कुमार ने कहा कि हर कोई विपक्षी एकता की बात कर रहा है और देश के लिए एक चेहरे से ज्यादा एक संयुक्त मोर्चे की जरूरत है। उन्होंने कहा, “सबको एहसास है कि जिनके हाथ में सत्ता है, वे देश में हर जगह नुकसान पहुंचा रहे हैं।”
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बिहार विधानसभा में वाम दलों के 16 विधायक बाहर से नीतीश सरकार का समर्थन कर रहे हैं। इनमें भाकपा (माले) के 12, भाकपा और माकपा के दो-दो विधायक शामिल हैं। भाकपा (माले) के महासचिव से मुलाकात के बाद कुमार ने कहा, “बिहार में सात राजनीतिक दल एकजुट हैं और हम मिलकर सरकार चला रहे हैं, जबकि दूसरी तरफ सिर्फ भाजपा है।” उन्होंने कहा, “हमने आम सहमति से राज्य के विकास के लिए कैसे काम किया जाए, समाज के हर वर्ग का उत्थान कैसे किया जाए और लोगों के कल्याण के लिए काम कैसे किया जाए, इस पर चर्चा की।” भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि देश में भाजपा के “बुलडोजर राज” को रोकने के लिए एकजुट विपक्ष को कैसे काम करना चाहिए। भट्टाचार्य ने कहा, “यह अच्छा है कि नीतीश जी विपक्ष को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। जिस तरह से भाजपा भारत को एक दलीय राष्ट्र बनाने की कोशिश कर रही है, हमें लोकतंत्र को कमजोर करने के भाजपा के प्रयास को विफल करने के लिए एक साथ मिलकर लड़ना होगा।” नीतीश कुमार भले ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के कयासों को लगातार खारिज कर रहे हों, लेकिन उनकी पार्टी के भीतर इस बात को लेकर आवाज उठ रहीहै कि कुमार अपने विशाल अनुभव और साफ-सुथरी छवि के कारण विपक्षी नेतृत्व की कमान संभालने के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हैं। प्रधानमंत्री बनने की उनकी आकांक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने मंगलवार को कहा था, “यह ठीक नहीं है। मैं इस पद का दावेदार नहीं हूं और न ही मैं इसका इच्छुक हूं।
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