दिल्ली में अभी लागू नहीं होगी नई आबकारी नीति, बवाल के बाद बैकफुट पर केजरीवाल सरकार

liquor in delhi
ANI
अंकित सिंह । Jul 30 2022 9:17AM

खबर के मुताबिक दिल्ली सरकार को नई आबकारी नीति लागू होने तक 6 महीने की अवधि के लिए पुरानी आबकारी नीति की व्यवस्था को वापस करने का निर्देश दिया गया है। आपको बता दें कि दिल्ली में आबकारी नीति 2021-22 को 31 मार्च के बाद से दो बार दो 2 महीने के लिए बढ़ाया जा चुका है। यह 31 जुलाई को खत्म हो रहा है।

दिल्ली में नई आबकारी नीति को लेकर बवाल लगातार जारी है। नई शराब नीति में अनियमितताओं को लेकर उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए हैं। दिल्ली सरकार की ओर से इसके खिलाफ खूब हो-हल्ला भी किया जा रहा है। हालांकि, कहीं ना कहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार इस मामले को लेकर अब बैकफुट पर दिखाई दे रही है। यही कारण है कि फिलहाल दिल्ली में नई आबकारी नीति को लागू नहीं किया जा रहा है। खबर के मुताबिक दिल्ली सरकार को नई आबकारी नीति लागू होने तक 6 महीने की अवधि के लिए पुरानी आबकारी नीति की व्यवस्था को वापस करने का निर्देश दिया गया है। आपको बता दें कि दिल्ली में आबकारी नीति 2021-22 को 31 मार्च के बाद से दो बार दो 2 महीने के लिए बढ़ाया जा चुका है। यह 31 जुलाई को खत्म हो रहा है।

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जानकारी के मुताबिक दिल्ली में फिलहाल आबकारी नीति 2022-23 पर काम किया जा रहा है। दिल्ली में आबकारी विभाग का प्रभार संभाल रहे उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नई नीति के आने तक 6 महीने के लिए आबकारी की पुरानी व्यवस्था पर ही लौटने का निर्देश दिया है। केजरीवाल सरकार का यह फैसला नई आबकारी नीति के क्रियान्वयन में अनियमितता की जांच की सिफारिश के बाद लिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक आबकारी विभाग अब भी आबकारी नीति 2022-23 पर काम कर रहा है जिसमें शराब घर तक पहुंचाने एवं कई अन्य सिफारिशें हैं। उनके अनुसार इस मसौदा नीति को अभी उपराज्यपाल वी के सक्सेना के पास नहीं भेजा गया है। 

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वहीं, भाजपा और कांग्रेस लगातार अरविंद केजरीवाल नीत सरकार द्वारा नयी आबकारी नीति के क्रियान्वयन में अनियमितताओं को लेकर प्रदर्शन कर रही है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि शहर में शराब की दुकानों की भरमार करके आप सरकार ने दिल्ली को ‘नशे की राजधानी’ में बदल दिया है। खबर तो यह भी है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने समूह एकाधिकार को बढ़ावा देने और शराब के लाइसेंस के लिए काली सूची में डाली गईं कंपनियों का पक्ष लेने के आरोपों पर मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है। मामला आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ा है।

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