2024 के लिए बन रहा नया समीकरण ! ममता के प्रति अधीर के दिल में 'सम्मान' की वजह क्या ?
राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि अधीर रंजन चौधरी से इस तरह की बातें निकलना कहीं ना कहीं नई तरह की राजनीतिक का संकेत दे रही है। अधीर रंजन चौधरी ने अपने आदत से बिल्कुल विपरीत अलग स्वर अपनाई है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हुए लगभग 1 महीने बीत चुके है। 2 मई को इसके नतीजे भी आ गए थे और तृणमूल कांग्रेस की सरकार मजबूती के साथ एक बार फिर से सत्ता में आने में कामयाब रही। इस चुनाव में भाजपा 77 सीटों के साथ विपक्ष की भूमिका में आई। लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस और लेफ्ट पार्टी को हुआ। कांग्रेस एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई। यही कारण रहा कि पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी पर उनकी ही पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। इन सबके बीच अधीर रंजन चौधरी ने बड़ा ऐलान किया है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि भवानीपुर उपचुनाव में उनकी पार्टी ममता बनर्जी के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि अधीर रंजन चौधरी से इस तरह की बातें निकलना कहीं ना कहीं नई तरह की राजनीतिक का संकेत दे रही है। अधीर रंजन चौधरी ने अपने आदत से बिल्कुल विपरीत अलग स्वर अपनाई है।
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कुछ नेताओं का मानना है अधीर रंजन कहीं ना कहीं ममता बनर्जी का समर्थन कर अपनी गद्दी बचाना चाहते हैं। एक नेता ने कहा कि अगर ममता बनर्जी के प्रति सम्मान और इज्जत दिखाना ही है तो संयुक्त मोर्चे से अलग हो जाइए। गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में संयुक्त मोर्चे का गठन हुआ था जिसमें कांग्रेस के अलावा वाम दल और इंडियन सेक्यूलर फ्रंट शामिल थे। उप चुनाव में उम्मीदवार न उतारने की बात करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह ऐसा करके ममता बनर्जी का सम्मान करेंगे। अधीर रंजन चौधरी को हमेशा ममता बनर्जी का धुर विरोधी माना जाता है। कांग्रेस पार्टी के कई नेता मानते हैं कि अधीर रंजन चौधरी की ही वजह से पार्टी का बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हो पाया।
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आपको बता दें कि भवानीपुर से ममता बनर्जी उप चुनाव लड़ेंगी। नंदीग्राम से ममता बनर्जी चुनाव हार गई हैं। तृणमूल के विधायक ने पिछले दिनों ही भवानीपुर सीट खाली करने का ऐलान किया था। इससे पहले ममता बनर्जी भवानीपुर से ही विधायक थीं। अपने ऐलान के दौरान अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस राज्य में भारी बहुमत के साथ एक बार फिर से सत्ता में लौट आई है और मुख्यमंत्री वहां से उम्मीदवार हैं। ऐसे में वहां कांग्रेस के लिए कोई संभावना नहीं है और उम्मीदवार उतारने की जरूरत नहीं दिखाई नहीं दे रही है।
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लेकिन अचानक क्या सवाल उठने लगा है कि आखिर अधीर के अंदर ममता बनर्जी को लेकर इतनी आदर और सम्मान क्यों? क्या आलाकमान का दबाव है? क्या 2024 के लिए नया समीकरण बनाने की कोशिश की जा रही है? कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि जिस तरह से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने बीजेपी को रोका है उससे उनका राष्ट्रीय स्तर पर कद बढ़ा है। वह भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मजबूत नेता के तौर पर उभरी हैं। लेकिन वाकई जिस तरह से अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर अपनाया है उससे तो यही लगता है कि 2024 को लेकर विपक्ष एक बार फिर से नए समीकरण को साधने की कोशिश कर रहा है। सवाल यह भी है कि भवानीपुर से अगर कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतरती है तो क्या लेफ्ट या फिर आईएसएफ की ओर से उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा?
अधीर रंजन चौधरी कमजोर नेता, कांग्रेस को TMC के साथ गठजोड़ करना चाहिए था: मोइली
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली ने कहा था कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी को ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहिए था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को कमजोर नेता बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। मोइली ने राज्य में कांग्रेस के सफाये के लिए गठबंधन संबंधी कारणों को जिम्मेदार ठहराया जहां उनकी पार्टी ने वाम दलों तथा इंडियन सेकुलर फ्रंट के साथ गठजोड़ किया था। उन्होंने कहा कि बनर्जी तृणमूल कांग्रेस बनाने से पहले कांग्रेस में थीं और ‘हमारी अपनी’ हैं। मोइली ने कहा कि भले ही उन्होंने पहले हमारे विधायकों को अपनी ओर खींच लिया हो लेकिन पार्टी उनके साथ बेहतर गठजोड़ कर सकती थी। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री मोइली ने कहा, ‘‘जब वह भाजपा के खिलाफ लड़ रही हैं, तो हमारी सही साझेदार वही रहतीं।’’
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