NCP विधायक ने उद्धव ठाकरे से की मांग, भीमा कोरेगांव केस हों वापस
उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में धनंजय मुंडे ने दावा किया कि राज्य की पिछली देवेन्द्र फडणवीस सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत कोरेगांव-भीमा घटनाक्रम में शामिललोगों के खिलाफ ‘‘झूठे’’ मामले दर्ज किये गये थे। उन्होंने ठाकरे को लिखे एक पत्र में इन मामलों को वापस लेने का अनुरोध किया।
मुंबई। राकांपा नेता और विधायक धनंजय मुंडे ने पुणे में कोरेगांव-भीमा हिंसा से संबंधित मामलों को वापस लिये जाने की मांग की है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नाणार रिफाइनरी परियोजना और आरे मेट्रो कारशेड प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लिये जाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के कुछ दिन बाद मुंडे ने यह मांग की। भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित ‘एलगार परिषद’ के सम्मेलन में दिये गये कथित भड़काऊ भाषण के एक दिन बाद एक जनवरी, 2018 को पुणे जिले के कोरेगांव-भीमा गांव में हिंसा हो गई थी।
भीमा कोरेगाव दंगलीत सामाजिक कार्यकर्ते व नागरिकांविरुद्ध तत्कालीन भाजप सरकारने हेतुपुरस्सर नोंदवलेले गुन्हे मागे घेण्याची मागणी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांना केली. भाजप सरकारच्या अत्याचारात बळी ठरलेल्यांना न्याय देण्याचे काम मुख्यमंत्र्यांनी करावे.#BhimaKoregaon @CMOMaharashtra pic.twitter.com/Jve8fMVw1r
— Dhananjay Munde (@dhananjay_munde) December 3, 2019
ठाकरे को लिखे पत्र में मुंडे ने दावा किया कि राज्य की पिछली देवेन्द्र फडणवीस सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ताओं समेत कोरेगांव-भीमा घटनाक्रम में शामिललोगों के खिलाफ ‘‘झूठे’’ मामले दर्ज किये गये थे। मुंडे ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाने वाले बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को ‘‘प्रताड़ित’’ किया था और उनमें से कई को ‘‘शहरी नक्सली’’ बताया था।
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उन्होंने ठाकरे को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘मैं मामलों को वापस लेने का अनुरोध करता हूं।’’ एलगार परिषद-कोरेगांव भीमा मामले के सिलसिले में पुणे पुलिस द्वारा कुछ कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) समेत नक्सली संगठनों से संबंध होने के आरोप लगाये थे। इन वामपंथी कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैर कानूनी गतविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामले दर्ज किये गये थे।
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