नेशनल कॉन्फ्रेंस को मिला 4 निर्दलीय विधायकों का समर्थन, उमर अब्दुल्ला चुने गए विधायक दल के नेता

Omar Abdullah
ANI
अंकित सिंह । Oct 10 2024 2:53PM

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 46 सीटों के साथ बहुमत के आंकड़े के साथ 42 सीटें जीती हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस की सहयोगी कांग्रेस को छह सीटें मिली हैं। हालाँकि, 4 स्वतंत्र विधायकों के समर्थन से, एनसी को अपने दम पर बहुमत मिल गया है और वह कांग्रेस पर भरोसा करने के लिए बाध्य नहीं है।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित करने के बाद, चार निर्दलीय विधायक गुरुवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन में शामिल हो गए। एनसी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक दल का प्रमुख चुना गया। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि विधायक दल की एक बैठक हुई जहां सभी ने सर्वसम्मति से उमर अब्दुल्ला को अपना नेता चुना। उन्होंने कहा कि सरकार गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगियों की एक बैठक शुक्रवार को होगी।

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उमर अब्दुल्ला ने कहा क आज नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल की बैठक में मुझे विधायक दल का नेता चुना गया है। मैं विधायकों का आभार व्यक्त करता हूं। कांग्रेस से समर्थन पत्र लेने के लिए बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि 4 निर्दलीय विधायकों ने भी नेशनल कॉन्फ्रेंस को अपना समर्थन दिया है। अब एनसी की संख्या 42 प्लस 4 निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस का पत्र मिलने के बाद हम राजभवन जाकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 46 सीटों के साथ बहुमत के आंकड़े के साथ 42 सीटें जीती हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस की सहयोगी कांग्रेस को छह सीटें मिली हैं। हालाँकि, 4 स्वतंत्र विधायकों के समर्थन से, एनसी को अपने दम पर बहुमत मिल गया है और वह कांग्रेस पर भरोसा करने के लिए बाध्य नहीं है। एनसी को निर्दलीय विधायकों के समर्थन ने गठबंधन में कांग्रेस पार्टी की सौदेबाजी की शक्ति को भी कम कर दिया है। 

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इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजे साबित करते हैं कि जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर लोग पूर्ववर्ती राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के पक्ष में नहीं हैं। उमर ने यहां पीटीआई वीडियो से कहा, ‘‘यह (जनादेश) स्पष्ट रूप से उस फैसले के पक्ष में नहीं है। अगर ऐसा होता, तो भाजपा जीत जाती। जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर लोगों ने पांच अगस्त 2019 के कदम का समर्थन नहीं किया है। यह एक सच्चाई है। हमसे परामर्श नहीं किया गया और हम उस फैसला का हिस्सा नहीं थे। लेकिन अब हम आगे बढ़ेंगे और देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।’’ 

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