राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण संशोधन विधेयक का मकसद NIA अधिनियम को मजबूत बनाना: रेड्डी
अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों की वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के अन्वेषण के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि भारत के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है। इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है।
नयी दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा शुरू हुई और सरकार ने कहा कि आज जब देश दुनिया को आतंकवाद के खतरे से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य एनआईए को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है। निचले सदन में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखा। इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीNIA< करण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है। गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है। आज आतंकवाद बहुत बड़ी समस्या है, देश में ऐसे उदाहरण हैं जब मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आतंकवाद के शिकार हुए हैं। आतंकवाद आज अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या है।
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ऐसे में हम एनआईए को सशक्त बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक एनआईए अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का विषय है तो हम सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाना चाहते हैं। कई बार जज का ट्रांसफर हो जाता है, पदोन्न्ति हो जाती है, तब अधिसूचना जारी करना पड़ती है और इस क्रम में दो तीन माह चले जाते हैं। हम इसे रोकना चाहते हैं। जजों की नियुक्ति उच्च न्यायालय को करनी है। रेड्डी ने कहा कि हम चाहते है कि एनआईए को भारत के बाहर दुनिया में किसी भी हिस्से में भारतीयों के खिलाफ मामले की जांच करने में सक्षम बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसम्पत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो। उन्होंने कहा कि इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 उपबंध करता है कि अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे व्यक्तियों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिये है जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विरूद्ध या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं।
अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों की वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के अन्वेषण के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि भारत के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है। इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण के मकसद से एक या अधिक सत्र अदालत, या विशेष अदालत स्थापित करें। इससे पहले आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने बजट से जुड़ी अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा के बीच में विधेयक को पारित करने के लिये लाये जाने का विरोध करते हुए प्रक्रिया और नियमों के विषय को उठाया।
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प्रेमचंद्रन और राय ने कहा कि नियमों के तहत वित्तीय कामकाज के बीच में विधेयक को पारित करने के लिये नहीं लाया जा सकता है। यह अवैध है। ऐसा नहीं होना चाहिए। इस पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि नियमों में यह भी कहा गया है कि अगर सूचीबद्ध कार्य समय से पूरे हो जायें तो स्पीकर की अनुमति से अन्य विषय लिये जा सकते हैं। भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने भी कहा कि स्पीकर की व्यवस्था सर्वोपरि होती है। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अनुदान की मांग पर चर्चा हो रही है, सदस्यों के समय में कोई कटौती नहीं होगी। वित्तीय कामकाज जरूरी है लेकिन कई और अन्य कार्य भी जरूरी होते हैं। ऐसे में वह व्यवस्था दे रहे हैं कि इस बार विधेयक को लिया जाए। इसके बाद राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण संशोधन विधेयक 2019 पर चर्चा शुरू हुई।
विचार तथा पारित करने के लिए “राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (संशोधन ) विधेयक 2019” को सदन में रखा गया
— Lok Sabha TV (@loksabhatv) July 15, 2019
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