हरिद्वार कुंभ की शोभा बढ़ा रहे मुस्लिम संत श्री एम, योगी आदित्यनाथ से भी है खास रिश्ता
सबसे खास बात है कि श्री एम योगी आदित्यनाथ के भी अनुयाई हैं। श्री एम जिस तरीके से वेदों, उपनिषदों और भगवत गीता पर धाराप्रवाह प्रवचन देते हैं। इससे इस बात का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है कि उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था।
कोरोना महामारी के बीच हरिद्वार कुंभ का आयोजन भले ही चर्चा का विषय बना हुआ है लेकिन साधु-संतों की मौजूदगी इसकी शोभा बढ़ा रही है। इन सबके बीच हरिद्वार कुंभ में एक ऐसा संत पहुंचा है जो हिंदुओं के इस महापर्व में चार चांद लगा रहा है। माथे पर यू आकार का चंदन तिलक है, गेरुआ वस्त्र धारण किए हुए संत को देखने के बाद यह कोई नहीं कह सकता कि यह मुस्लिम परिवार में पैदा हुए थे। हालांकि शुरू से यह वैष्णव परंपरा में ही खुद को ढाल चुके हैं। यह श्री एम के नाम से जाने जाते हैं। उपनिषदों और भगवत गीता का प्रवचन देते हैं। पूछने पर पता चला कि श्री एम का जन्म केरल के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था और इनका नाम मुमताज अली खान था। कुंभ में इन्होंने अपना अखाड़ा योगदान स्थापित किया है जहां शास्त्रों का प्रवचन हर रोज होता है। मुस्कुराती आंखों से वे कहते हैं कि भगवान को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, अल्लाह, मसीह, कृष्ण और अन्य लेकिन बावजूद इसके ईश्वर एक है। अगर एक बार हमें ज्ञान प्राप्त होता है तो हमें बस एक ही चीज दिखाई देती है कि हर कोई एक ही मार्ग की तलाश कर रहा है।
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सबसे खास बात है कि श्री एम योगी आदित्यनाथ के भी अनुयाई हैं। श्री एम जिस तरीके से वेदों, उपनिषदों और भगवत गीता पर धाराप्रवाह प्रवचन देते हैं। इससे इस बात का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है कि उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। इनके अखाड़े में साधुओं की सेवा की जाती है भजन गाए जाते हैं। इनके परोपकार और आध्यात्मिक के क्षेत्र में योगदान को देखते हुए इन्हें सरकार की ओर से पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। इनका संगठन सत्य संघ फाउंडेशन आंध्र प्रदेश में कई स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र चलाता है। बचपन से ही इनका रुझान योगियों के प्रति था। 19 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर त्याग दिया और गुरु की तलाश में हिमालय की ओर चल पड़े।
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गुरु की तलाश में इन्होंने ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक की पैदल ही भ्रमण करना ठीक समझा। आखिरकार हिमालय की गोद में इनकी मुलाकात अपने गुरु से होती है। इसके बाद इन्होंने अपने गुरु के साथ लगभग 3 सालों तक हिमालय की यात्रा की। इनके गुरु ने उन्हें धर्म ग्रंथों का ज्ञान दिया। वे अपने ग्रुप के रास्तों पर चलते हैं। योगसूत्र, उपनिषदों और वेदों पर प्रवचन देते हैं। उनके लिखे किताबों में अध्यात्मिक चीजों को ज्यादा महत्व दिया जाता है और उनका ज्यादातर ज्ञान वही होता है जो उन्हें गुरु ने सिखाया है। योगी आदित्यनाथ से भी इनका एक रिश्ता है और वह रिश्ता इसलिए है कि जिस नाथ संप्रदाय से योगी आदित्यनाथ जुड़े हैं उसी नाथ संप्रदाय में इन्होंने दीक्षा ली है।
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