Doda Terror Attack: डोडा में शहीद हुए कैप्टन थापा की मां को है इस बात का दुख, आंखों मे आंसू लेकर बताया

nilima thapa
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रितिका कमठान । Jul 17 2024 11:14AM

शहीद कैप्टन थापा की मां नीलिमा का कहना है कि बेटे की जान जाने का दुख तो हमेशा ही रहेगा। मगर वो देश के लिए शहीद हुआ इस बात का गर्व अधिक है। मेरा बेटा था तो क्या हुआ बॉर्डर पर किसी ना किसी को तो जाना ही पड़ेगा। कोई नहीं जाएगा तो हम सुरक्षित कैसे रहेंगे।

जम्मू कश्मीर के डोडा में मंगलवार 16 जुलाई को आतंकवादियों और सेना के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस घटना में एक अधिकारी समेत चार जवान शहीद हुए है। इस एनकाउंटर में दार्जिलींग के रहने वाले कैप्टन बृजेश थापा की भी जान गई है। कैप्टन थापा ही आतंकियों से लोहा ले रही टीम का नेतृत्व कर रहे थे। उनके शहीद होने की जानकारी मिलने के बाद उनकी मां का रो रोकर बुरा हाल हो गया है। हालांकि उन्हें गर्व है कि उनके बेटे ने देश के लिए शहादत दी है।

कैप्टन बृजेश थापा की मां नीलिमा अपने बेटे के जाने से काफी दुखी है। आंखों में आंसू लेकर उन्होंने बताया कैप्टन बृजेश अंतिम बार मार्च में घर आए थे। घर पर तीन चार दिन रुके थे और चले गए थे। उन्हें फिर से जुलाई में आना था। मगर वो इस तरह से आएंगे इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। रविवार को ही कैप्टन बृजेश ने अपने पिता और मां से फोन पर बात की थी। इसके बाद से वो बात नहीं कर सके थे। परिवार को सीधे उनके निधन की खबर ही मिली है।

 

गर्व से चूर है मां

शहीद कैप्टन थापा की मां नीलिमा का कहना है कि बेटे की जान जाने का दुख तो हमेशा ही रहेगा। मगर वो देश के लिए शहीद हुआ इस बात का गर्व अधिक है। मेरा बेटा था तो क्या हुआ बॉर्डर पर किसी ना किसी को तो जाना ही पड़ेगा। कोई नहीं जाएगा तो हम सुरक्षित कैसे रहेंगे। उसका ही सपना था कि पिता की तरह वो भी सेना में जाकर नाम रौशन करे।

बीटेक के बाद भी चुनी सेना

बृजेश थापा मात्र 26 वर्ष के ही थे। उनकी ट्रेनिंग 2019 में पूरी हुई थी, जिसके बाद वो आर्मी में गए थे। कैप्टन थापा की तीन पीढ़ियां सेना में रही है। उनके पिता भुवनेश रिटायर्ड कर्नल है। भुवनेश थापा का कहना है कि उनका बेटा बचपन से ही सेना में जाने का सपना देखता था। उसे वर्दी पहनने का शौक था। उन्होंने बताया कि वो मेरी वर्दी पहनकर इधर उधर घूमता था। उसे नेवी में जाने को भी कहा था मगर उसकी जिद आर्मी में ही जाने की थी। बीटेक करने के बाद भी उसने सेना को ही चुना था।

 

कभी नहीं मिल पाने का रहेगा दुख

भुवनेश थापा का कहना है कि उसने देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया है। इसका गर्व है। मगर ये दुख भी रहेगा कि उससे कभी जीवन में मिल नहीं सकेंगे। गौरतलब है कि कैप्टन थापा की अगुवाई में ही सेना की टीम जंगली इलाके में आतंकवादियों से भिड़ने पहुंची थी। इस दौरान सेना के जवानों और आतंकवादियों की मुठभेड़ शुरु हुई थी। इस मुठभेड़ में कैप्टन बृजेश थापा समेत चार जवानों की मौत हुई थी।

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