सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास मोदी सरकार 2.0 के 50 दिन पूरे हो गए और इस संकल्प के आसरे प्रधानमंत्री लगातार सभी लोगों को साथ लेकर चलने की बात लगातार हर मंच से करते रहते हैं। लेकिन हमारे देश के कई राजनेताओं ने इंसानों को हिन्दू-मुसलमान में बांटते-बांटते अब दुकानों और व्यापार को भी धर्म के धरातल पर उतारते हुए लोकतंत्र के तमाम कायदों-कानून का लोप कर दिया। 'इनसे सामान लेना बंद कर दो। दस दिन या एक महीना चाहे तो पानीपत या कहीं और जाकर ले लो। सबकी बेहतरी इसी में है, जो भाजपा के लोग बाजार में बैठे हैं उनमें सुधार आ जाएगा' ये बोल माननीय सपा विधायक नाहिद हसन के हैं। सामजवाद का झंडा बुलंद करने के दावे करने वाली पार्टी के विधायक लोहिया और जेपी के आदर्शों को तिलांजलि देते दिख रहे हैं। समाजवादी पार्टी के विधायक ने कह दिया कि भाजपा समर्थक दुकानें सरकार के साथ हैं और उनका बहिष्कार कर दिया जाए।
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साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कैराना के लोगों ने विधायक को इस उम्मीद में वोट किया कि जाति, धर्म और समुदाय से ऊपर उठकर अपने इलाके की बेहतरी के लिए काम करेंगे। लेकिन विधायक जी जनता के बीच सांप्रदायिकता का जहर उगल रहे हैं। कैराना के सराय मोहल्ले में नाहिद हसन ने नफरत का जो बीज बोया उसके लब्बोलुआब पर गौर करें तो वो मुस्लिम समुदाय से भाजपा समर्थित दुकानों के बहिष्कार की अपील कर रहे हैं। राजनेताओं ने लोगों को हिन्दू-मुसलमान में बांटते-बांटते दुकानों को भी नहीं बख्शा। देखते ही देखते व्यापार और कारोबार भी अब हिन्दू-मुसलमान हो गया। विधायक के बयान का वीडियो वायरल हुआ तो इस पर सियासत भी शुरू हो गई। भाजपा ने विधायक के बयान पर कड़ा विरोध जताया। वहीं सपा सांसद आजम खान ने इसके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। समाजवादी पार्टी के विधायक नाहिद हसन जिस इलाके के विधायक हैं और इसका उस इलाके पर क्या असर पड़ सकता है जैसे तथ्यों पर गौर करें तो कैराना मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्र माना जाता है।
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कैराना में मुस्लिम आबादी 52 फीसदी के लगभग है। 2016 में कैराना में 346 हिन्दू परिवारों के पलायन का मुद्दा खूब उठा था। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों की आंच शामली और कैराना तक पहुंची थी। कैराना से मुज़फ्फरनगर की दूरी महज 50 किलोमीटर है। कैराना जैसे संवेदनशील इलाके में विधायक का वीडियो वायरल हुआ तो प्रशासन भी हरकत में आ गया। सपा विधायक के खिलाफ मामला दर्ज भी कर लिया गया और मामले की जांच एएसपी को सौंप दी गई। गैरजिम्मेदाराना बयान देने वाले नाहिद हसन अपनी बात पर टिके भी हैं उन्हें किसी भी तरह का कोई पछतावा नहीं है। वो कह रहे हैं मेरे ऊपर 100 केस भी लगा लो मैं अपनी बात से पीछे नहीं हटने वाला। नाहिद ने कहा कि मैंने उन गरीब लोगों के पक्ष में आवाज उठाई है, जिनके घर तोड़ दिए गए हैं। जिन गरीबों को भाजपा के समर्थक दुकानदार बाजारों में ठेले नहीं लगाने दे रहे। नाहिद लाख सफाई दे रहे हो लेकिन अन्याय के प्रति आवाज उठाने की जो उनकी भाषा और तरीका है उसे सांप्रदायिकता का जहर कहते हैं।
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नाहिद का बयान आया तो इधर तेलंगाना में भाजपा के एकमात्र विधायक राजा सिंह ने जवाबी जहर बोया। सिंह ने कहा कि कहा कि अगर यही काम हम लोग करे, और तुम्हारे लोगों की दुकानों का बहिष्कार कर दें। तो भूखे मर जाओगे भीख मांग के तुम लोगों को खाना पड़ जाएगा। हम खरीदते हैं तो तुम ज़िंदा हो अगर हम तुम्हारे जैसा सोचने लगे तो सोचो तुम्हारा हाल क्या होगा।
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लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूसरी पारी शुरू करने से पहले ही साफ कर दिया कि उनकी सरकार सबका विश्वास हासिल करेगी, और हर समुदाय, हर वर्ग के लिए काम करेगी। लेकिन दूसरी तरफ शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद मॉब लिंचिंग से आत्मरक्षा के नाम पर लोगों को हथियार खरीदने की नसीहत देकर इस प्रसाय को विफल करने की कोशिश में लगे हैं। बचपन में किताबों में अक्सर यह पढ़ने को मिलता था कि भारत विविधताओं का देश है और यहां सभी धर्म और समुदाय के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। लेकिन कई नेता बोलते-बोलते इतने बहक जाते हैं कि सांप्रदायिकता और नफरत के नए विशेषण की खोज में दुकानों और इंसानों को बांटने पर उतर जाते हैं।
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