Modi Cabinet के मंत्री Arjun Munda खूंटी सीट से हारे, 1.49 लाख वोटों से मिली मात

Arjun Munda
प्रतिरूप फोटो
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अर्जुन मुंडा पहली बार मार्च 2003 में मुख्यमंत्री बने थे, जब उन्होंने बाबूलाल मरांडी की जगह ली थी, जब जेडीयू और समता पार्टी के विधायकों ने बाबूलाल मरांडी की कार्यशैली के खिलाफ विद्रोह किया था। मरांडी के नेतृत्व वाली पहली एनडीए सरकार में वे आदिवासी मामलों के मंत्री थे।

केंद्रीय जनजातीय मामलों और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा को लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है। अर्जुन मुंडा खूंटी लोकसभा सीट पर हार गए है। उन्हें कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से 1.49 लाख वोटों से हार मिली है। ये जानकारी अधिकारियों ने दी है।

तीन बार मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा ने वर्ष 2019 में कालीचरण मुंडा को 1,445 वोटों से हराया था। वहीं इस बार कालीचरण ने जीत हासिल की है। अर्जुन मुंडा ने कालीचरण को जीत के लिए बधाई दी और कहा कि लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार सरकार बनाने का जनादेश दिया है।

कालीचरण मुंडा ने अपनी जीत का श्रेय पार्टी कार्यकर्ताओं, इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों और अपने निर्वाचन क्षेत्र की जनता को दिया। उन्होंने कहा, "खूंटी के लोगों ने एनडीए को करारा जवाब दिया है। अब मेरे कंधे पर बड़ी जिम्मेदारी है। मैं यहां के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का हरसंभव प्रयास करूंगा।" 56 वर्षीय आदिवासी नेता अर्जुन मुंडा ने जमशेदपुर से लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव भी जीता था और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव का पद भी संभाला था।

अर्जुन मुंडा पहली बार मार्च 2003 में मुख्यमंत्री बने थे, जब उन्होंने बाबूलाल मरांडी की जगह ली थी, जब जेडीयू और समता पार्टी के विधायकों ने बाबूलाल मरांडी की कार्यशैली के खिलाफ विद्रोह किया था। मरांडी के नेतृत्व वाली पहली एनडीए सरकार में वे आदिवासी मामलों के मंत्री थे।

केंद्रीय मंत्री ने भगवा ब्रिगेड में शामिल होने से पहले राज्य संघर्ष के दौरान झामुमो के साथ अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। वह पहली बार अविभाजित बिहार में 1995 में विधायक चुने गए और 2014 में सीट हारने से पहले लगातार तीन बार खरसावां से जीतते रहे।

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