मोदी और शी ने भारत-चीन संबंधों को नई गति दी, कारोबार बढ़ाने के लिये नया तंत्र स्थापित करने का निर्णय
गोखले ने बताया कि इस विषय पर प्रधानमंत्री की बात सुनने के बाद राष्ट्रपति शी ने कहा कि चीन इस दिशा में कदम उठाने को तैयार है कि किस प्रकार से इस असंतुलन को कम किया जाए। क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर भारत की चिंताओं पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत इसको लेकर आशान्वित है लेकिन इसमें संतुलन होना चाहिए।
मामल्लापुरम (तमिलनाडु)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच छह घंटे से अधिक समय तक आमने सामने बातचीत के बाद भारत और चीन ने शनिवार को सहयोग के नये अध्याय के शुरूआत करने तथा मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने का संकल्प जताया। दोनों देशों ने कारोबार, निवेश और सेवा क्षेत्र से जुड़े विषयों पर एक नया तंत्र स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने कारोबार, निवेश को बढ़ाने एवं विश्वास बहाली के उपायों सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। मोदी-शी अनौपचारिक शिखर वार्ता की महत्वपूर्ण उपलब्धि करोबार एवं निवेश को बढ़ाने के लिये एक तंत्र स्थापित करने पर सहमति तथा प्रस्तावित क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिये विचार विमर्श करने एवं सीमा पर शांति बनाये रखने के लिये विश्वास बहाली और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का विषय रहा। विदेश सचिव विजय गोखले ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया कि वार्ता के दौरान कश्मीर का मुद्दा नहीं उठा और चीनी नेता ने मोदी को इस सप्ताह के प्रारंभ में पाकिस्तानी राष्ट्रपति इमरान खान की बीजिंग यात्रा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘ दोनों नेताओं ने मित्रतापूर्ण माहौल में विचारों का आदान प्रदान किया और दीर्घकालीन एवं सामरिक तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।’’
Day 2 of the Informal Summit
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) October 12, 2019
PM @narendramodi received Chinese President Xi Jinping to resume their conversation. An eco-friendly ride to 'Machan' at Taj Fisherman's Cove for another round of one-on-one meeting followed by delegation-level talks and lunch. #ChennaiConnect pic.twitter.com/4mXC0IE4ev
इसे भी पढ़ें: भारत-चीन संबंधों में ‘‘चेन्नई कनेक्ट’’ से जुड़ेगा नया अध्याय: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमने मतभेदों को विवेकपूर्ण ढंग से सुलझाने और उन्हें विवाद का रूप नहीं लेने देने का निर्णय किया है। हमने तय किया है कि हम एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि “चेन्नई संपर्क” के जरिए भारत और चीन के संबंधों में सहयोग का आज से एक नया युग शुरू होने जा रहा है। मोदी ने कहा, ‘‘भारत और चीन पिछले 2,000 साल में ज्यादातर समय वैश्विक आर्थिक शक्तियां रहे हैं और धीरे-धीरे उस चरण की तरफ लौट रहे हैं।’’ मोदी ने पिछले साल चीनी शहर वुहान में शी के साथ अपनी पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता के परिणामों का जिक्र करते हुए कहा, “वुहान की भावना ने हमारे संबंधों को नयी गति एवं विश्वास प्रदान किया। ‘चेन्नई संपर्क’ के जरिए आज से सहयोग का नया युग शुरू होगा।” राष्ट्रपति शी ने मोदी को तीसरे अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिये चीन आने का न्यौता दिया और मोदी ने उसे स्वीकार कर लिया। चीनी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन पर कदम उठाने सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।
इसे भी पढ़ें: मोदी-शी की बातचीत वुहान शिखर सम्मेलन के बाद की प्रगति पर रही केंद्रित
गोखले ने यह भी बताया कि इस अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में शी ने आश्वासन दिया कि क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर भारत की चिंताओं पर विचारविमर्श किया जाएगा। विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बातचीत वुहान शिखर सम्मेलन के बाद की प्रगति पर केंद्रित रही। राष्ट्रपति शी ने दोनों देशों के बीच और अधिक सम्पर्क पर जोर दिया और खास तौर पर रक्षा क्षेत्र में सम्पर्क बढ़ाने का जिक्र किया। विदेश सचिव ने बताया ‘‘ शी और मोदी दोनों ने ही कहा कि दोनों देशों को भविष्य की ओर देखने की जरूरत है। साथ ही दोनों नेताओं ने इस बात पर भी सहमति जताई कि दोनों देशों को आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए साथ काम करना चाहिए।’’ चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ पिछले दो दिनों में कई सत्रों में हुई आमने-सामने की करीब छह घंटे की बातचीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि “चेन्नई संपर्क” के जरिए भारत और चीन के संबंधों में सहयोग का आज से एक नया युग शुरू होने जा रहा है। शी मोदी के साथ शिखर वार्ता के लिए कल शुक्रवार को करीब 24 घंटे के भारत दौरे पर आए, जिसकी शुरुआत तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित मामल्लापुरम में हुई। दोनों की इस प्रकार की पहली वार्ता पिछले साल वुहान में हुई थी।
इसे भी पढ़ें: कंपनियों ने अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में शांति का किया स्वागत
गोखले ने यह भी बताया कि दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि व्यापार और निवेश संबंधी मुद्दों के लिए एक नया तंत्र स्थापित किया जायेगा जो कारोबार, निवेश एवं सेवा क्षेत्र से जुड़ा होगा। चीन की तरफ से उप प्रधानमंत्री हु छुन ह्वा और भारत की तरफ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका नेतृत्व करेंगे। गोखले ने कहा कि इसकी रूपरेखा राजनयिक चैनलों के जरिये तय हो जायेगी। चीनी राष्ट्रपति ने आईटी और फार्मा क्षेत्र में भारत की ओर से चीन में निवेश का स्वागत किया। दोनों देशों ने इस प्रस्तावित तंत्र के जरिये विनिर्माण क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। गोखले ने बताया कि चीन के राष्ट्रपति ने रक्षा सहयोग बढ़ाने की जरूरत के बारे में बात की और आश्वासन दिया कि क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर भारत की चिंताओं पर विचारविमर्श किया जाएगा। दोनों देशों ने आतंकवादी समूहों को प्रशिक्षण, वित्त पोषण एवं समर्थन के खिलाफ ढांचा को मजबूत बनाने के लिये अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच बिना भेदभाव के संयुक्त प्रयास को मजबूत बनाने के महत्व को रेखांकित किया। वार्ता के परिणाम के संबंध में 16 महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उनका मनना है कि भारत और चीन नियम आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली के तहत शांतिपूर्ण, सुरक्षित एवं समृद्ध विश्व के लिये काम करने का साझा उद्देश्य रखते हैं जहां सभी देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने नियम आधारित वैश्विक व्यापार प्रणाली के महत्व पर जोर दिया। साथ ही दोनों नेताओं ने महसूस किया कि दोनों देशों को महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग करना चाहिए।
इसे भी पढ़ें: राजीव गांधी की चीन यात्रा से हुई थी दोनों देशों में सार्थक संवाद की शुरुआत: कांग्रेस
गोखले ने कहा कि भारत और चीन मुक्त एवं समावेशी कारोबार व्यवस्था के लिये मिलकर काम करना जारी रखेंगे जो सभी देशों के लिये फायदेमंद रहे। शुक्रवार को मोदी और शी ने रात्रिभोज के दौरान करीब ढाई घंटे बातचीत की थी। उन्होंने आतंकवाद तथा कट्टरवाद से मिलकर निपटने और द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम देने की प्रतिबद्धता जताई थी। दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने पर 70 कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय किया है जिसमें 35 कार्यक्रम भारत में और 35 कार्यक्रम चीन में होंगे। गोखले ने बताया कि इस तरह से प्रत्येक सप्ताह एक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे । दोनों नेताओं ने इस तरह की अनौचारिक वार्ता को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। वार्ता के दौरान एक विषय व्यापार असंतुलन का रहा। गोखले ने बताया कि इस विषय पर प्रधानमंत्री की बात सुनने के बाद राष्ट्रपति शी ने कहा कि चीन इस दिशा में कदम उठाने को तैयार है कि किस प्रकार से इस असंतुलन को कम किया जाए। क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को लेकर भारत की चिंताओं पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत इसको लेकर आशान्वित है लेकिन इसमें संतुलन होना चाहिए। कारोबार, सेवा और निवेश में संतुलन होना चाहिए। गोखले के अनुसार, इस पर राष्ट्रपति शी ने कहा कि इस विषय पर भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि आरसीईपी 16 देशों का प्रस्तावित साझा कारोबार ब्लाक है।
अन्य न्यूज़