विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर असमंजस में विधायक, सत्तापक्ष और MVA ने खड़े किए उम्मीदवार, शिवसेना के दो व्हिप हो सकते हैं जारी
माना जा रहा है कि एमवीए उम्मीदवार को लेकर उद्धव ठाकरे गुट की ओर से बागी विधायकों के लिए व्हिप जारी किया जा सकता है। ऐसे में बागी विधायकों से राजन साल्वी के पक्ष में वोट डालने के लिए कहा जाएगा। आपको बता दें कि कांग्रेस विधायक नाना पटोले के इस्तीफा देने के बाद से यह पद खाली है।
महाराष्ट्र में सियासत का नया अध्याय लिखा जा चुका है। इसी के साथ ही अब महा विकास अघाड़ी ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारा है। ऐसे में मुकाबला रोचक हो गया है कि क्योंकि भाजपा की तरफ से पहली बार विधायक बने राहुल नारवेकर ने नामांकन दाखिल किया है जबकि महा विकास अघाड़ी गठबंधन से शिवसेना विधायक राजन साल्वी को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में रविवार को होने वाले विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
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शिवसेना एक और व्हिप दो हो सकते हैं जारी
माना जा रहा है कि एमवीए उम्मीदवार को लेकर उद्धव ठाकरे गुट की ओर से बागी विधायकों के लिए व्हिप जारी किया जा सकता है। ऐसे में बागी विधायकों से राजन साल्वी के पक्ष में वोट डालने के लिए कहा जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवसेना एमएलसी सचिन अहीर ने बताया कि पार्टी के मुख्य सचेतक के पास व्हिप जारी करने का अधिकार है। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि एकनाथ शिंदे गुट की ओर से भी शिवसेना विधायकों के लिए व्हिप जारी किया जा सकता है। क्योंकि एकनाथ शिंदे अपने गुट को असली शिवसेना बता रहे हैं।
अगर ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती है तो दो व्हिप जारी हो जाएंगे और विधायकों के समक्ष किसी एक को चुनने की परेशानी खड़ी हो सकती है। हालांकि माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे गुट अपने उम्मीदवार को और उद्धव ठाकरे एमवीए उम्मीदवार को अपना समर्थन देंगे।
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने गत वर्ष फरवरी में पद से इस्तीफा दे दिया था तब से विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली है। राहुल नारवेकर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता रामराजे निंबालकर के दामाद हैं जो महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति हैं। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी एमवीए गठबंधन ने सवाल खड़े किए।
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कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए अब सहमति कैसे दे सकते हैं जबकि उन्होंने उस समय इसकी अनुमति नहीं दी जब शिवसेना नीत गठबंधन की सरकार थी। उन्होंने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलकर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि हमें (राज्यपाल की ओर से) उत्तर मिला कि मामला कोर्ट में है। अध्यक्ष के चुनाव के नियमों को बदलकर ध्वनिमत से चुनाव कराने के हमारे निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को (बंबई) हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था और वह सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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