Prabhasakshi NewsRoom: स्वतंत्रता दिवस से पहले कश्मीर में बढ़े आतंकी हमले, 2019 के बाद पहले फिदायीन हमले ने बढ़ाई चिंता

kashmir terror attack
ANI

मारे गये मजदूर मोहम्मद अमरेज के भाई ने बताया कि हम दोनो भाई सो रहे थे तभी मेरे भाई (मोहम्मद अमरेज) ने मुझे उठाकर बोला कि फायरिंग हो रही है लेकिन मैंने बोला कि ये होता रहता है, सो जा। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि भाई वहां सोया नहीं था।

स्वतंत्रता दिवस से पहले जम्मू-कश्मीर में प्रवासी मजदूर की हत्या और फिदायीन हमले के जरिये आतंकवादियों ने एक बार फिर चुनौती पेश की है जिसका सुरक्षा बलों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है। कश्मीर के विभिन्न इलाकों में सर्च ऑपरेशन भी जारी है और चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा बरती जा रही है। जहां तक प्रवासी मजदूर के मारे जाने की बात है तो आपको बता दें कि बांदीपोरा जिले में आतंकवादियों ने बिहार के एक प्रवासी मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी है। पुलिस ने बताया कि हमला मध्यरात्रि के करीब हुआ। कश्मीर जोन की पुलिस ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मध्यरात्रि के दौरान, आतंकवादियों ने बांदीपोरा के सोदनारा संबल में बिहार के मधेपुरा में बेसाढ़ के निवासी प्रवासी मजदूर मोहम्मद अमरेज, पुत्र मोहम्मद जलील पर गोली चलाई और उसे घायल कर दिया।’’ पुलिस ने बताया कि अमरेज को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

वहीं मारे गये मजदूर मोहम्मद अमरेज के भाई ने बताया कि हम दोनो भाई सो रहे थे तभी मेरे भाई (मोहम्मद अमरेज) ने मुझे उठाकर बोला कि फायरिंग हो रही है लेकिन मैंने बोला कि ये होता रहता है, सो जा। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि भाई वहां सोया नहीं था। मोहम्मद अमरेज के भाई ने कहा कि मैं उसे ढूंढ़ने गया तो देखा कि वो खून से लथपथ था। मैंने सेना को फोन किया और हम उसे हजिन ले गए जहां से उसे श्रीनगर ले जाने के लिए बोला लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

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दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में बृहस्पतिवार तड़के आतंकवादियों ने सेना के एक शिविर पर एक आत्मघाती हमला किया, जिसमें चार जवान शहीद हो गये। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में दो आतंकवादी भी मारे गए हैं। यह हमला लगभग तीन साल के अंतराल के बाद जम्मू-कश्मीर में ‘फिदायीन’ (आत्मघाती हमलावरों) की वापसी का संकेत है। पुलिस ने बताया कि दोनों आतंकवादियों के बारे में ऐसा माना जा रहा है कि वे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से सम्बद्ध थे। पुलिस ने बताया कि आतंकवादी घातक ‘स्टील कोर’ गोलियों से लैस थे और चार घंटे से अधिक समय तक चली मुठभेड़ में दोनों आतंकवादी मारे गये।

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पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया कि हमला करने वाले दोनों ‘फिदायीन’ संभवत: आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद के थे। दिलबाग सिंह के अनुसार, दोनों ने शिविर में घुसने का प्रयास किया, लेकिन वे मारे गए। उन्होंने बताया, ‘‘गोलीबारी में सेना के तीन जवान शहीद हो गये।’’ वहीं जम्मू में सेना के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने बताया, ‘‘बृहस्पतिवार की तड़के, राजौरी जिले के पारगल में सेना की चौकी पर तैनात सतर्क संतरियों ने संदिग्ध व्यक्तियों को खराब मौसम का फायदा उठाकर चौकी के पास आते देखा।’’ उन्होंने कहा कि संतरियों ने उन दो आतंकवादियों को चुनौती दी जिन्होंने चौकी के अंदर प्रवेश करने का प्रयास करते हुए ग्रेनेड फेंके। उन्होंने बताया कि हालांकि, सतर्क सैनिकों ने क्षेत्र को घेर लिया। आनंद ने बताया कि गोलीबारी में दो आतंकवादी मारे गये और इस अभियान में भारतीय सेना के छह सैनिक घायल हो गये, जिनमें से चार जवान बाद में शहीद हो गये।

उन्होंने बताया कि शहीद हुए सेना के जवानों की पहचान सूबेदार राजेंद्र प्रसाद (राजस्थान के झुंझुनू जिले के), राइफलमैन लक्ष्मणन डी (तमिलनाडु के मदुरै जिले के), राइफलमैन मनोज कुमार (हरियाणा के फरीदाबाद शहर के) और राइफलमैन निशांत मलिक (हरियाणा के हिसार शहर के) के रूप में की गयी है। लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने कहा, "भारतीय सेना सर्वोच्च परंपरा को कायम रखते हुए कर्तव्य का पालन कर सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर जवानों को सलाम करती है। राष्ट्र हमेशा उनके सर्वोच्च बलिदान और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए उनका ऋणी रहेगा।" अधिकारियों और प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि यहां से 185 किलोमीटर दूर पारगल स्थित सैन्य शिविर के बाहरी घेरे से अंदर आने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों ने देर रात लगभग दो बजे पहली बार गोलीबारी की। हम आपको याद दिला दें कि आखिरी आत्मघाती हमला 14 फरवरी 2019 को दक्षिण कश्मीर में पुलवामा जिले के लेथपोरा में हुआ था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे। इस बीच जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हमले की निंदा की और आतंकवादियों तथा उनके समर्थकों से उचित तरीके से निपटने को लेकर प्रतिबद्धता जताई है।

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